गोस ए आजम से एक चोर मुरीद होने आया !
मेरे अजीजों सरकार गोस ए आजम किसी भी तरीके के तारूफ़ के मोहताज नहीं उनकी शान तो वो शान है के जब से वो दुनिया मे आए तब से लेकर कयामत तक जितने भी वली आएंगे उन सबकी सरदारी अल्लाह पाक ने गोस ए आजम के हाथों मे दी हुई है ।
जिनको हम पीरे-पीरा, मीरे-मीरा हुज़ूर शैख अब्दुल कादिर जीलानी, गोस ए आजम के नाम भी जानते है औलमाओ ने आपकी शान और भी कई सारे लकाबात लिखे है आज के इस पोस्ट हम ये जानेंगे के क्या हुआ जब एक चोर आप से मुरीद होने आया ।
हुज़ूर गोस ए आजम बगदाद मे रहते थे एक मर्तबा एक चोर आपसे मुरीद होने के लिए आया उसने कई सारी जगह और कई सारे लोगों से आपके बारे मे सुन भी रखा था तो इसलिए वो आपके मिजाज को भी समझ कर आया था ।

चोर ने हुज़ूर गोस ए आजम के पास आते ही क्या कहा ?
हुज़ूर गोस ए आजम के पास एक चोर आया और कहने लगा के हुज़ूर मै आपसे मुरीद होना चाहता हूँ अब गोस ए आजम ने ठीक है हाथ आगे बड़ाइए उसने बड़ाया और गोस ए आजम ने भी अपना हाथ आगे बड़ाया अब अचानक उस चोर ने अपना हाथ पीछे खीच लिया !
गोस ए आजम ने कहा के क्या हुआ ? क्या तूने मुरीद नहीं होना है तो वो चोर कहता है के जी हा मुझे मुरीद तो है आपसे लेकिन मेरी 2 शर्ते है । अब गोस ए आजम कहते है के बोल तेरी 2 शर्ते कौन-कौन सी है ? चोर कहता है के:
01) मै चोर हूँ और मुरीद होने के बाद भी चोरी बंद नहीं करूंगा !
02) मै नमाजी नहीं है और मुरीद होने के बाद भी नमाज नहीं पढ़ूँगा !
अब गोस ए आजम फरमाते है के तुझे मै मुरीद नहीं करूंगा क्योंकि तेरी दोनों शर्ते शरीयत के खिलाफ है वरना मै तुझे मुरीद नहीं करूंगा, अब वो चोर बोला हुज़ूर आपने लाखों चोरों चक्कों को आपने संभाला है एक और सही ।
गोस ए आजम ने कहा नहीं अगर तुझे मुझसे मुरीद होना है तो फिर ये अपने खिलाफ ए शरीयत शर्तों को वापिस ले उसके बाद ही मूरीद कर सकता हूँ फिर उस चोर ने कहा के हुज़ूर आपको आपकी मा का फासिता, गोस ए आजम ने कहा मुझे तेरी दोनों शर्ते मंजूर नहीं है
गोस ए आजम ने चोर के सामने रखी एक शर्त
अब जब उसने वासिता दिया न मा का, तो गोस ए आजम ने कहा चल ठीक है अगर तू अपनी दोनों शर्तों के साथ मुरीद होना चाहता है तो ठीक है लेकिन सुन फिर मेरी भी एकशर्त होगी, चोर ने कहा हुज़ूर आप मुरीद तो करो मै आपकी एक क्या एक हजार शर्तों को मानने को तैयार हूँ ।
गोस ए आजम ने कहा हजार शर्त नहीं बल्कि एक ही शर्त काफी है और वो ये है ” जब भी अजान का वक्त हो जाया करे तो तू बस अजान दे दिया कर ” चोर का बस यही है शर्त, गोस ए आजम ने कहा हा बस यही है शर्त, चोर ने कहा ठीक है हुज़ूर मै अजान के वक्त होने पर अजान दे दिया करूंगा ।
चोर कहा ठीक है हुज़ूर मुझे मूरीद कीजिए, गोस ए आजम ने उसको मुरीद किया और उसके हक मे दुआ फरमाई मौला इसको हिदायत अता कर और इसको अच्छों के साथ दाखिल कर .
चोर का अजान देना और लोगों को हैरान कर देना !
मुरीद होकर अब ये चोर घर आता है और चार दिन तक घर मे ही रहता है अब चूंकि शर्त थी के अजान के वक्त होने पर अजान देनी है तो पांचों वक्त जब भी अजान होती ये अजान दे देता और इसी तरह ये अजान देता रहा ।
एक दिन इसकी बीवी ने कहा के बस अजान से ही काम नहीं चलेगा नमाज भी पढ़नी होती है तो ये चोर अपनी बीवी को जवाब देता है के तुमको नहीं पता मेरा मुआदा किस्से हुआ है तुम अपना काम करो ।

फिर बीवी ने कहा चलो ठीक है फिर ये बताओ के और कब तक एसे घर मे ही लेते रहोगे चोर करने कब जाओगे अब क्योंकि घर मे खाने पीने के लिए भी नहीं है अब उस चोर ने जवाब दिया के ओ मेरी बीवी मै यही तो सोच रहा हूँ 4 दिन से,
के घर से कब निकलू के बीच मे अजान का वक्त न आये ताकि मै आसानी से अजान दे सकु तो बीवी बोली कुछ लाओ खाने पीने के सामान नहीं रहा अब ?
अब गोस ए आजम का चोर मुरीद निकला चोरी करने !
अब चोर को ख्याल आया के इशा की अजान से लेकर फ़जर की अजान तक बहुत वक्त होता है लिहाजा इसी दौरान वक्त भी काफी मिलेगा तो यही सही रहेगा चोरी करने के लिए अब वो चोर चोरी करने के मकसद से घर से इशा की अजान देने के बाद निकल गया ।
जहा पर चोरी करनी थी वहा पहुचते-पहुचते काफी रात हो चुकी थी अब ये छत पर छड़कर आगन मे उतरा घर के फिर उसके बाद जहा रकम और सोने-चांदी की चीजे रखी थी उधर की तरफ चल दिया ।
अंदर गए तो पहले रोशनी का इंतेजाम किया उसके बाद देखते है के माल तो बहुत सारा है बहुत जेवर है सोना-चांदी बेशुमार है अब वो धीरे-धीरे इन तमाम चीजों अपने थेलो मे भरने लगे जब इनके मिजाज के हिसाब ए सामान ज्यादा हो गया तो इन्होंने उस पूरे सामान को उठा कर कंदे पर रखा ।
और जैसे ही उस सोने-चांदी से भरे थेले को लेकर आगन मे आये तो याद आया के यार फ़जर की अजान का वक्त तो चला है और अजान देनी ही थी नहीं तो वो गोस ए आजम की शर्त तोड़ देता उसने बहुत सोचा के क्या करू ? क्या करू ? बहुत सोचकर उसने एक फेसला लिया,
और वही वो बोरा रखा और उसी घर के आगन मे अजान लगाना शुरू कर दिए । अब जब उसने अजान दी तो पूरा का पूरा घर जाग गया और सब लोग इखट्टा हो गए और फिर इसने देखा के सब मेरी तरफ ही आने वाले है तो,
इसने वही 2 रकात की नमाज की नियत करली अब जेसे ही इसने सलाम फेरा तो देखा के इसके पीछे सब घर वाले नमाज पढ़ने के लिए आ चुके थे लिहाजा उन्होंने इसको अपना इमाम साहब और अल्लाह का कोई खास बुजुर्ग मान लिया था ।
अब एक उन्ही लोगों मे से बोला के हुज़ूर तकबीर पढू क्योंकि हम सबने भी सुन्नत पढ़ ली है तो अब ये चोर बोला देखो मै इमाम नहीं हूँ बल्कि एक चोर हूँ घर वाले बोले अरे हुज़ूर क्यों मजाक करते हो आप तो अल्लाह वाले हो तब ही तो,
हमारे घर के आगन मे आपने अजान दी और फिर सुन्नते भी पढ़ली लिहाजा अब हमे भी जमात से नमाज पढ़ा दीजिए, इस तरह ये चोर फस हुआ था गोया के इसकी तकदीर बदलने वाली थी और उधर गोस ए आजम अपने हुजरे मे मुस्कुरा रहे थे ।
तो खादिमो ने पूछा हुज़ूर क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रहे हो, गोस ए आजम फरमाते है के फस गया, पूछा हुज़ूर कौन फस गया तो कहने लगे के वही मेरा मुरीद जो चोर था और उसने चोरी नहीं छोड़नी की शर्त भी रखी थी वो फस गया और उसकी दोनों शर्ते पड़ी हुई है मेने हकीकत मे उसकी एक भी शर्त कुबूल नहीं की थी लेकिन वो मेरी एक ही शर्त मे फस गया है ।

और इधर उस चोर ने बोरा खोलकर दिखाया के देखो भाई मै चोर हूँ ये सारा सामान तुम्हारा ही है देखो इसमे तुम्हारा सोना, चांदी और माल रखा हुआ है ये सब तुम्हारा ही तो है तो ये सुनकर वो सब लोग बोले अरे हज़रत ! आप ये चोर के लिबास से अपनी विलायत हमसे छुपा रहे है लिहाजा आप हमे नमाज पढ़ाइए ।
जब उसने देखा के ये लोग मेरी बात नहीं मान रहे है तो उस चोर ने गुस्से मे कहा ठीक है पढ़ो तकबीर तो इस तरह किसी ने तकबीर पढ़ी और एक चोर ने वहा सब लोगों को जिनके यहा वो चोर चोरी करने आया अब उनको ही फ़जर की नमाज पढ़ा रहा था ।
कजा ए उमरी नमाज का तरीका क्या है ?
नमाज के बाद और इस पूरे वाकिए से वो चोर फारिग हुआ तो कहने लगा यार जब अल्लाह पाक मुझे झूठ बोलने पर ही नमाज रखा है तो अगर मै सच्चा बन जाऊ तो अल्लाह पाक गोस ए आजम के सदके मुझे कितना नवाजेगा !
लिहाजा उसने तौबा करली और आइंदा चोरी न करने का अहद किया और अल्लाह पाक के हुज़ूर 2 रकात नमाज सलातों तौबा पढ़ी और सच्ची तौबा करके नैक बनने की तरफ चल पड़ा तो ये है गोस ए आजम की करामात के चोरों को भी विलायात यानि अल्लाह के वली के मुकाम की शान अता फरमा दिया करते थे ।
हमने क्या सीखा ?
मेरे अजीजों हमने सीखा के कभी भी हमने अल्लाह के वलियों की करामात का इनकार नहीं करना है और कुछ ये अहम दरस हमने हासिल कर ली जैसे के:
- गोस ए आजम की शान बहुत बुलंद है ।
- गोस ए आजम के पैदा होने से कयामत तक जितने भी पीर-वली आएंगे सबकी गरदनों पर गोस ए आजम का पैर होगा यानि के आप सबके सरदार ही होंगे ।
- एक चोर ही नहीं बल्कि हजारो गुनहागारों को आपने गले से लगा रखा है ।
- न जाने कितने ही गुनहागारों को गुनाहों से दूर करके अल्लाह का वली बना बना दिया ।
- इसमे चोर भी अपने वादे का सच्चे रहा क्योंकि वो चाहता तो अजान न देकर ही निकल सकता था लेकिन उसने भी अपना वादा पूरा किया जो गोस ए आजम से किया था ।
इसके साथ हमे ये भी सीख मिली के अल्लाह पाक जिसे चाहे चोर से वली बना देता है और जिसे चाहता है उरूज से फकीर भी बना देने की कुदरत रखता है ।