काश ! मै भी हीरो होता

काश ! मै भी हीरो होता

मै भी अपनी जिंदगी मे हीरो होता !

मै इस बात को समझता हूँ के यहा पर लिखा है हीरो इस शब्द का मतलब आप मे से 99% लोग सबसे होंगे कि किसी नाचने-गाने या ऐक्टिंग करने वाले की हसरत है जो कि बिल्कुल ही गलत है हीरो का माएना कुछ और है मेरे अजीजों ।

हीरो का असल मायना है अल्लाह को राजी करने वाला, हुज़ूर नबी ए रहमत से सच्ची-पक्की मुहब्बत करने वाला और लोगों के लिए खैर के काम करने वाला नैकिया करने वाला और नैकिया करके छुपाने वाला एक दूसरे के लिए अदब, मुहब्बत और शफकत के दरवाजे खोलने वाला है ये है हीरो शब्द का असली मतलब ।

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हीरो का मकसद क्या होता है ?

अगर आप हीरो के मकसद के बारे मे जाने तो सबसे पहला मकसद ये है के छोटी-छोटी चीजों पर अल्लाह की रिजा तलाश करना और कोशिश करना हर एक काम को एसा किया जाय के मेरा खुदा मुझसे नाराज न हो जाए ।

मकसद ये भी होता है के खालिक की इस मखलूक की ज्यादा से ज्यादा खिदमत करी जाए और इनकी मदद की जाए अब ये जरूरी नहीं के बस रकम से ही किसी की मदद की जा सकती है बल्कि आप उसकी मदद उसको मशवरा देकर भी कर सकते हो,

उसके लिए कोई खैर काम करके भी कर सकते हो और तो और अगर ये भी नहीं तो फिर आप उसके लिए दुआ करके भी उसकी मदद कर सकते हो ये होता है असल हीरो का मकसद ।

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हीरो के कर्म यानि कि काम क्या-क्या होने चाहिए ?

एक असल हीरो जिससे उसके घर वाले खुश रहे उसके काम और क्या-क्या होने चाहिए चलिए इनको तफसील से जानते है पहले आप इस बात को अपने-अपने जहनों मे बिठाल लीजिए के दीन ए इस्लाम मे एक इंसान को बहतर बनाने के लिए जो-जो चीजे देने थी वो सारी चीजे दे दी है ।

यानि के दीन ए इस्लाम को जो कोई सच्चे से मानता होगा और जो ब अमल मुसलमान होगा वो कही मात खा ही नहीं सकता है क्योंकि रब ए कायनात ने कुरान ए मजीद मे इंसानों की अक्ल से भी बड़ फरमा दिया है। अब इनके दुनिया मे खास क्या होने चाहिए ?

इश्क और मुहब्बत कैसे करे ?

01) अल्लाह की रजा और बंदों की बकाह

रब ए काएनात फरमाता है के दुनिया मे तुम मेरे थोड़े दिए पर राजी हो जाओ तो कल मैदान ए महशर मे मै भी तुम्हारे थोड़े अम्लों पर ही राजी हो जाऊंगा इसका मतलब ये निकला के आप अपनी जिंदगी मे किसी चीज की कोई शिकायत न करे ।

हा कोशिश करे और आपके लिए कोशिश करना ही बताया गया है लेकिन वो चीज आपको मिलेगी या नहीं मिलेगी इसके फेसले का हक आपको नहीं है और अल्लाह जो करता है बहतर ही करता है इसलिए किसी चीज की कोई टेंशन न ले बस जिंदगी के जो दिन है उन्मे कोशिश करे आपका,

हर एक काम एसा हो जाए के किसी का दिल न दुखे आपके घर वाले आपसे खुश रहे और अल्लाह और रसूल भी आपसे राजी रहे इसलिए कहते है के अल्लाह की रजा और बंदों की बकाह ।

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02) नबी ए करीम पर फिदा

क्या ही नसीब पाए है हम लोगों ने ! कि उस नबी की उम्मत पे पैदा हुए के जिस नबी की उम्मत मे पैदा होने के लिए मुकम्मल 12 नबियों ने दुआ की और उस नबी की उम्मत मे हम और आप पैदा हुए ये बहुत बड़ी बात है अगर आप समझते है तो ।

नबी ए करीम ने खुद इरशाद फरमाया है के तुम मे से किसी का ईमान मुकम्मल हो ही नहीं सकता जब तक कि वो दुनिया की हर एक चीज से ज्यादा मुझसे मुहब्बत न करे । इसलिए हम सबको चाहिए के दिल मे हुज़ूर की मुहब्बत इस तरह बसी हो के आने वाली नस्ले उनसे शैराब होती चले।

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03) माँ बाप और घर वालो के हुकूक अदा करना

मेरे अजीजो माँ एक ऐसी बैंक है जिसमे आप अगर पत्थर ही जमा करदो तो उस पत्थर को भी वो इस तरह रखेगी जैसे मानो कि हीरा हो सोना हो और बाप एक ऐसा atm है,

जिसमे बेलेंस हो या न हो लेकिन फिर भी वो हर जगह अपने बच्चों की खातिर चलेगा ही चलेगा, और हदीस मे आपने भी पढ़ा होगा कि माँ के कदमो के नीचे जन्नत है और बाप उस जन्नत की चाबी है।

मिया-बीवी का एक वाहिद रिश्ता ऐसा है जो कि जन्नत मे भी चलेगा अगर दोनों नैक रहे तो अल्लाह पाक दोनों को जन्नत मे भी साथ मिया बीवी ही रखेगा और भाई बहिन छोटे हो या बड़े सबका ही अदब और इनके जहनो के मुताबिक उनसे,

ऐसा कलाम करें कि वो भी आपसे खुश रहे किसी को कोई तकलीफ न हो हर एक के हुकूक अदा करते रहे अगर बीवी और माँ मे झगडे होने लगे है तो सुलझाने की कोशिश करें अगर फिर न माने तो घर के 2 दरवाजे करले लेकिन माँ और बीवी दोनों के ही हुकूक अदा करें।

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04) पडोसी और रिश्तेदारों से मुहब्बत कायम व दायम रखे

पडोसी के हुकूक के तालुक से किताबों मे आता है के अगर आपके यहाँ गोस्त बना हो और उतना ही बना हो जितने घर मे लोग है तो उसमे थोड़ा पानी बढ़ाकर एक कटोरी अपने पडोसी को देकर आओ इससे मुहब्बत मे इजाफा होगा।

पडोसी गरीब है तो उसकी माली मदद करो अगर कर सके तो और मशवरे दो और अगर ये भी नहीं तो उसके हक मे दुआ करो ठीक ऐसे ही रिश्तेदारों के अदब और उनकी इज्जत करो।

जब कोई मेहमान आये तो जो भी रखा हो खाने पीने के लिए उसके सामने रखो ये सुन्नत ए रसूल है इसके बे शुमार फायदे है इससे आपको इज्जत भी मिलेगी साथ ही साथ आपकी रूह को भी गिज़ा मिलेगी।

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05) अच्छे आमाल और उनको छुपाये

जितना हो सके उतना ज्यादा से ज्यादा नैक आमाल करे और फिर एसे हो जाए के नैकी कर और दरिया मे डाल और फिर इन नैकियो के बारे मे कोई भी चर्चा न करे बल्कि आगे बड जाए नैक काम करे जैसे गिरो हूओ लोगों को सहारा दे, जो लोग दीन से दूर हो उनको दीन की तरफ लाए ।

नमाजों की दावत दे, सलाम आम करे गली मुहल्ले मे और बाजारों मे नजरे नीचे करके चले कोई ईठ पत्थर पड़ा हो रास्ते मे तो उसको हटाए और बुरे कामों से खुद तो बचे ही और साथ ही मे दूसरों को भी बचाए तबलीग का काम करे ।

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06) रात मे अपना मुहासिबा करे

ये हमारे असलाफ़ों का तरीका रहा है के जब रात आती तो वो लोग अपने दिन भर के कामों का मुहासिबा करते और देखते के कही मेरी वजह से किसी का दिल तो नहीं दुखा, कही मेरी कोई सी नमाज कजा न हो गई और सुन्नत तो झुटी नैक आमाल कितने हो सके ।

ठीक एसे ही आप भी करे खुद के आमाल रोजाना रात मे सोने से पहले चेक किया करे और अल्लाह की बारगाह मे तौबा करके सोया करे क्योंकि न जाने कौनसी रात हमारी आखिरी रात को मरना तो सब को ही है फिर क्यों न उस तरह तैयारी करके मरे जिस तरह हमारा रब चाहता है ।

तिलावत ए कुरान रात मे ज्यादा से ज्यादा पढे और दुरूद शरीफ की कसरत करे इंशा अल्लाह आप दुनिए मे भी हीरो ही रहोगे और आखिरत मे भी हीरो ही रहोगे बस आमाल के साथ आपकी नियत भी साफ होनी चाहिए इंशा अल्लाह कामियाबी जरूर मिलेगी ।

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खुलासा ए कलाम

काश ! मै हीरो होता इसका मतलब यही निकलता है के मै नैक बन जाऊ जिससे कि मेरे घर मे भी दीन फेले और गली मुहल्ले मे भी दीन की दावत आम कर सकु और वो काम करू जिससे मेरा रब राजी हो वो काम करू जिससे मेरे आका खुश हो ।

साथ मे ही घर वालो के हुकूक अदा करू और जितनी मेरी हेसियत है या कहे के जितनी अल्लाह पाक ने मुझे कूवत दी है उस कूवत से इस उम्मत की खिदमत कर सकु और जहा तक हो सके गैरों को भी अमल के जरिए से बता सकु के देखो न तो मै झूठा हूँ और न मेरा नहीं झूठा है और न ही कुरान झूठा है ।

और खुदा एक ही है जो करीम है और सख्त पकड़ भी वही करेगा और तमाम नबियों मे मेरे नबी की शान सबसे अलग ही नहीं सबसे खास है जिनके बारे मे मेरे इमाम ने लिखा है के,

मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम !
शम्’-ए-बज़्म-ए-हिदायत पे लाखों सलाम !

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