अलतमश – बहुत देर हो गई है अब्बू अभी तक नहीं आये !
आफ़रीन ( अलमतश की छोटी बहिन ) – भाईजान आ रहे होंगे हो सकता है आज भी ऑफिस मे बहुत ज्यादा काम रहा हो इसलिए देर लग रही हो !
अलतमश – हा हो सकता है लेकिन ये एसी ही दिन क्यों होता है जब हम बाहर जाने वाले हो ।
रानी बानो ( अल्मतश और आफ़रीन की अम्मी ) – आ जाएंगे तुम्हारे अब्बू जब तक इशा की नमाज पढ़लो देखो अजान भी हो चुकी है ।
अलतमश – ठीक है मै मस्जिद जा रहा हूँ और आफ़रीन आप नमाज पढ़लो मै आता हूँ नमाज कर ।
आफ़रीन – जी भाईजान
अलतमश के घर से निकलते ही एक आवाज आने लगती है आफ़रीन अपनी अम्मी से कहती है के अम्मी ये आवाज को किसी एम्बुलेंस की लगती है रानी बानो कहती है अल्लाह खैर करे ! इतने मे एक आदमी एंबुलेंस से उतर कर पूछता है के ये रानी बानो का घर कौनसा है आफ़रीन सहमी हुई है आदमी के सवाल पर कहती है के मेरी अम्मी का ही नाम रानी बानो है ।
देखते ही देखते भीड़ लगने लगती है लोग आकर पूछते है क्या हुआ तो एम्बुलेंस मे बैठा ड्राइवर कहता है के रानी बानो के हसबेन्ड की डेड बॉडी रखी है आप लोग पीछे उतार लो आप लोग । इतना कहना ही था आफ़रीन छोटी बच्ची जिसकी उम्र 11 साल की ही होगी वो भागती हुई आती है !
मेरे बाबा को क्या हुआ !
बाकी के लोग आफ़रीन को गोदी मे उठाते है देखते है के बच्ची के आसू आ गए और हिचकिया ले-लेकर रो रही है ।

इतनी देर मे रानी बानो परदे के साथ घर से बाहर निकलती है उसकी आँखों से आसू रवा है गोया के अर्ज कर रहे हो सारे ख्वाब सारी दुनिया चली गई जिंदगी मे शोहर का जाना किसी कयामत से कम नहीं ।
रानी बानो के एम्बुलेंस के करीब आते-आते हल्की बारिश जो रही थी वो तेज हो जाती है हवाये चलने लगती है लाइट चली जाती है बाकी के बस्ती वाले बारिश से बचने के लिए दूर खड़े हो जाते है ।
रानी अपने शोहर की बॉडी के पास आती है और कहती है छोड़ गए मुझे तन्हा ! तन्हा मै कैसे रहूँगी ! अलतमश अभी छोटा है और आफ़रीन तो बस 11 ही साल की है इसको बाप का प्यार कौन देगा !
मै इस काबिल नहीं हूँ के अपने बच्चों को पाल सकु और न ही इतनी सलाहियत है के इनको पढ़ा लिखा सकु ! मेरी जिंदगी मे तो आजमाइश किस कद्र आन पड़ी है !
रोने लगती है इतने मे आफ़रीन अपनी मा के पास आ जाती है और कहती है:
आफ़रीन – अम्मा क्या अब बाबा कभी नहीं उठेंगे ? हम जो बाहर गूमने जाते थे क्या अब कभी नहीं जाएंगे ! और क्या बाबा अब मुझे गोदी मे कभी नहीं लेंगे ?
इतनी देर मे अलतमश मस्जिद से नमाज पढ़ कर आ चुका होता है
अलतमश – नहीं छोटी ! तेरा भाई है अभी वो तुझे गुमाने ले जाया करेगा न तू रोए नहीं तेरे बाबा अब कभी लौट कर नहीं आएंगे लेकिन ये तेरा भाई है और आज से तेरे बाबा की जिम्मेदारी तेरा भाई ही उठायेंगे।
इतना कहने के बाद तीनों आफ़रीन, अलतमश और रानी बानो रोने लगे इनको देख कर बस्ती वालों की आंखे भई झलक उठी लिहाजा मंज़र देखा गया के एम्बुलेंस वालो की आँखों मे आसू थे ।
सब लोगों ने मिलकर आफ़रीन के बाबा की बॉडी को एम्बुलेंस से उतारा और बाकी के रिश्तेदारो को कॉल किया गया के फ़जर के बाद ही मिट्टी लगेगी तमाम लोगों ने उनको अलतमश के हाथों से घुसुल दिलवाया और अलतमश के मामू कफन लेकर आये ,
फ़जर की अजान होती है नमाज होती है नमाज के फौरन बाद आफ़रीन के बाबा को उठा कर ले जाने लगे इतने मे आफ़रीन भाग कर आती है और कहती है बाबा देखो ना आप जो मुझे पेसे देते थे उनको मे गुल्लक मे डालती थी और आज पूरे 1274 rs हो चुके है सोचा था के बहुत सारे
पेसे इखट्टे कर के आपको दूँगी ताकि आपको कुछ सहारा लग जाएगा लेकिन ये घड़ी आ गई ! ये कहने के बाद आफ़रीन 11 साल की बच्ची हिचकिया लेकर रोने लगी उसके मामू ने उसे गोद मे उठा लिया
और कहा बैठा आपके बाबा अब अल्लाह पाक के यहा जा रहे है अब इनके लिए आप दुआ कीजिए और अल्लाह पाक सब ठीक कर देगा इनके लिए खूब-खूब इसाले सवाब कीजिए ताकि इनको कब्र के सवालों मे आसानी हो !
ये कहने के बाद आफ़रीन के बाबा का जनाज़ा उठाया गया इमाम साहब ने जनाजे की नमाज पढ़ाई उसके बाद मे तदफीन किया गया कब्र पर इनके लिए फातिहा हुए और दुआ ए मगफिरत की गई सब लोगों ने आमीन कहा ।
लौट आये दफना कर सब लोग बच्चों को और इनकी मा को दिलासा देकर और समझा कर चल दिए धीरे-धीरे करके सब लोग चले गए ।
अब शाम का वक्त आया तो इस वक्त तक सब रिश्तेदार जा चुके थे और जो भी किसी ने खाना बनवाया था वो सब खत्म हो चुका था, अब रात आती है और खाने वक्त होता है
रानी बानो देखती है के खाने के लिए तो बचा ही नहीं है ।
आफ़रीन छोटी बच्ची है उसको भूक तेजी से लगी तो वो रोने लगी अब ये देख कर अलतमश बाहर जाता है और अपने जूते बेच कर कुछ खाना लेकर आता है ।
जिसके बाद आफ़रीन खा कर सो जाती है उसकी मा अलतमश से सवाल करती है के बेटे कहा से लाए तो अलतमश का जवाब होता है के,

” वो जो मेरे नये जूते थे उनको बेच कर ही लेकर आ गया । ” उसकी मा उसको गले से लगा लेती है और इस तरह थोड़ा कुछ खा कर वो रात भी गुजर जाती है ।
अब चूंकि अलतमश के अब्बू नौकरी करते थे जिसमे से एक हिस्सा बचाकर अपने दफ्तर के अकाउंट मे ही रखते है जिसको लेकर अगली सुबह दफ्तर के लोग उनके मकान पर आते है और 1 लाख 75 हजार और 2 सौ 19 रुपए उनकी बीवी को दे दिए ।
और कहने लगे के आपके शोहर बड़े नेक थे ये रकम उन्होंने इसी एमर्जेंसी को देख कर जमा करी थी और कहते थे के अगर मुझे कुछ हो जाता है तो ये जो भी रकम हो मेरे घर दे आना और कहना के ” उनका शोहर उनका बाप करना बहुत कुछ चाहता था लेकिन अल्लाह पाक की रिजा बंदों की बका। “
ये सुनकर उनके घर वालों को उनकी याद आती है और अलतमश जिसकी उम्र 18 साल की थी वो अहद करता है के मै इंशा अल्लाह बाबा की जिम्मेदारी निभाऊँगा और अपनी मा से इस रकम से एक हिस्सा लेकर अपना रोजकार खोलने की दरयाफ्त करता है उसकी मा यानि के रानी बानो उसको इजाजत देती इजाजत के साथ ही दुआ भी देती है ।
” बेटा अल्लाह पाक आपको आपके वालिद के नक्शे कदम पर चलने की तौफीक अता करे और दोनों जहानों मे कामियाबी आपका मुकद्दर बने .. आमीन सुम्मा आमीन । “
इस तरह ये बाब खत्म हो जाता है ।
नसीहत
इससे हमको नसीहत लेनी चाहिए के बेशक जिंदगी मे अल्लाह पाक आजमाईश देता है लेकिन देता भी उसी को है न जिसका ईमान वो आजमाना चाहता है के खुशी मे तो सब अच्छे ही होते है लेकिन क्या कोई दुख मे भी मेरी बंदगी उसी तरह करेगा जिस तरह खुशी मे करता रहा है ।
इस वाकिया से हमे ये भी सीख मिली की मुसीबत कितनी ही आये लेकिन सब्र कभी नहीं छोड़ना और अल्लाह पाक सब्र करने वालों के साथ मे है जो सब्र करेगा अल्लाह पाक उसको जरूर नवाजेगा ।