Ishq or Muhabbat kaise kare

Ishq or Muhabbat kaise kare। इश्क और मुहब्बत कैसे करे

जब किसी से किसी को मुहब्बत होती है जब किसी को किसी से सच्चा इश्क हो ही जाता है फिर उसकी सारी कमिया दूर हो जाती है उसमे कितनी ही खामिया हो लेकिन आशिक की नज़रों मे कोई कमी नहीं लगती है ।

मेरे अजीजों जिंदगी बड़ी ही खूबसूरत है और अल्लाह पाक ने जिंदगी मे हजारों लाखों ही नहीं बल्कि करोड़ों नेमते रखी है अपने बंदों के लिए के वो इससे मुहब्बत मे रहे लिहाजा हर एक को किसी ने किसी बड़ी भी नेमत से सरफराज किया ।

खुदा ए पाक ने दुनिया को इतना खूबसूरत बनाने के बाद मे भी फरमा दिया के अगर तुम यहा मुहब्बत से रहे और नैक आमाल किए तो कल जन्नत जिसके सामने ये दुनिया कुछ भी नहीं है उसमे भी मुहब्बत करने वालों को साथ ही रखूँगा ।

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Ishq or Muhabbat kaise kare। इश्क और मुहब्बत कैसे करे ?

मेरे अजीजों इंसान की फितरत मे मुहब्बत करना शामिल है और अल्लाह पाक ने इंसान को जज़्बात और एहसासात का एक बहुत ही अनोखा और खूबसूरत बना कर भेजा है जब भी दिल किसी से लगता है उसे पसंद करता है उसके साथ वक्त बिताने की चाहत होती है ।

यही एहसास है जिसको इश्क और मुहब्बत कहते है लेकिन सवाल ये है के इश्क और मुहब्बत कैसे करे ताकि वो खालिक को भी पसंद आये और हलाल भी हो और दुनिया मे भी सुकून दे सके और आखिरत मे कामियाबी का जरिया बने ।

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Ishq or Muhabbat ka Sahi Matlab। इश्क और मुहब्बत का सही मतलब

इश्क का मतलब – असल मे इश्क अरबी शब्द अश्क से निकला है जिसका मतलब ये होता है के बहुत गहरी मुहब्बत, दीवानगी की हद तक चाहत ।

मुहब्बत का मतलब है – मुहब्बत का मतलब है किसी को दिल से चाहना, उसकी खैरियत की फिक्र करना, उसके लिए दुआ करना बिना किसी लालच के उसके साथ रहना ।

जिस्म की खवाईश गलत फेमि- बहुत से न इल्म और गुमराही की वादियों मे रहने वाले लोग इश्क और मुहब्बत को फक्त एक जिस्मानी खवाईश समझ बैठे है लेकिन असल मे इश्क वह होता है जो रूह से होता है जिसमे इज्जत, तालीम, एहतियात और तालीम शामिल होती है ।

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Islam me Ishq or Muhabbat ki Jagah। इस्लाम मे इश्क और मुहब्बत की जगह

मेरे अजीजों दीन ए इस्लाम मे इश्क और मुहब्बत को नकारा नहीं है बल्कि इसको सही डिरेक्शिन और हदे दी है और इन हदों मे रहने का हुक्म दिया है और दीन ए इस्लाम असल मे मुहब्बत का ही दूसरा नाम है । पैगंबर हजरत मुहम्मद ए मुस्तफा ने इरशाद फरमाया है कि, “ निकाह से बहतर कोई मुहब्बत नहीं । “

दीन ए इस्लाम सिखाता है के अगर किसी से इश्क हो जाए तो उससे हलाल रिश्ता बनालों यानि के निकाह करलो वो भी जल्द से जल्द इसमे देरी न करो और हराम रिश्तों से बाज रहो । हकीकत मे इस्लामी इश्क मे हया है, इज्जत है और नफ़स की पाकीजगी भी शामिल है ।

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Halal tareeke se Ishq or Muhabbat। हलाल तरीके से इश्क और मुहब्बत

बात करे के इश्क और मुहब्बत हलाल तरीके से कैसे करे तो इसके लिए कुछ खास बाते आपको अपने जहनों मे याद रखनी चाहिए जो की हम नीचे लिख रहे है —

01) नियत साफ रखे – मेरे अजीजों इश्क का सबसे पहला उसूल यही के आप अपनी नियत पाक रखे अगर आप सिर्फ टाइम पास या जिस्मानी खवाईश या कुछ रकम का फायेदे की चाहत रखते हो तो मुहब्बत नहीं बल्कि फकत गुनाह है ओर गुमराही है ।

02) इज्जत और भरोसा हमेशा रखे – जिस किसी से इश्क हो उस इंसान के मिजाज को समझे, कोई मजाक नहीं हो जिससे उसकी फीलिंग हर्ट हो और उसकी इज्जत का ख्याल हमेशा ही रखे ।

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03) हलाल रास्ता चुने निकाह करे – अगर आपको किसी से मुहब्बत हो जाए तो मा – बाप से बात करे और उनको समझाए के आप क्या चाहते है और आपकी खुशी किसमे है और निकाह करे और इधर अपने वालिदैन के हुकूक अदा याद से करते रहे ।

04) सोशल मिडीया के गंदे और जाहिलाना मंजर से बचे – मेरे अजीजों आजकल हर एक सोशल मीडिया के प्लेट फोरम पर होने वाले रिश्ते सच्चे नहीं होते इसमे 98% फीसदी झूठ और धोकेबाजी होती है और गंदे उलटे सीधे जाहिलाना हरकते शामिल होती है इसमे इससे बचे ।

05) दुआ करे दुआ मोमिन का हथियार है – अगर सच्चा इश्क है तो अल्लाह से दुआ करे उसकी सेहत के लिए उससे निकाह के लिए के अल्लाह पाक जल्द उसे आपके निकाह मे अता करदे ।

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मेरे अजीजों अगर आप किसी से इश्क करते हो तो सिर्फ प्यार जताना ही काफी नहीं है बल्कि आपको इन बातों का ख्याल भी रखना चाहिए –

वक्त देना – सिर्फ बातों से ही नहीं बल्कि अपनी मोजूदगी से आपकी केयर से आपके वक्त देने से वक्त एक साथ गुजारने से मुहब्बत निभाई जाती है ।

वफ़ा – जब किसी को किसी से सच्चा और हलाल इश्क हो तो वो कभी एक दूसरे को दगा नहीं देते लिहाजा हमेशा ही वफ़ादार रहते है ।

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माली जिम्मेदारी – मेरे अजीजों निकाह का मतलब एक माली जिम्मेदारी को निभाना भी है और एक दूसरे को समझना भी है । हालात कैसे भी आये भरोसा कायम रहना ही चाहिए ।

सही वक्त पर सही फैसला – निकाह जितनी जल्दी हो सके करे क्योंकि शैतान अपना काम अपने वक्त पर ही करेगा इसलिए आपको भी चाहिए जल्द से जल्द निकाह करने का फैसला ले और शैतान को मात दे ।

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FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

01) क्या बिना निकाह के इश्क करना हराम है ?

जवाब – दीन ए इस्लाम मे अगर किसी से मुहब्बत हो जाए तो गुनाह नहीं लेकिन बिना निकाह के आगे बढ़ जाना और जिस्मानी या जुबानी रिश्ते कायम करना या बातों के जरिए से ही लज्जत महसूस करना सख्त हराम है और जहन्नम मे ले जाने वाला काम है निकाह करले तब यही सब सवाब और नैकी मे तब्दील हो जाती है ।

02) क्या लड़का और लड़की दोस्त हो सकते है ?

जवाब – दीन ए इस्लाम मे गैर – महरम से गैर जरूरी और बे मतलब बात करना मना है इसलिए नहीं के ये कैद खाना है बल्कि इसलिए के इससे इस्लाम हया का दूसरा नाम है इसमे खातून को सोने और कुरान के मानिंद ढक कर रखा जाता है क्योंकि इनकी अहमियत बहुत है इस्लाम मे ।

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03) घर वाले निकाह के लिए मना करे तो क्या करे ?

जवाब – अपने घर वालों को बताया के मेरी खुशी इसी मे है उसके बाद भी घर वाले नहीं मान रहे है तो पहली बात के घर वालों को एसी जगह शादी करनी चाहिए जिसमे आपकी खुशी हो और आपको भी घर वालों की इज्जत और उनका कहना मानना चाहिए दोनों बाते अपनी जगह सही है ,

अब अगर ये है करे क्या तो करे ये आप खुद को इस काबिल करे के आपकी बात खुशी खुशी मान लि जाए और दुआ करे के अल्लाह पाक सब कुछ आसान करे घर वालों के जहनों मे इस बात को बिठा दे ।

04) सबसे ज्यादा इश्क और मुहब्बत किस्से करनी चाहिए ?

जवाब – सबसे ज्यादा इश्क और मुहब्बत अगर किसी को करना है तो कुल नबियों के सरदार, आमिना के लाल, मदीने के ताजदार, हुज़ूर नबी ए रहमत से ही करना है । बीवी, मा-बाप, भाई बहिन से प्यार मुहब्बत अपनी अपनी जगह लेकिन इन सबसे ज्यादा मुहब्बत हुज़ूर नबी ए रहमत से होनी चाहिए क्योंकि बिना इसके ईमान मुकम्मल नहीं हो सकता है ।

05) क्या मिया-बीवी जन्नत मे साथ रहेंगे ?

जवाब – जी हा ! मिया-बीवी अगर दोनों ही जन्नती हुए तो दोनों साथ मे ही रहेंगे लेकिन इसके लिए दोनों का ही नैक होना शर्त ए अव्वल है ।

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खुलासा ए कलाम

मेरे अजीजों इश्क और मुहब्बत कैसे करे इसका सही तरीका ये है कि आपकी सबसे पहले नियत पाक हो फिर इज्जत का ख्याल रखा जाए फिर हलाल रास्ते से किया जाए और फिर जल्द से जल्द निकाह किया जाए और इसके साथ ही अल्लाह का डर दिलों मे हमेशा ही रहे और सबसे ज्यादा मुहब्बत हुज़ूर नबी ए रहमत से ही आपको करनी है ।

अगर आप इन उसूलों को समझ लेते है तो फिर आपकी मुहब्बत न सिर्फ इस दुनिया मे ही सुकून देगी बल्कि आखिरत मे भी आपको कामियाबी दिलाएगी आपको चाहिए नमाजों की पाबंदी करे, निकाह जल्द से जल्द करे घर वालों के हुकूक अदा करते रहे फिर चाहे वो आपसे खफा ही क्यों न रहे लेकिन आपने उनको नहीं छोड़ना है ।

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