मेरे अजीजों इस मोजू को शुरू करने से पहले आप ये कायदा समझ ले कि दीन ए इस्लाम की पाक तालीमात मे हर एक अमल हिकमत और दानिशमंदी पर ही मबनी होता है जो कुछ नबी ए करीम ने अपनी जिंदगी मे किया उसमे हर एक चीज उम्मत के लिए और इंसानियत के लिए बहतरी ही रही बस कोई सही चश्मा लगा कर पढ़ने वाला हो ।
बहुत से गैर-मुस्लिम और यहा तक कि कुछ मुसलमान भी अक्सर यह सवाल करते है कि हुज़ूर नबी ए करीम ने 11 निकाह क्यों किये ? और इसके पीछे क्या हिकमत थी हुज़ूर नबी ए करीम का क्या मकसद था ? आइए हम इस सवाल का जवाब मुकम्मल तौर पर तलाश करते है, तफ़सीली मालूमात के साथ !
हुज़ूर नबी ए करीम की हजरतए आयेशा से मुहब्बत कैसी थी ?
क्या 11 निकाह करना नफ़सानी ख्वाहिश पर मबनी थे ?
हरगिज नहीं ! और ये बोलने वाला या जहन मे रखने वाला एक जाहिल के अलावा और कुछ नहीं हो सकता एक एसा जाहिल जिसको इस्लाम कोई तारीख कोई इतिहास कुछ नहीं मालूम बस सोशल मीडिया पर अपने जैसे ही और जाहिलों की एक दो विडिओ देख ली और खुद भी उन जाहिलों-सूअरो के कबीले मे शामिल हो गया ।
और अगर एसा होता तो ! आप नबी ए करीम ﷺ जवान उम्र मे ज्यादा निकाह करते जबकि आपने पहला निकाह 25 साल की उम्र मे किया और हजरतए खदीजा जिनसे निकाह हुआ वो बेवा थी और उनकी उम्र 40 साल की थी ।
और फिर आप नबी ए करीम ﷺ ने बाकी के 10 निकाह 50 साल की उम्र के बाद किये और फिर अगर आप पढ़ेंगे तफसील से तो आपको ये भी मालूम होगा के आपकी ज्यादातर बीविया बुजुर्ग, विधवा और पहले से बच्चे वाली थी ।
पहली बीवी – उम्मुल मोमिनीन हजरतए खदीजा तुल कुबरा रजियल्लाहु तआला अन्हा
आप नबी ए करीम ﷺ की पहली शादी 25 की उम्र मे हुई, जब आपने हजरतए खदीजा तुल कुबरा रजियल्लाहु तआला अन्हा से निकाह फरमाया जो कि एक मालदार और निहायत इज्जतदार ताजिरा थी उस वक्त हजरतए खदीजा की उम्र 40 साल की थी ।
जब तक हजरतए खदीजा रही तब तक हुज़ूर ने किसी और से निकाह नहीं किया और इन दोनों का रिश्ता मुहब्बत, इखलास पर बुनियाद था। हजरतए खदीजा के वतन मुबारक से ही हुज़ूर को बेटे-बेटियो की नेमत मिली,
जिनमे सबसे मशहूर हज़रत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा है और ये हुज़ूर की सबसे छोटी बेटी थी । इससे साबित होता है के जो लोग हुज़ूर पर तोहमद लगाते है के उनको निकाह करने का शौक था वो गलत है ।
हजरतए खदीजा के विसाल के बाद निकाह किये हजरत मुहम्मद ﷺ ने

याद रखे हुज़ूर नबी ए रहमत ने उस वक्त कोई दूसरा निकाह किया ही नहीं जब तक हजरतए खदीजा ब हयात रही लेकिन आप हजरतए खदीजा के विसाल करने के बाद आप नबी ए करीम ने मुखलतीफ़ औकात यानि के वक्तों मे 10 निकाहत किये इन तमाम निकाहों के पीछे कोई न कोई दीनी, समाजी और इस्लामी मकसद था ।
02) हजरते सौदा बिनते जमआ रजियल्लाहु तआला अन्हा
ये एक अरब की बुजुर्ग औरत थी और इनके शौहर का इंतेकाल भी हो गया था इनसे निकाह करने का मकसद था कि इनको सहारा देना और मुसलमान औरतो को ये पैगाम देना कि उनका दीन मे दर्जा कम नहीं है ।
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03) हजरतए आयेशा बिनते अबू बकर रजियल्लाहु तआला अन्हा
इनके वालिद ए मोहतरम थे हजरतए अबू बकर सिद्दीक रजियल्लाहु तआला अनहू जो कि इस्लाम के पहले खलीफा थे इनसे निकाह करने के मकसद था के हजरतए अबू बकर सिद्दीक से रिश्तेदारी और मजबूत हो और ये आप हजरत अबू बरकर सिद्दीक की ही दरख्वास्त थी।
आप हजरतए आयेशा रजियल्लाहु तआला अन्हा सबसे ज्यादा हदीसे बयान करने वाली उम्मुल मोमिनीन है और हजरतए खदीजा के पर्दा करने के बाद हुज़ूर नबी ए रहमत को सबसे ज्यादा मुहब्बत आप हजरतए आयेशा रजियल्लाहु तआला अन्हा से ही थी ।
04) हजरत हफसा बिनते उमर रजियल्लाहु तआला अन्हा
इनके वालिद ए मोहतरम थे हजरतए उमर ए फारूक रजियल्लाहु तआला अनहू जो कि इस्लाम के दूसरे खलीफा रहे इनसे निकाह करने की वजह भी यही थी के इनके शौहर का इंतेकाल हो गया था ।
इनको सहारा देने के लिए आप नबी ए करीम ने इनसे निकाह किया था इनसे निकाह करने का मकसद ये भी था के तमाम ही साहाबियों की अजमत को उजागर करना और उनके घर वालों की दिलजोई करना ।

05) हजरतए जैनब बिनते खुजैफा रजियल्लाहु तआला अन्हा
इनको रुतबा मिला उम्मुल मसाकीन यानि के गरीबों की मा इनसे निकाह करने के मकसद के उनके जैसे बे सहारा लोगों को सहारा देना लेकिन ये हुज़ूर से निकाह करने के बाद कुछ ही वक्त इस दुनियाए फ़ानी मे रही और फिर जल्द ही इंतेकाल फरमा गई ।
06) हजरतए उम्मे सलमा रजियल्लाहु तआला अन्हा
इनका नाम हिन्द बिनते अबू उम्मेया था ये एक अहले इल्म और समझदार खातून थी इनके पहले शौहर की शहादत के बाद, उनके बच्चे यतीम हो गए थे तो इनको और इनके बच्चों को पनाह देने के लिए आप ने इनसे निकाह किया ।
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07) हजरतए जैनब बिनते जहश रजियल्लाहु तआला अन्हा
पहले हजरतए जैद बिन हारिस ( जो की एक गुलाम थे और बाद मे गोद लिए बेटे बने ) से शादी हुई थी और जब तलाक हुआ तो आप नबी ए करीम ने इनसे निकाह किया इस निकाह करने का मकसद ये था के अरब रस्मों रिवाज को तोड़ना जैसे जो भी गलत रिवाज था उस वक्त उनको हुज़ूर ने खुद अपने अम्लों ने तोड़ा ।
08) हजरते जुवैरिया बिनते हारिस रजियल्लाहु तआला अन्हा
ये एक कबीले के सरदार की बेटी थी और जब इनका पूरा कबीला मुसलमान हुआ तो आप नबी ए करीम ने इनसे निकाह फरमाया और इनसे निकाह करने से बहुत सारे लोग इस्लाम मे दाखिल हुए उन्होंने हक को पहचाना और माना ।
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09) हजरतए उम्मे हबीबा रजियल्लाहु तआला अन्हा
इनके वालिद सहाब अबू सूफियान थे जो के उस वक्त इस्लाम के दुश्मन थे और ये हबशा मे थी और जब इनके शौहर ने इसाइयत इख्तियार करली तब ये अकेली रह गई आप नबी ए करीम ने इनको तसल्ली देने के लिए इनसे निकाह किया ।
10) हजरतए सफिया बिनते हुय्यऐ रजियल्लाहु तआला अन्हा
ये एक यहूदी सरदार की बेटी थी एक के बाद ये भी मुसलमान हो गई थी और इनसे निकाह करने के बाद दोनों कबीलों के तालुक बहुत बहतर हो गए थे इनको भी हुज़ूर ने सहारा देने के लिए निकाह किया था ।
11) हजरते मैमुना बिनते हारिस रजियल्लाहु तआला अन्हा
ये वो उम्मुल मोमिनीन थी जिनका निकाह हुज़ूर से आखिरी बार हुआ और इनके निकाह से बहुत सारे रिश्तेदार इस्लाम मे दाखिल हुए गोया के इस निकाह से बहुत सारे लोग ईमान लेकर आये ।
घर की लड़ाई-झगड़े कैसे खत्म करे ?

हुज़ूर के 11 करने का असल मकसद ये रहा ?
01) दीन की तबलीग और इसलाह: मुखतलीफ़ कबीलों और खवातीन के जरिए से इस्लाम की तबलीग करना ।
02) सोशल जस्टिस: वो औरते जो विधवा और बे सहारा थी उनको सहारा देना ।
03) रवायात और इल्म का फैलाव: उम्मुल मोमिनीन हजरतए आयेशा और उम्मे सलमा ने हजारों हदीसे बयान फरमाई ।
04) कबीलों मे मेलजोल: निकाह के जरिए मुखतलिफ़ कबीलों से रिश्तेदारी बनी, जिससे लड़ाई-झगड़े खत्म हुए ।
हजरतए फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ?
खुलासा ए कलाम
हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने 11 निकाह क्यों किये मुकम्मल मालूमात के जवाब मे यह कहना बिल्कुल सही होगा दुरुस्त होगा कि : इन तमाम निकाहों का मकसद न तो दुनिया की हसरत थी और न ही नफ़सानी ख्वाहिश बल्कि ये सब इसलाह, तबलीग, इंसाफ और दीनी तालीमात के फैलाव के लिए थे ।
अल्लाह पाक ने हुज़ूर नबी ए करीम के तालुक से कुरान ए मजीद की सूरह अल अंबिया की आयत नंबर 107 मे इरशाद फरमाया है के, ” और हमने तुम्हें पूरी कायनात के लिए रहमत बनाकर भेजा है । ”
हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ न केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि हर एक के लिए जिसमे हर एक इंसान है अल्लाह पाक ने सब के लिए हुज़ूर को रहमत बनाकर भेजा है बस कोई होना चाहिए जिसको हक जानने की चाहत हो तो वो जरूर किताबों के जरिए से हक को पहचान ही लेगा ।