बच्चों की तरबियत कैसे करे। Bachho ki Tarbiyat kaise kare

बच्चों की तरबियत कैसे करे – ये सवाल हर एक माँ-बाप के जहनो मे जरूर आता है जब एक बच्चा पैदा हो जाता है तो वो एक साफ और बिल्कुल खाली एक कागज की तरह होता है जैसा आप लिख दोगे वेसा ही वो बन जाएगा यानि के जेसी आप सीख और तर्बियत दे दोगे वेसा ही वो बन जाएगा ।

इस्लामी तालीमात के मुताबिक, बच्चों की तर्बियत एक जिम्मेदारी है जो के सिर्फ उनके मा-बाप पर ही है बल्कि पूरी मुआशरे पर भी है क्योंकि जेसे बच्चे जिस जिस मुआशरे मे रहते है वहा उनके ही माहौल का असर आता है ।

आज के इस पोस्ट मे हम तफसील से जानेंगे के बच्चों की तरबियत कैसे करे, किस तरह से उनको बहतर इंसान बनाया जा सकता है और कैसे उनकी रूहानी, अखलाकी और समाजी तरक्की मे मदद की जा सकती है ।

(01) बचपन की अहमियत और तरबियत की बुनियाद

इस्लामी तालीमात के मुताबिक बच्चा एक अमानत है और इसके तालुक से हुज़ूर नबी ए रहमत, तमाम नबियों के सरदार इरशाद फरमाते है, ” हर बच्चा फितरत पर पैदा होता है, उसके मा-बाप ही उसे यहूदी, नसरानी या नैक बनाते है । ”

इस हदीस ए मुबारक से साफ-साफ पता चलता है के बचपन मे की गई तरबियत बच्चे के मुस्तकबिल को ते करती है इसलिए अगर आप सोच रहे है के बच्चों की तरबियत कैसे करे, तो जवाब यही है के तरबियत की शुरूआत बचपन से ही होनी चाहिए ।

बचपन मानो के खाली गिलास आप जो चाहो वो भर सकते हो लेकिन एक जब उस गिलास मे कुछ भर जाता है फिर अगर आप भरोगे तो ऊपर से ही निकल जाएगा इसलिए बचपन से ही बच्चे की अच्छी दीनी माहौल मे और अखलाकी तौर पर मजबूत ईमान वाली तरबियत की जाए।

(02) तालीम और तरबियत मे फरक समझे

तालीम का मतलब होता है के मालूमात देना और जबकि तरबियत का मतलब होता है इंसानी किरदार बनाना सिर्फ तालीम देने से ही इंसान अच्छा नहीं बन सकता है जब तक उसकी रूहानी और अखलाकी तरबियत ना की जाए ।

आज के दौर मे हम तालीम की जरूरी समझते है लेकिन तरबियत को नजर अंदाज कर देते है हमे समझना होगा के बच्चों की तरबियत कैसे करे ये सीखना तालीम से भी ज्यादा जरूरी है ।

इसमे ये बात आप हमेशा याद रखे के बिना तरबियत के तालीम अधूरी है ठीक इसी तरह ही बिना तालीम के तरबियत भी अधूरी ही है लिहाजा दोनों को ही दिया जाए जिससे तालीम के साथ-साथ आपके बच्चे मे सलाहियात का जज़बा भी पैदा होता रहे ।

(03) बच्चों के साथ प्यार और रहम का बरताओ

हमारे प्यारे-प्यारे आका, मदीने वाले मुस्तफा, हुज़ूर नबी ए करीम ने बच्चों के साथ बे हद मुहब्बत का इजहार किया एक बार जब उन्होंने देखा के एक सहाबी अपने बच्चों को नहीं चूमते तो हुज़ूर ने फरमाया, ” जो रहम नहीं करता, उस पर रहम नहीं किया जाता । ”

अगर आप चाहते है के आपका बच्चा आपका कहना माने तो सबसे पहले आपको उससे मुहब्बत करनी होगी । बच्चों की तरबियत कैसे करे इसका पहला कदम प्यार और रहम का रवेया अपनाना है ।

आपने बच्चों के साथ खेल-खेल मे ही उनको सही गलत की सीख देते चलना है और उनके जहनो के मुताबिक ही उनसे कलाम करना है एसा नहीं के आप अपने बच्चे से ही बड़ी बड़ी बाते करने लगे और एसा भी न करे बहुत ही ज्यादा छोटी-छोटी बाते उनसे करने लगे बल्कि उनके दिमाग, जहनो के मुताबिक ही उनसे कलाम किया जाए।

(04) नमाज की आदत डलवाना

नमाज एक एसी इबादत है जो इंसान के अंदर का खौफ पैदा करती है अगर आप चाहते है के आपका बच्चा सीधे रास्ते पर चले तो फिर आप उसे छोटी उम्र से ही नमाज की आदत डलवाये।

हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है, ” अपने बच्चों को 7 साल की उम्र मे नमाज का हुक्म दो । ” अगर आप सोच रहे है के बच्चों की तरबियत कैसे करे तो सबसे पहले उन्हे अल्लाह पाक से जोड़ना सीखे ।

मेरे प्यारो जब हम अपने बच्चों को नमाज की तरफ लेकर आने मे कामियाब हो जाते है तो फिर यकीन माने आप के बहुत सारे काम और बहुत अच्छी सीख वो खुद व खुद लेने लगते है मस्जिद मे बच्चा जब जाता है तो वो सलाम, दुआ भी सीखता है कुरान ए मजीद की तिलावत भी सीखता है,

यही ही नहीं उसको मा बाप की इज्जत और मरतबे की सीख भी दी जाती है और फिर उसको हमारे असलाफ़ों की जिंदगी भी पढ़ाई जाती है कितना कुछ सीख जाते है बच्चे जब वो मस्जिद जाने लगते है।

(05) अच्छी सोहबत और माहौल का असर

दोस्तों जैसा के आप जानते है के बच्चों का ज्यादा से ज्यादा वक्त घर के इलावा स्कूल या मोहल्ले के बच्चों के साथ गुज़रता है जिस तरह के लोगों के साथ वो वक्त गुजारते है उसी तरह का उनका मिजाज बन जाता है इसलिए बेशक उनको दोस्तों के साथ जाने दे लेकिन कुछ कायेदे बनाए जैसे के:

  1. बच्चों के दोस्तों के अखलाक को जानिए
  2. क्या देखते है मोबाईल से यूट्यूब पर उनको ज्यादा से ज्यादा मदनी चेनल दिखाइए
  3. हर रोज उनसे बात करे के उन्होंने क्या सीखा
  4. मुहब्बत के साथ बच्चों से भी जी-जनाब से बात करे
  5. उनकी हर एक चीज का ख्याल रखे
  6. हर मोड पर उनकी रहनुमाई करते रहे

बच्चों की तरबियत कैसे करे – इसका एक अहम पहलू ये भी है के उनके माहौल को देखते रहे और जितना हो सके आप खुद उनके टाइम मे इन्वाल्व हो ताकि वो आपसे ही दोस्ती रखे और आप बच्चों के साथ बच्चे ही बनकर रहे उनको हर एक बात पर टोके नहीं हा जब खेल से फ़ारिक हो जाए तो उनकी इसलाह करते रहे।

(06) बच्चों से बातचीत करना और उन्हे सुनना

मेरे प्यारो अक्सर मा-बाप सिर्फ हुक्म देते है लेकिन बच्चों को सुनते नहीं है इस वजह से बच्चा या तो चुप रहना सीख जाता है या झूट बोलता है जो के एक बहुत बड़े खतरे की निशानी होती है ।

आप को चाहिए के रोजाना पाबंदी के साथ थोड़ा वक्त सिर्फ उनकी बाते सुनने मे गुजारे अगर वो किसी मुश्किल मे है तो उनके साथी बन कर उनकी रहनुमाई करे । बच्चों की तरबियत कैसे करे इस सवाल का एक बहतरीन जवाब और तरबियत करने का तरीका ये है के आप उनके दोस्त बन जाए, सिर्फ मा-बाप नहीं बल्कि आप उनसे दोस्ती करले।

जब आप बच्चों से दोस्ती कर लोगे तो आप जैसे चाहे वेसे उनकी तरबियत कर सकोगे चाहे खेलते-खेलते या घूमते फिरते, खाना खाने मे, उठते-बैठते जैसे चाहे आप अपने बच्चों की तरबियत बहुत ही अच्छे तरीके से कर सकोगे ।

(07) दुनिया और आखिरत दोनों की तालीम दे

बचपन से ही बच्चों को सिर्फ और सिर्फ दुनिया के लिए ही तैयार न करे बल्कि उन्हे आखिरत के लिए भी तैयार करे कुरान ए मजीद और हदीस शरीफ की तालीम दे और उन्हे अल्लाह पाक और उसके हबीब का तारुफ करवाए।

  • हर रोज एक छोटी हदीस और कुरान की आयत पर बात करे
  • उन्हे नैक काम की तरफ मोटिवेट करे
  • धीरे-धीरे उनको अपने बुजुर्गों के वाकियात सुनाइए

बच्चों की तरबियत कैसे करे इस सवाल के जवाब मे ये है के उनकी जिंदगी का मकसद सिर्फ दुनिया या पैसा या कारीयर ही नहीं बल्कि सबसे पहला मकसद अल्लाह की रिजा हो ये सारी चीजे बाद मे है ।

याद रखे के इस्लाम दुनिया की तालीम के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं है लेकिन आप अगर दुनिया की तालीम के लिए इस्लामी तालीम को छोड़ दोगे तो फिर इस्लाम आपकी इस सोच के खिलाफ है न की दुनियावी तालीम के खिलाफ ।

इसका एक ये भी पॉइंट ऑफ व्यू निकलता है दोनों ही तालीमे दी जाए जिससे के उसके जरिए मास जींदगी बशर के लिए और दूसरी जिंदगी को दीन के मुताबिक और मौत के बाद जिंदगी के लिए ।

(08) सजा और इनाम का निजाम बनाए

आपका बच्चा कोई अच्छा काम करे तो उसकी तारीफ सब लोगों के सामने करे और जब कोई गलती करे तो सब लोगों से हट कर उसकी इसलाह करे उसको समझाए जिससे आपके बच्चे की मुहब्बत और सलाहीयात मे मजीद इजाफा होगा ।

इसके साथ ही आप इनाम रखे के बेटा या बेटी अगर आपने आज पांचों वक्त की नमाजए वक्त पर अदा करी तो आपको ये इनाम दिया जाएगा तो इससे वो मोटीवेट होते रहेंगे कुछ उसूल भी बनाए जैसे

  • प्यार से समझाए
  • गलती को दुबारा न दोहराने की नरमी से नसीहत करे
  • अच्छे कामों पर शाबाशी और इनाम से नवाजे

जहां जरूरत हो वहा ही डिसिप्लिन का इस्तेमाल करे बच्चों की तरबियत कैसे करे इसका मतलब ये नहीं के हर वक्त उन्हे डांटा जाए बल्कि उन्हे समझा कर ही सही रास्ता दिखाया जाए।

(09) बच्चों को जिम्मेदारिया देना

बच्चों मे सेल्फ कॉन्फिडेंस और जिम्मेदारी का जज्बा पैदा करना भी तरबियत का एक अहम हिस्सा है उन्हे छोटी-छोटी जिम्मेदारी दे जैसे के:

  • अपना सामान संभालना
  • घर के छोटे कार करने को कहना
  • स्कूल होम वर्क का ख्याल रखना
  • पांचों वक्तों की नमाजे जमात के साथ अदा करना
  • रोजाना अम्मी-अब्बू के हाथों को चूमना
  • सलाम आम से आम करना
  • रिश्तेदारो के साथ मुहब्बत से बाते करना
  • एक दूसरे से जी-जनाब और आप के जुमलों से बात करना

जब बच्चा महसूस करेगा के उस पर ट्रस्ट किया जा रहा है तो वो बहतर तौर पर ग्रो करेगा और अपनी सलाहियातों को और मजीद पोलिश करेगा । बच्चों की तरबियत कैसे करे इसका एक हिस्सा ये भी है के उन्हे लीडर बनाना सिखाना।

(10) दुआओ का सिलाह और असर

मा की दुआ बच्चों के लिए एक असर रखने वाली चीज है और बहुत जल्दी कुबूल भी होती है हर वक्त अपने बच्ची-बच्चे के लिए दुआ करते रहा करे न जाने अल्लाह पाक किस घड़ी आपकी दुआ कुबूल करले दुआओ मे कुछ खास ये दुआ करते रहे जैसे के:

  • अल्लाह पाक उन्हे नैक रास्ते पर चलाए
  • उनका नसीब बहतरीन हो
  • वो दीन और दुनिया दोनों मे कामियाब हो
  • अल्लाह पाक बच्चों को नजरे बद से बचाए
  • हमारे लिए हमारे बच्चे खैर का बाईस बने

दीन ए इस्लाम मे मा की दुआओ का असर दुनिया और आखिरत मे बहुत ज्यादा होता है और मा की दुआ उसके बच्चे के हक मे बहुत जल्दी कुबूल भी होती है जब आप कन्फ्यूज़ हो जाए के बच्चों की तरबियत कैसे करे तो अल्लाह पाक से मदद मांगे उसके लिए खैर की दुआ मांगे ।

बच्चों की तरबियत प्रेक्टिकल तरीके से ज्यादा करे ताकि उनको समझने मे आसानी हो और अमल करने मे भी बहुत आसानी हो जब नमाज पढे तो उनको भी साथ खड़ा करले ताकि वो देख-देख कर वेसा-वेसा करता जाए जेसे आप करते जा रहे हो ।

खुलासा ए कलाम – बच्चों की तरबियत कैसे करे ?

आखिर मे ये कहना गलत न होगा के बच्चों की तरबियत कैसे करे इसका कोई एक फार्मूला नहीं है बल्कि अगर आप मुहब्बत, सब्र, तालीम और दुआ का कॉमबीनेशन इस्तेमाल करे तो तरबियत आसान हो जाती है इस्लाम हमे हर कदम पर रहनुमाई देता है सिर्फ हमे अमल करते जाना है ।

बच्चों की तरबियत कैसे करे इसका सबसे आसान से आसान जवाब यही है के आप खुद अमली जामा बन जाए यानि के जैसी तरबियत आप अपने बच्चों को देना चाहते है वेसे पहले आप खुद बने उन चीजों पर अमल करे जो आप अपने बच्चों को अमल करवाना चाहते है यकीन करना मेरे अजीजों आपने ये कर लिया,

तप फिर आपको ज्यादा कुछ खास महनत करने की जरूरत नहीं होगी बस आप करते चलेगो वेसा ही आपके बच्चे आपके पीछे-पीछे करते आएंगे लिहाजा अमल की दरकार है और नियत और सब्र और महनत और हिकमत ए अमली के साथ मुहब्बत भरा अनदाज।

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