आपको बता दे के 13 जून को इजराईल के 200 विमान उड़े और ईरान के 100 किमी ठिकानों पर 330 बम गिराए है । इजराइल के पीएम नेतनयाहू ने कहा – ईरान को रोका नहीं गया तो वो कुछ महीनों मे ही परमाडु हथियार बना सकता है ।
इसके साथ ही अमेरिका ने भी साफ कर दिया है के वो इस हमले मे शामिल नहीं है और ईरान के सुप्रीन लीडर अयातुल्लाह खामेनेई ने साफ कह दिया है के इजराईल को इसकी सजा जरूर मिलेगी ।
इजराइल ने ईरान पर हमला कब और कहा किया ?
इजराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान मे सुबह करीब 3:30 am बजे विस्फोटों की खबरे आई है ईरानी सरकारी मीडिया ने कहा के रिहायशी इलाकों पर हमले हुए और तहरान के उत्तर और पूरब मे भी विस्फोट हुए है ।
इजराइल की सेना ने बताया के उसने ईरान के दर्जनों सैन्य ठिकानों पर हमला किये है और जिनमे कुछ परमाणु ठिकाने भी शामिल है । आपको बता दे के इस हमले मे ईरानी सेना की सबसे ताकतवर कोर इस्लामिक IRGC के कमांडर हुसैन सलामी की मौत हो गई है ।
कुछ एक्ससपर्ट की मानते है के जब तक ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर बातचीत चल रही है, ट्रम्प नहीं चाहते थे के इजराइल हमला करे लेकिन इजराइल को लगा के उसके पास ये ही एक्शन का मौका है, भले ही ट्रम्प को यह पसंद नहीं हो ।

क्या ईरान पर हमले मे इजराइल के साथ अमेरिका नहीं था ?
अमेरिका विदेश मंत्री मार्को रुबियों ने कहा है के यह इजराइल की एकतरफा कारवाई है । अमेरिका इसमे शामिल नहीं है ईरान जवाबी कार्यवाही न करे और अमेरिका सैनिकों को निशाना न बनाए ।
हालांकि बिना अमरेकी मदद के इजराइल इतना बड़ा हमला कर ही नहीं सकता है इन हमलों के पीछे अमेरिका की सहमति और सपोर्ट के कई संकेत मिलते है इसके साथ ही रुबियों ने कहा है के हमले से पहले इजराइल ने अमेरिका को सूचना दी थी ।