दीनी तालीम एक एसी रोशनी है जो की हर एक मुसलमान को न सिर्फ दुनिया बल्कि आखिरत मे भी कामियाबी का रास्ता दिखती है हम इससे दीनी तालीम की अहमियत को पहचान सकते है की ये तालीम हमे जिंदगी के तमाम पहलुओ मे रहनुमाई फ़राहम करती है और अच्छे अखलाक, नाइकी और सच्चाई की तरफ रागिब करती है ।
आज के इस दौर मे जहा दूनयावी तालीम को बहुत ज्यादा अहमियत दी जाती है वहा दीनी तालीम की जरूरत और भी बड़ जाती है ताकि हम अपनी जिंदगी को सही उसूलों के मुताबिक गुजार सके । आज के इस पोस्ट मे हम दीनी की तालीम की अहमियत को तफसील से जानेंगे और इसके साथ ही ये मजमून दीनी तालीम की अहमियत इसके फवाइद और हमारी जिंदगी मे इसके किरदार पर तफसील से रोशनी डालेंगे ।
(01) दीनी तालीम आखिर है क्या ?
दर हकीकत मे दीनी तालीम से मुराद वो इल्म है जो हमे अल्लाह पाक और उसके रसूल, हबीब ए खुदा, हुज़ूर नबी ए रहमत और कुरान शरीफ और हदीस और इस्लामी उसोलों से व बसता कराता है इसके साथ ही ये तालीम हमे बताती है के जिंदगी कैसे गुजारे? अच्छे और बुरे मे फर्क कैसे करे ? मा-बाप की इज्जत और अदब और उनसे मुहब्बत का सही दरस यही हमे सिखाती है ।
इसके साथ ही जिंदगी के हर मरहले से लेकर कब्र और आखिरत तक की तालीम हमे दीन से ही मिलती है और अल्लाह पाक की रिजा कैसे हाशिल करे ये भी हमे दीनी तालीम के जरिए से ही मिलती है । कुरान ए पाक मे अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है जिसका मायेना है कि,
” अल्लाह पाक इन लोगों के दर्जात बुलंद फरमाता है जो ईमान लाए और जिन्हे इल्म अता किया । “
इस आयत ए कुरान की तफसील से ये मालूम होता है कि इल्म खास तौर पर दीनी इल्म, अल्लाह के नजदीक बहुत बड़ा दर्जा रखता है और हर एक मुसलमान को इल्म ए दीन सीखना चाहिए ।
(02) दीनी तालीम की अहमियत क्या है और कहा-कहा इसकी जरूरत पड़ती है ?
(01) अल्लाह पाक की रिजा हाशिल करना
दीनी तालीम का सबसे पहला और बड़ा फायेदा ये है के इसके जरिए हम अल्लाह पाक की रिजा के लिए जिंदगी बशर करना सीखते है हमे ये इल्म हो जाता है के वो हमारा खालिक है उसने हम पर क्या-क्या फर्ज किया है जिसको पूरा करते हुए हम जिंदगी गुजारे और इबादात को सही तरीके से कैसे अंजाम दे सकते है ये तमाम चीजे हमे दीन की तालीम हाशिल करने के बाद ही मालूम होता है।
(02) अखलाकी तरबीयत मे दीनी तालीम की अहमियत
आज के दौर मे सबसे ज्यादा अखलाकी तौर पर बहुत ज्यादा घर बिगड़ रहे है और बहुत अहम बात जानिए की अगर आपने अपने बच्चे को फकत दूनयावी तालीम ही दी तो एक वक्त एसा आएगा की उसकी कामियाबी पर आपको खड़ा होना ही पड़ेगा लेकिन अगर आपने अपने बच्चे को दीनी तालीम दी तो हर बार ही आपका बच्चा आपके लिए खड़ा होगा क्योंकी उसकी अखलाकी तर्बियत मे सिखाया गया होगा मा-बाप का मुकाम और मर्तबा ।
दीनी तालीम हमारे अखलाक को सवारती है, सच बोलना, वालिदैन की इज्जत करना, किसी का दिल न दुखाना, दूसरों के हुकूक अदा करना, ये सब इस्लाम की तालीमात का हिस्सा है जब एक सखश दीनी तालीम हासिल करता है तो वो अच्छे अखलाक का पैकर बन जाता है ।
(03) दुनिया और आखिरत की कामियाबी दीनी तालीम से
हर एक मुसलमान के लिए दुनियावी कामियाबी के साथ-साथ आखिरत की कामियाबी भी जरूरी है। दुनियावी तालीम इस दुनिया मे कामियाब बना सकती है जबकि दीनी तालीम हमे मौत के बाद कब्र मे, हश्र मे, आखिरत मे कामियाब बनाती है। हमारे प्यारे-प्यारे नबी, हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है के,
” जिस शख्स के साथ अल्लाह पाक भलाई का इरादा करता है तो उसे दीन की समझ अता करता है ” ये हदीस साफ-साफ बताती है के दीनी तालीम मुसलमान को अल्लाह पाक का कुर्ब और नैक राह पर जिंदगी गुजारने की तरफ लाती है।
(04) इस्लामी तालीमात का फ़ैज़
दीनी तालीम से ब वास्ता मुसलमान चाहे कही भी रहे हक के साथ ही रहेंगे और अल्लाह पाक की ही इबादत करेंगे एक रब को ही खुदा मानेंगे हुज़ूर नबी ए रहमत की जिंदगी इनके लिए अटूट सेमपल है की कितनी ही मुसीबत आ जाए लेकिन हक गोही न छोड़ना है हलाल कमाना है हलाल खाना है और सच के साथ ही रहना है जब इन तमाम बातों पर कोई मुसलमान अमल करता है या करती है तो

उसको एक रूहानी तौर पर फ़ैज़ हासिल होता है उसका कॉन्फिडेंस हर एक चीज मे बहुत बड़ जाता है ओर बड़े-बड़े डीसीजन और बड़े-बड़े काम वो अपनी जिंदगी मे कर जाते है इसलिए दीनी तालीम की अहमियत इतनी जरूरी होती है और अगर हम दीनी तालीम हासिल ही न करे तो अगली नस्ल को दीन सिखाने वाला कोई नहीं होगा। दीनी तालीम इस्लामी इकदार और रिवायात को महफूज रखने का बहतरीन जरिया है याद रखे इस दीन की जिम्मेदारी खुद अल्लाह पाक ने ली है लेकिन यहा ये बात मेने आप लोगों के घरों माहोल के ऊपर कही है ।
(05) गुनाहों से बचाने मे दीनी तालीम की अहमियत
जब आपके दिल मे अल्लाह पाक का खौफ होगा तो शैतान ज्यादा तर अपने काम मे न कामियाब ही होगा लेकिन अगर हम दीनी तालीम हासिल नहीं करेंगे तो फिर गुनाहों से बचने के लिए आपके पास इल्म नहीं होगा बल्कि आपको पता ही नहीं होगा की आप कब-कब गुनाह कर दिए हो। एक शख्स जो दीनी तालीम रखता है वो हलाल और हराम मे फर्क जानता होगा ।
वो जानता होगा के सूद यानि ब्याज, झूठ, रिशवत और धोका दही हराम है इसी इल्म की वजह से वो बुरे कामों से भी बचेगा क्योंकी उसके दिल मे खौफ ए खुदा है और दिल मे इश्क ए मुस्तफा है इसलिए हुज़ूर की शरीयत के मुताबिक अपनी जिंदगी गुनाहों से बचाते-बचाते ही गुजारेगा।
(03) दीनी तालीम की क्या-क्या जराए है ?
दीनी तालीम हासिल करने के लिए कुछ अहम जराए बताए जा रही है जिनको जान कर आप दीन की सही टालें हासिल कर सकते हो ।
- कुरान और हदीस- कुरान और हदीस इस्लाम की बुनियादी बातों से लेकर हर एक चीज का इल्म आपको इसी से मिल सकता है लेकिन किसी आलिम ए दीन की रहनुमाई मे।
- मदारिस और मकातिब – मदरसों मे भी बच्चों को इस्लामी तालीमात दी जाती है जहा उनको मुकम्मल हाफ़िज़ बनाया जाता है और इसके साथ ही यहा बच्चों को आलिम, मुफ्ती तक की पढ़ाई चलती है ।
- उलमाए किराम – इनको इस्लामिक स्कॉलर्स भी कहा जाता है जो दीनी तालीम मे बहुत ही माहिर होते है और उलमा से सीखना दीन के सही फ़हम के लिए भी जरूरी है।
- इस्लामी कुतुब – इस्लामी कुतुब यानि की दीनी किताबे पढ़ना इल्म मे इजाफे का बहतरीन जरिया है ।
- अनलाइन – अनलाइन भी दीन सीखा जा सकता है आज के दौर मे इंटरनेट के जरिए से भी दीन की तालीम हासिल की जा सकती है लेकिन ये आप तब ही करे जब आपके पास कोई आलिम ए दीन न हो अगर पास मे कोई आलिम ए दीन है तो आप सीधे उनसे ही राबता करे और इल्म सीखे और बच्चों को सिखाए।
(04) दीनी और दुनियावी तालीम मे तवाजन
कुछ लोग समझते है के दीनी तालीम सिर्फ आखिरत के लिए ही जबके दुनियावी तालीम दुनियावी जिंदगी के लिए जरूरी है हकीकत ये है के दोनों ही तालीम जरूरी है और ये याद रखे के ये दुनियावी जिंदगी फ़ानी यानि खत्म हो जाने वाली है और वही मौत के बाद की जिंदगी कभी खतम नहीं होगी।
इस लिहाज से एक बात के लिए अगर आपने बच्चों को दुनियावी तालीम नहीं दी तो कुछ परेशानी मे ये जिंदगी तो काट लेंगे लेकिन अगर आपने अपने बच्चे को दीन की तालीम ही नहीं दी तो फिर कैसे ये मौत के बाद की जिंदगी गुजार सकते है ।
इस्लामी तारीख मे एसी शख्सियात मोजूद है जो दीनी और दुनियावी दोनों उलूम मे माहिर थे जैसे इमाम गजाली, इबने सइना और फाराबी । हमारे प्यारे-प्यारे आका, मदीने वाले मुस्तफा, हुज़ूर नबी ए रहमत ने दुआ की,
” ए अल्लाह ! मुझे वो इल्म अता कर जो नफा बख्श दे । ” इससे भी हमे दीनी और दुनियावी तालीमात की अहमियत पता चलती है तो दीनी तालीम की अहमियत हम हुज़ूर की इस हदीस से भी पता कर सकते है इसके साथ ही कुरान ए मजीद मे सबसे पहली जो आयात सूरह इकरा की उतरी थी उसका मफुन है के पढ़ो-ए महबूब पढ़ो अपने रब के नाम से ”
अब जिस दीन की किताब का पहला हरफ ही पढ़ने से आया है तो आप इसकी तालीमात को कैसे जज करेंगे और किस कदर इस्लाम मे दीनी तालीम की अहमियत रखी है ।
(05) दीनी तालीम और जदीद(मोजूदा ) दौर के चेलेंस
आज के इस दौर मे जहा सोशल मीडिया, इंटरनेट 4g, 5g इंटरनेट और दीगर चीजों की सहूलियत है वही इससे ही ईमान पर डटे रहना बहुत बढ़ी बात हो चली है क्योंकी अब आपको गुनाह करने के लिए भी ज्यादा महनत करनी की जरूरत नहीं जब चाहे अपने घर मे बैठे मोबाईल फोन से कुछ भी देख सकता है जो की बहुत बड़ा गुनाह करने के बाद एहसास भी नहीं होता
और अगर इसी टेक्नोलॉजी को आप अगर दीन सीखने के लिए इस्तेमाल करे तो सोने पे सुहागा होगा क्योंकी अब आपको दीन सीखने के लिए भी ज्यादा महनत करने की जरूरत नहीं बल्कि आज के दौर मे आप जदीद टेक्नोलोजी का इस्तेमाल करके खुद और अपने घर मे दीन दारी का माहौल भी कायम कर सकते हो ।
लेकिन इस दौर मे मानो की इन चीजों ने दीनी तालीम से ज्यादा तर दूर कर दिया है वालिदैन और असातिजा की जिम्मेदारी बनती है के वो बच्चों को दीन की अहमियत से आगा करे।
इस दौर मे दीनी तालीम को कैसे फरोग दिया जाए ?
- घरों मे दीनी माहौल पैदा किया जाए
- बच्चों को छोटी उम्र से ही कुरान की तालीम दी जाए
- जदीद टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करते हुए अनलाइन दीनी कोर्स करवाए जाए
- मसाजिद मे तालीमी नशीशत मुन अकीद की जाए
- सबसे अहम बच्चों को जो भी सिखाए फिर उनसे उस तालीम पर अमल भी करवाए क्योंकी अगर अमल नहीं है तो तालीम का होन फकत फ़ितना ही है ।
(06) दीनी तालीम के बगैर मु आशरे के हालात कैसे ?
अगर किसी मु आशरे मे दीनी तालीम न हो तो वो राह रवि का शिकार हो जाता है वहा इंसाफ खतम हो जाता है, जुल्म बढ़ जाता है और लोग दुनिया की मुहब्बत मे गिरफ्तार हो जाते है ।
आज हम देखते है के मु आशरे मे कत्ल और गारत, छूट, धोका और गीबत-चुगली आम हो चुके है इस की बड़ी वजह दीनी तालीम से दूरी है जहा हम दीन से दूर होंगे वहा हम दुनियादार हो जाएंगे इसके साथ ही अपना वकार, अपनी अहमियत और अपनी इज्जत भी खो बेठ एंगे इसलिए हम सबको चाहिए के दीनी तालीम हासिल करे और अपने घर मे भी दीनी माहौल बनाए ताकि घर मे मुहब्बत बने न की बहस बाजी का एक परेशान गोसला ।
(07) दीनी तालीम कैसे हासिल करे ?
दीनी तालीम कैसे हासिल करे अगर आप वाकई ये सीखना चाहते है तो सबसे पहले ये इरादा कीजिए के जो भी सीखेंगे उस पर अमल करेंगे क्योंकी जब आप अमल करते हो तब ही आगे सीखना अच्छा रहता है सीखने मे रुहानीयत भी जाहीर होती है दर्जे जेल मे कुछ अहम बाते बताई जा रही है जिनको फॉलो करके आप दीनी तालीम सीख सकते हो।
- रोजाना कुरान की तिलावत और तर्जुमा पढे
- अहादीस की किताबे पढे जैसे कानून ए शरीयत, बहारे शरीयत इनसे आपको दीन की बेसिक जानकारी का खजाना हासिल होगा ।
- अहले सुन्नत उलमा ए दीन के बयानात सुने
- इस्लामी कॉर्सेस मे शिरकत करे
- बच्चों को एसी जगह पढ़ाए जहा दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीन की तालीम भी हासिल करे।
- जो सीखे उस पर अमल पेरा होये
नतीजा
दीनी तालीम की अहमियत महज एक मजमून नहीं है बालके एक मुकम्मल तौर पर जिंदगी है ये हमे नेकी, तकवा और सिराते मुस्तकीम पर चलने की रहनुमाई देती है जो लोग दीनी तालीम हासिल करते है वो न सिर्फ खुद कामियाब होते है बल्कि अपने घर, खानदान के लोगों के लिए भी हिदायत का जरिया बनती है।
हम सबको चाहिए के दीनी तालीम को अपनी जिंदगी का लाजिमी हिस्सा बनाए और अपनी आने वाली नस्लों को भी इसकी अहमियत से आगा करे अल्लाह पाक हमे दीन का सही फ़हम अता करे और इल्म ए नाफा हासिल करने की तौफीक अता करे आमीन सुममा आमीन।