karz utarne ki dua

Karz Utarne ki Dua। कर्ज उतारने की दुआ हिन्दी मे

मेरे अजीजों हर एक जिंदगी मे कभी न काभी और कही न कही एसे पल भी आ जाते है के उसे किसी से कर्जा लेना पड़ता है और किसी किसी के ऊपर इतना कर्जा हो जाता है के उसके बस का नहीं रहता के वो इसको उतार सके ।

आज के इस पोस्ट मे हम कर्ज उताने की दुआ हिन्दी मे जानेंगे और जानेंगे के इसके साथ-साथ किन-किन तरीकों से आप अपने कर्जे को उतार सकते हो उसको कम कर सकते हो और कैसे एक बहतरीन और आसान स्टेप्स मे अपने कर्जे को तकसीम कर सकते हो ।

Karz Ek Aajmaish Hai। कर्ज एक आजमाईश है !

मेरे प्यारो हर एक की जिंदगी मे कभी न कभी किसी न किसी वजह से किसी को कर्ज लेने पर मजबूर होना पड़ता है और उससे छुटकारा मिलना मुश्किल हो जाए तो ये एक बड़ी परेशानी बन जाता है ।

दीन ए इस्लाम मे कर्ज अदा करने कि बहुत ज्यादा अहमियत रखी है वो भी वक्त पर और इसके साथ ही कुरान ए मजीद मे और हदीस शरीफ मे इसके तालुक से बहुत सारी चीजे और दुआये आई है ।

तो आज हम आपको कर्ज उतारने की दुआ के साथ-साथ बताएंगे कुछ एसे इस्लामी तरीके भी बताएंगे जिनके जरिए से आप अल्लाह पाक से मदद लेकर अपने कर्ज को उतार सकते हो ।

Karz Utarne ki Dua। कर्ज उतारने की दुआ

कर्ज उतारने की दुआ — ” अल्लाहुम्मा इन्नी अउजूबि – क – मि – नलहम्मी वल हुजिन व अउजूबि – क – मिनल इजिज वल कस्लि व अउजूबि – क – मिनल जूबनि वल बुखलि व अउजूबि – क – मिन गल बतिद – दइनि व कहरिर रिजाल । “

इस दुआ को किस वक्त और कब तक पढ़ा जाए

इस दुआ को फर्ज की नमाज के फौरन बाद और ईशा की नमाज के फौरन बाद पढ़ना है और कोशिश करे के नमाजों की भी पाबंदी करे और कब तक पढ़नी है तो इसका जवाब है के 40 रोज तक और बहतर यही है के उसके बाद मे भी पढ़ा जाए लेकिन 40 दिन तक को बिना नागा किया पढ़नी है ।

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अल्लाह पाक इस दुआ के सदके आपके तमाम कर्जे को दूर कर देगा और आपके रिज्क मे बे शुमार बरकते अता करेगा और बेशक वो हर चीज पर कादिर है जिसे चाहे खजानों से नवाजे और जिसे चाहे फाका दे ।

कर्ज उतारने वली दुआ की दलील पेश ए हाजिर है ।

इसकी दलील ये है के एक मशहूर सहाबी ए रसूल, हजरत सईद रदी अल्लाहु ताला अनहू बयान करते है के हुज़ूर नबी ए करीम एक दिन मस्जिद मे तशरीफ़ ले गए तो आपने हज़रत अबू उमामा रदी अल्लाहु ताला अनहू को देखा आपने फरमाया,

” ए ! अबू उमामा तुम इस वक्त मे जबकि नमाज का वक्त नहीं है मस्जिद मे क्यों और कैसे बैठे हो ? ” हजरत अबू उमामा रदी अल्लाहु ताला अनहू ने अर्ज किया की या रसूल ए खुदा ! मै बहुत अफकार और कर्जे के बार से जेरे बार हो रहा हूँ फिर आपने इरशाद फरमाया के,

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” क्या मै तुमको एक एसा कलाम न तालीम करू के जब तुम इसको पढ़ो तो अल्लाह पाक तुम्हारी फिक्र को दफा फरमा डे और तुम्हारे कर्ज को अदा कर दे ! हजरत अबू उमामा रदी अल्लाहु ताला अनहू ने अर्ज किया के क्यों नहीं या रसूल ए खुदा, फिर आपने ये दुआ इरशाद फरमाई ।

अल्लाहुम्मा इन्नी अउजूबि – क – मि – नलहम्मी वल हुजिन व अउजूबि – क – मिनल इजिज वल कस्लि व अउजूबि – क – मिनल जूबनि वल बुखलि व अउजूबि – क – मिन गल बतिद – दइनि व कहरिर रिजाल ।

इस दुआ को पढ़ने के बाद हजरत अबू उमामा रदी अल्लाहु ताला अनहू कहते है के मेने इस दुआ को पढ़ा तो मेरी फिक्र जाती रही और खुदावन्दे ताला ने मेरे कर्ज भी अदा फरमा दिए । ( अबू दाऊद जिल्द 1 सफा 217 )

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कर्ज उतारने की दुआ कुरान ए मजीद से

मेरे अजीजों अब जानते है के कुरान ए पाक मे कर्ज उतारने की दुआ किस तरह आई और कुरान क्या कहता है इसके बारे, कुरान ए मजीद मे सूरह बकरा की आयत 286 मे आता है कि,

” तुम्हारे रब ! अगर हम भूल गए हो या हमसे कोई गलती हो गई हो तो हमे उस पर न पकड़ और हम पर एसा बोझ न डाल जैसे पहले लोगों पर डाला गया था और हमसे वो बोझ न उठवा जिसकी हम ताकत नहीं रखते,

और हमे माफ फरमा और हमे बख्श दे और हम पर रहम फरमा तू ही हमारा मौला है, तू हमे मुशरीकों के मुकाबले मे मदद दे । ” इस दुआ को रोजाना नमाजों के बाद याद के साथ पढे इंशा अल्लाह आपका कर्जा उतर जाएगा, अल्लाह पाक कही न कही से असबाब बनवा देता है ।

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कर्ज कैसे उतारे?, हदीस ए पाक मे क्या आया ?

हमारे प्यारे-प्यारे आका, हुज़ूर नबी ए रहमत ने अपने सहाबा को एक खास दुआ सिखाई थी जो कर्ज अदा करने मे बहुत मदद करती है। हजरत अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहु ताला से रिवायत है के, नबी ए करीम ने इरशाद फरमाया,

” क्या मै तुमको एसी दुआ न सिखाऊ जो अगर तुम्हारे कर्ज जेसे कोह सफा के बराबर भी हो तो अल्लाह उसे अदा कर देगा ? ” और वो दुआ ये है कि, ” अल्लाह ! अपने हलाल रिज्क के जरिए मुझे हराम से बचा और अपने फजल से मुझे दूसरों से बे नियाज कर दे । ” इस दुआ को आप सुबह और शम नमाजों के बाद 3-3 बार पढे ।

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मौला ए कायनात हजरत अली रदी अल्लाहु ताला अनहू ने बताई – कर्ज उतारने की दुआ

मेरे प्यारो दामाद ए रसूल ए खुदा, मौला ए कायनात हजरत अली रदी अल्लाहु ताला अनहू ने एक बार एक शख्स को कर्जा उतारने के लिए बहुत ही खास और बहुत अहम दुआ बताई थी जिसके मायने है,

” अल्लाह ! मै तुझे फिक्र, गम, कमजोरी, सुस्ती, बुखल, डर, कर्ज के बोज और लोगों के घलबे से पनाह माँगता हूँ । ” ये दुआ न केवल आपको कर्जे से नजात देगी बल्कि ये उसके जज्बाती असरात से भी बचायेगी ।

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कर्ज अदा करने के लिए कुरान के वजीफे क्या है ?

01) सूरह फातिहा का वजीफा

आप रोजाना 11-11 मर्तबा सूरह फातिहा पढे और फिर अल्लाह से अपने कर्ज को चुकाने के लिए रो-रो कर दुआ करे इंशा अल्लाह अल्लाह पाक आपके कर्जे के असबाब जल्द से जल्द बनवा देगा और ये नमाजों केबाद या किसी भी वक्त अकेले मे किया जाना चाहिए ।

02) सूरह वाकिआ का वजीफा

हमारे प्यारे-प्यारे आका, हुज़ूर नबी ए रहमत ने इरशाद फरमाया के, ” जो शख्स रोजाना सूरह वाकिया पढ़ता है उसे कभी फकीरी या तंगदस्ती का सामना नहीं होता । ” इस सूरह को हर रात सोने से पहले पढ़ना कर्ज उतारने मे बहुत ही ज्यादा मुफीद है, इसलिए आप आज ही से इसका वजीफा शुरू करदे ।

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कर्ज उतारने के लिए ये अमल करे

01) हराम कामों से बाज रहना

अगर हम मे से किसी भाई का माल या इनकम हराम जरिए से हो तो कर्ज कभी भी खत्म नहीं होगा इसलिए अपने रिज्क को हमेशा ही हलाल रखे तबही बरकते अता की जाएगी और चाहे कम हो लेकिन हलाल हो हराम नहीं ।

02) सदका देने की आदत बनाए

मेरे प्यारो चाहे चोटी सी ही रकम क्यों न हो लेकिन आप रोजाना या हर हफ्ते कुछ न कुछ जरूर सदका दिया करे चाहे मस्जिद मे जुमा को जाते ही होंगे तो वहा कुछ न कुछ सदका दे आये सदका बुरी बलाओ को टालता है और अल्लाह की रहमत को अपनी तरफ खीचता है ।

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03) हर एक जाएज काम बिस्मिल्लाह से शुरू करना

मेरे अजीजों आप अपने हर एक काम बिस्मिल्लाह से ही शुरू किया करे और हर रोज सूरह इखलास, सूरह फलक और सूरह नास पढ़ने की आदत बनाए हर एक किस्म का बुरा असर दूर हो और आप कामियाबी की तरफ चले ।

कर्ज अदा करने के लिए कुछ खास बाते

फिजूल खर्चा बंद करे- जिस चीज की जितनी जरूरत है उस चीज को उतना ही लीजिए और ये कंजूसी नहीं बल्कि समझदारी कहलाती है ।

एक्स्ट्रा कमाई की सोचे- फरीलनसिंग, part टाइम जॉब्स या कोई चोटी सी अनलाइन बूसिनेस करे या कोई दूसरा ऑफलाइन करे जिससे की आपकी एक्स्ट्रा इनकम हो सके ।

बजट बनाइये अपनी आमदनी और खर्च का हिसाब लिखे और जितना हो सके हर एक छोटे से छोटे हिसाब को भी लिखनी आदत बनाइये ।

इस्टिगफार ज्यादा से ज्यादा करे हर एक रोज कम से कम आप 100 मर्तबा इस्टिगफार करे इससे आपके रिज्क मे बरकत होगी और उसमे इजाफा भी होगा ।

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खुलासा ए कलाम

मेरे अजीजों कर्ज असल मे एक इम्तिहान है लेकिन अल्लाह की बारगाह मे आपकी ये दुआए उसकी रहमत को बुलावा देति है और उसको मांगने वाले बड़े पसंद है और आप ये कर्ज उतानरे की दुआ और वजीफे दिल से पढे,

और हलाल रिज्क से अपनी जिंदगी बशर कर रह हो तो जल्द ही ये कर्जे के बादल भी आपके सर से हटने वाले होंगे और अल्लाह पाक एसे लोगों की जरूर मदद फरमाता है जो उससे मांगते है बस आप भी अपने रब से अपना तालुक मजबूत रखे ।

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