रोजा किन-किन चीजों से टूट जाता है

खाने-पीने या जिमा करने से रोजा टूट जाता है जबकि रोजादार होना हो और अगर रोज़दार होना याद न रहा और भूल कर खा लिया या पी लिया या जिमा कर लिया तो रोजा नहीं टूटेगा । सिगरेट, बीड़ी पीने से रोजा टूट जाता है पान या तंबाकू खाने से भी रोजा टूट जाता है अगरचे पीक थूक भी दी हो लेकिन रोजा टूट जाता है ।

रोजा टूटने के अहमतरीन मसाइल

(01) घुलने वाली चीज मुह मे रह जाए तो ?

शक्कर-चीनी या गुड वगैरा एसी चीजे जो मुह मे रखने से घुल जाती है, मुह मे रखी और थूक निघल गया तो रोजा टूट गया ।

(02) दांतों मे कोई चीज रह जाए तो ?

दांतों मे कोई चीज चने के बराबर या इससे ज्यादा थी उसे खा गया या कम थी मगर मुह से निकाल कर फिर खा ली तो रोजा टूट गया । और अगर दांतों से खून निकल कर हलक से नीचे उतरा और खून थूक से ज्यादा या बराबर था या कम था मगर उसका टेस्ट हलक मे मालूम हुआ तो इन सब सूरतों मे रोजा टूट जाएगा और अगर खून कम था और टेस्ट भी मालूम न हुआ तो रोजा न गया ।

(03) कुल्ली मे पानी हलक से उतर गया तो ?

कुल्ली कर रहा था और बिला कसद पानी हलक से उतर गया या पानी चड़ा रहा था पानी दिमाग मे चड़ गया तो रोजा टूट गया लेकिन अगर रोजा होना भूल गया हो तो न टूटेगा ।

रोज़े की फरजियत

रोजा भी मिसले नमाज के फर्जे ऐन है इसकी फरजीयत का मुनकिर दीन मे बाहर है और बिला उज्र छोड़ने वाला सख्त गुनहगार और दोजख का सजावार है बच्चे रोजा रख सकते हो उनको रखाया जाए और कवी मजबूत लड़के-लड़कियों को मार कर रखाया जाए । पूरे एक महीने रमजान के रोज़े फर्ज है ।

रोज़े की तारीफ और रोज़े का वक्त ?

शरीयत मे रोज़े के माएने है अल्लाह की इबादत की नियत से सुबह सादिक़ से ले कर सूरज डूबने तक खाने पीने और जिमा से अपने को रोके रखना । रोज़े के लिए औरत का हेज और निफ़ास से खाली होना शर्त है यानि इन दिनों के रोज़े की कज़ा रखे । नाबालिक पर रोज़े फर्ज नहीं और मजनू पर भी फर्ज न होंगे जबके पूरा महीना रमजान का जुनून की हालत मे गुजर जाए और अगर किसी एक दिन भी एसे वक्त मे होश आया के वो वक्त रोज़े का वक्त है तो पूरे ही महीने की कज़ा लाजिम है ।

चाँद देखने का बयान

रसूल ए खुदा, तमाम नबियों के सरदार ने फरमाया के चाँद देख कर रोज़े रखना शुरू करो और चांद देख कर अफ़तार करो और फरमाया रोज़े न रखो जब तक चाँद न देख लो और अफ़तार न करो जब तक चांद न देख लो ।

किन महीनों का चाँद देखना वाजिब है ?

पाँच महीनों का चांद देखना वाजिब ए किफ़ाया है 1 शाबान, 2 रमजान, 3 शवाल, 4 जिलकायदा, 5 जिल हिज्जआ। शाबान की 29 को शाम के वक्त चांद देखो दिखाई दे तो कल रोजा रखो वरना शाबान के 30 दिन पूरे करके रमजान का महीना शुरू करे ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *