Namaz chodne ki Saza । नमाज छोड़ने की सजा

नमाज छोड़ने की सजा कुरान और हदीस की रोशनी मे

नमाज इस्लाम का दूसरा रुकन है यानि के दूसरा फर्ज है और ये सिर्फ एक इबादत ही नहीं बल्कि हर एक मुसलमान की जिंदगी का एक अहमतरीन हिस्सा भी है अल्लाह पाक ने कुरान ए मजीद मे कई जगह नमाज की पाबंदी का हुक्म दिया है।

नमाज इंसान को बुराइयों से रोकती है और उसके दिल को साफ करती है जो शख्स नमाज नहीं पढ़ता, उसके लिए दुनिया और आखिरत दोनों मे नुकसान ही नुकसान है और जो बंदा या बंदी नमाजों को पाबंदी के साथ उनके वक्त पर अदा करते रहे तो एसे लोगों के लिए बहुत बड़े बड़े इनाम है और यही लोग अल्लाह पाक को राजी करने वाले होंगे।

आज के इस पोस्ट मे हम तफसील से जानेंगे के नमाज छोड़ने की सजा क्या-क्या है ? अगर कोई एक वक्त की नमाज भी छोड़े तो उसकी सजा क्या है और साथ ये भी जानेंगे के अगर कोई पांचों वक्त की नमाजों का पाबंद रहा तो उसको अल्लाह पाक किस-किस तरह दोनों जहानों मे नवाजेगा ये सारी चीजे आज हम कुरान और हदीस की रोशनी मे तफसील से जानेंगे ।

नमाज छोड़ने की सजा – कुरान ए मजीद की रोशनी मे

अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के, ” फिर उनके बाद एसी नसले आई जो नमाज को छोड़ बैठी और अपने खवाईशात के पीछे लग गई, तो अनकरीब वो लोग घटिया अंजाम को पाएंगे । ” ( सूरह मरयम-59)

ये आयत उन लोगों के लिए साफ-साफ हिदायत है जो अपनी नमाजे छोड़ देते है और अल्लाह पाक उनके लिए घटिया अंजाम का वादा कर चुका है जो आखिरत मे अजाब की सूरत मे इनको दिया जाएगा।

यहा अजाब की बात आई है आपको बताया दिया जाए के सबसे कम अजाब ये होगा के गुनहगार को आग के जूते पहनाए जाएंगे और इसकी गर्माहट से उनके सर जेसे खोल रहे होंगे ये सबसे छोटी सजा होगी जहन्नम की । तो मेरे प्यारो हमे गौर कर लेना चाहिए अपने अम्लों पर अपनी नमाजों पर कही एसा न हो के हम कल फस जाए।

नमाज छोड़ने की सजा – हदीस की रोशनी मे

हमारे प्यारे-प्यारे आका, हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है के, ” हमारे और उनके दरमियान फर्क नमाज का है, जो शख्स नमाज छोड़ दे, उसने कुफ़र किया । ” ये हदीस इस बात की दलील है के नमाज छोड़ना कोई छोटी बात नहीं है बल्कि कुफ़र के बराबर है एसे शख्स के लिए अल्लाह पाक का सख्त अजाब है ।

नमाज छोड़ने से दिल काला हो जाता है और जब आप नमाज पर नमाज छोड़ते रहते हो तो फिर शैतान आपके दिल को इस तरह कर देता है के कोई भी कितनी ही अच्छी तरह आपको नमाज की तरफ बुलाए या आपको भलाई का हुक्म दे लेकिन आपके दिल मे बात बहुत कम ही असर होती होगी क्योंकि नमाजों को छोड़ने से दिल सख्त हो जाता है ।

लिहाजा नमाजों की पाबंदी करे जिससे आपको सुकून मिलेगा जो बेचैनी आप महसूस करते हो वो दूर होगी अल्लाह पाक आपके रिज्क मे बरकत अता करेगा आपकी सहत अच्छी रहेगी अल्लाह पाक आपको नमाजों का पाबंद बनाए।

नमाज छोड़ने वाले का आखिरत मे अंजाम

नमाज छोड़ने वाले का आखिरत मे अंजाम बहुत ही डरावना और खतरनाक होगा । अल्लाह पाक उन लोगों से बहुत गुस्सा होता है जो उसके दिया हुआ वक्त और नेमत को जाया करते है और अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के,

” जब उनसे जन्नत वालों ने पूछा: तुम्हें किस चीज ने जहन्नुम मे डाला ? तो वो कहेंगे: हम नमाज अदा नहीं करते थे। ” ( सूरह अल-मुदससीर-42-43) ये आयत साबित करती है के नमाज छोड़ने की सजा सिर्फ अजाब नहीं, बल्कि जहन्नम तक है ।

ये कितना खतरनाक मजनर होगा के हमे सब लोग देख रहे होंगे और हम तो यहा दुनिया मे बड़ी बड़ी अच्छी बाते करते है लेकिन कल कितना खतरनाक और शर्मसार मंजर होगा के जिन लोगों को हम समझाया करते थे उनके सामने ही हमको घसीट कर जहन्नम की तरफ ले जा जाया रहा होगा ।

दुनिया मे नमाज छोड़ने के नुकसानात

जब मोमिन नमाजों को छोड़ता रहता है और नमाजों को कज़ा पे कज़ा करता रहता है तो फिर दुनिया मे ही उसको बहुत सारी सजा मिलना शुरू हो जाती है जैसे के:

  1. जहनी बेचैनी नमाज न पढ़ने वाले लोग अक्सर अंदरूनी बेचैनी मे रहते है इनको सुकून नहीं मिलता है।
  2. जिंदगी मे बरकत का न होना नमाज से इंसान के रिज्क मे बरकत होती है लेकिन जो नमाज ही नहीं पढ़ते उनके काम मे रुकावट आती रहती है और उनके काम मे रिज्क से बरकत भी खत्म हो जाती है।
  3. चेहरे का नूर चला जाता है नमाज इंसान के चेहरे पर नूर लाती है जो नमाज नहीं पढ़ता है उसके चेहरे मुरझाया रहता है और उसके चेहरे से रोनक भी चली जाती है।
  4. सहत मे कमजोरी जब मोमिन नमाजों को छोड़ने लगता है तो अल्लाह पाक उसकी सहत से भी बरकत दूर कर देता है और उसके आजा को कमजोर कर देता है ।
  5. औलाद न फरमानदार जब मोमिन नमाजों को छोड़ने लगता है तो अल्लाह पाक उसकी औलाद को उसकी न फरमानदार बनाता है और अगर वो नमाजी हो तो उसकी औलाद को उसकी फरमादार बना देता है ।

अगर किसी घर का मर्द या खवातीन नमाज नहीं पढ़ती तो उस घर पर अल्लाह पाक की रहमत कम हो जाती है घर मे फसाद, लड़ाई और परेशनिया बढ़ जाती है बच्चे भी नमाज से दूर हो जाते है क्योंकि उन्हे नमाज की अहमियत नहीं सिखाई जाती है ।

और दूसरी तरफ जब घर के मर्द और खवातीन दोनों ही नमाजों के आदी बन जाते है तो फिर अल्लाह पाक उस घर को एसे नवाजता है के उस घर के बच्चे-बच्चे को नमाजी बना देता है और फिर आपको बच्चों से कहने की भी जरूरत नहीं पढ़ती आपके बच्चे खुद व खुद ही घर की खवातीन को देख-देख कर नमाज पढ़ने के शौकीन बन जाते है और अल्लाह पाक आपके घर को रहमतो और नेमतों से नवाजता रहता है।

नमाज छोड़ने की सजा और तौबा का दरवाजा

अगर कोई शख्स नमाज छोड़ता रहा है तो उसके लिए तौबा का दरवाजा खुला है जब तक के उसकी मौत नहीं आ जाती और मौत आते ही तौबा के दरवाजे बंद कर दिए जाते है अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के, ” कहो, ऐ मेरे वो बंदों जिन्होंने अपनी जान पर जियादती की, अल्लाह की रहमत से मायूस न हो, अल्लाह सब गुनाहों को मुआफ़ कर देता है। ”

मेरे प्यारो जितना प्यार आपकी मा आपसे करती है न उससे भी 70 गुना ज्यादा आपके रब आपसे प्यार करता है और अगर कयामत के दिन आपकी मा पर आपका फेसल छोड़ दिया जाए तो वो क्या फेसल करेगी ? और जो उस मा से भी 70 गुना ज्यादा प्यार करता है अब अगर वो ही फेसला करे तो किस जानिब आपका जाना होगा सोचिए गा जरूर।

बेशक नमाजे छूट जाती है जब बंदे को सही दीन की सही समझ नहीं होती तो उससे नमाजे छूट जाती है लेकिन जब बंदे को समझ आअ जाए तो तो उसको चाहिए के वो रब के नजदीक तौबा करे और नमाजों की पाबंदी करे और जितनी नमाजे कजा की है उनको कजा नमाजे पढे।

कैसे शुरू करे नमाजे पढ़ना

कुछ अहम पॉइंट्स मे लिख रहा हूँ जिन पर अमल करके आप इंशा अल्लाह नमाजे पढ़ना शुरू कीजिए इंशा अल्लाह आपको बहुत ज्यादा फायेदा होगा।

  1. नियत मजबूत रखिए अपने दिल मे ये पक्का इरादा करे के अब नमाज नहीं छोड़ेंगे।
  2. छोटी-छोटी सूरह याद करे सूरह फातिहा, सूरह इखलास जैसे छोटी-छोटी सुरते आप याद करना शुरू करे और अभी इनको ही नमाजों मे पढे।
  3. एक निजाम बनाइये नमाज के लिए अलार्म लगाइए और वक्त पर उठने की आदत ढालिए और एक निजाम के तहत ही आप अपने बदलाव लाइये जिस वक्त अजान हो उस वक्त दुनिया के हर काम को छोड़ कर आप नमाजों की तरफ चले ये भी इस निजाम का हिस्सा होना चाहिए।
  4. अच्छे लोगों की सोहबत इकहित्यार करे मोमिन अपने दोस्त के ईमान पर ही होता है इसलिए आप उन लोगों से दोस्ती ज्यादा रखे जिनके दिलों अल्लाह पाक का खौफ हो और जो आपको दुनियावी और दीनी एतबार से भी गाइड कर सके इसके लिए सबसे बहतरीन आज के दौर मे आप दावत ए इस्लामी इंडिया से जुड़िये इंशा अल्लाह वो आपको सही जगह पहुच वाएंगे।

बच्चों को नमाज की तर्बियत कैसे दे ?

बचपन से अगर बच्चों को नमाज की अहमियत समझाई जाए तो वो आगे चल कर नमाज छोड़ने वाले नहीं बनते है बल्कि पक्के नमाजी बनते है अल्लाह पाक के प्यारे हबीब, हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है के, ” अपने बच्चों को 7 साल की उम्र मे नमाज का हुक्म दो । ”

बच्चों नमाजी बनाने का सबसे आसान तरीका यही है के आप खुद नमाजी बन जाए क्योंकि बच्चे बातों से कम सीखते है बल्कि आँखों से बहुत ज्यादा सीखते है इसलिए जब भी आप उनके सामने नमाज अदा करोगे तो वो इसको देखेंगे और आपके साथ ही कुछ सालों मे नमाज के लिए खड़े हो जाया करेंगे इसलिए कहते है के आदमी कितना ही नेक है लेकिन घर का माहौल तो औरत ही सुधार सकती है ।

क्योंकि लाइव प्रेक्टिकल होती है और जब की मर्द अपनी बातों से ही कह सकता है गोया की उसकी बाते थ्योरी होती है लेकिन प्रेक्टिकल औरत की नमाज हो जाती है इसलिए औरत का बहुत अहम किरदार होता है बच्चों को नमजी बनाने के लिए ।

नमाज छोड़ने की सजा से कैसे बचा जाए ?

नमाज छोड़ने की सजा से बचने का एक ही तरीका है नमाज की पाबंदी जो मुसलमान वक्त पर नमाज पढ़ता है तो अल्लाह पाक उसका हर एक आक आसान कर देता है उसकी जिंदगी मे सुकून होता है और आखिरत मे जन्नत की बशारत मिलती है ।

जब कोई मोमिन एक वक्त की नमाज छोड़ देता है तो उसका नाम जहन्नम के उस दरवाजे पर लिख दिया जाता है जहा से वो जहन्नम मे दाखिल होगा और किताबों मे ये भी आया है के बे नमाजी को कर्जा न दो क्योंकि जब वो खुदा का कर्जा ही नहीं अदा कर रहा है फिर आपका कर्जा कैसे अदा करेगा ।

मेरे प्यारो हदीस मे ये भी आया है के बे नमाजी कल मैदान ए महशर मे दुश मनाने खुदा की सफ़ों मे खड़ा होगा जिस सफ मे फिरऔब, नमरूद जैसे खुदा के दुश्मन खड़े होंगे इसी सफ मे एक बे नमाजी भी खड़ा होगा।

अब क्या आप ये गवारा करेंगे के आप के साथ ये सब कुछ हो इसलिए मेरे प्यारो आओ सच्ची तौबा करके नमाजों का अहद करते है और आइंदा नमाज न छोड़ने का सच्चा पक्का अहद करते है।

खुलासा ए कलाम

नमाज छोड़ने की सजा दुनिया और आखिरत दोनों मे है इस गुनाह से बचने के लिए जरूरी है के हम सब वक्त पर नमाज पढे और इसकी पाबंदी भी करे अपने घर वालों को पढ़ाये और हर मुसलमान को इस फर्ज़ इबादत की तरफ दावत दे ।

याद रखिए के नमाज वक्त फर्ज ही नहीं बल्कि ये अल्लाह पाक के साथ राबता बनाए रखने का जरिया है इसे छोड़ना नफरत का सबब और बहुत बड़ा गुनाह है और अदा करना मुहब्बत है और बहुत बड़े सवाब का काम है।

मेरे प्यारो नमाज दीन का सुतून है, नमाज हमारे प्यारे-प्यारे आका, मदीने वाले मुस्तफा करीम की आँखों की ठंडक है हममे से कौन ग्वारा करेगा के हुज़ूर की आँखों को ठंडक न पहुचाए इसलिए मेरे प्यारो नमाजों की पाबंदी करे नमाज छोड़ने की सजा बहुत सारी है लेकिन रब बहुत महरमान भी है अगर आप सच्ची तौबा कर लोगे तो फिर वो आपको मुआफ़ भी कर देगा ।

अल्लाह पाक से दुआ है मेरे मौला हम तमाम को पांचों वक्त का नमाजी बना दे आमीन सुममा आमीन

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