रूह कैसे निकलती है । Rooh kaise nikalti hai

रूह कैसे निकलती है इसकी हकीकत

हर एक इंसान की जिंदगी एक दिन खत्म होती है और उस वक्त इंसान की रूह उसके जिस्म से जुदा हो जाती है लेकिन सवाल ये आता है के ” रूह कैसे निकलती है ” इस्लामिक नजरिए से रूह के निकलने की एक मुकम्मल तौर पर जानकारी और रूहानी एहसास के बारे मे अच्छे से जानेंगे इस पोस्ट मे हम जानेंगे के रूह कैसे निकलती है उसके साथ क्या होता है और मरने के बाद की दुनिया का सफर कैसा होता है ।

दोस्तों आज के इस पोस्ट मे हम तफसील से समझेंगे के इंसान की मौत के वक्त उसके जिस्म से रूह कैसे निकलती है मौत कैसे आती है किस तरह फिरिश्ते इंसान की रूह को कब्ज करते है और क्या आलम होता है इन सवालों का और जो भी रूह के तालुक से सवाल आपके जहन मे हो उनको कुरान और हदीस से समझेंगे के रूह कैसे निकलती है।

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(01) रूह क्या है ?

रूह अल्लाह की बनाई हुई एक नूरानी मकहलूक है जो इंसान के जिस्म को जिंदगी देती है इसके तालुक से अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है:

” और वो तुमसे रूह के बारे पूछते है कह दो के रूह मेरे रब के हुक्म से है “

इस आयत से मालूम होता है के रूह को अल्लाह पाक ने बहुत ही खास मकहलूक के लिए बनाया है और इंसान हर एक मकहलूक मे सबसे बहतर है लिहाजा इनकी भी रूह एक वक्त ए मुकर्रर पर कब्ज की जाएगी।

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(02) मौत का वक्त: रूह का जिस्म से निकलना

रूह कैसे निकलती है इसका जवाब हदीसो मे बखूबी मिलता है जब इंसान की मौत का वक्त आता है तो अल्लाह पाक के हुक्म से मलकूत मौत ( यानि के मौत का फिरिश्ता ) उसकी रूह को निकालने के लिए आता है अब अगर नेक आमाल किसी के रहे हो तो उसकी रूह अलग तरीके से निकलती है और अल्लाह न करे के किसी के आमाल खराब रहे तो उसकी रूह अलग तरीके से निकलती है।

नेक लोगों की रूह का निकलना:

जो लोग नेक होते है नमाजों की पाबंदी के साथ-साथ रोज़े भी रखते है अल्लाह पाक ने माल दिया तो हज भी किया और गरीबों यतीमों की अपनी हेसियत के हिसाब से मदद करते रहे तो उनके तालुक से हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है,

” जब मोमिन बंदा दुनिया से जाने लगता है तो रहमत के फिरिश्ते नूर से बने हुए चेहरे लेकर आते है और उस मोमिन की रूह को बड़ी नरमी से निकालते है जैसे पानी का कतरा मश्क से निकलता है । “

इसका मतलब है के नेक लोगों की रूह बड़ी आसानी से और आराम से निकलती है ।

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बुरे लोगों की रूह का निकलता:

अल्लाह न करे के कोई बे नमजी कब्र मे गए और उसके आमाल भी बहुत खराब रहे और जो कुछ किया सब दिखावे मे गवा दिया न रोज़े रखे और न ही गरीबों यतीमों की मदद की तो एसे बंदे की रूह जब निकाली जाती है और कोई फासिक या बदकार इंसान मरता है तो उसकी रूह को निकालना बहुत तकलीफदेह होता है फिरिश्ते उसे मरते हुए कहते है:

” निकाल अपनी रूह को ! आज तुझे जिल्लत और अजाब मिलेगा । “

(03) रूह निकलने के बाद क्या होता है ?

रूह कैसे निकलती है जानने के बाद यह समझना भी जरूरी है के उसके बाद रूह के साथ क्या होता है:

a ) कफन और जन्नत की खुशबू मिमिन के लिए:

फिरिश्ते उस रूह के कपड़े और खुशबू मे लपेटते है और उसे आसमान की तरफ ले जाते है और इसके साथ बहुत नरमी होती है।

b) दोजख की बदबू और अंधेरा गुनहगार के लिए:

गुनहगार की रूह को बदबूदार कपड़े मे लपेटा जाता है और आसमान के दरवाजे उसके लिए बंद कर दिए जाते है और उसके साथ बहुत सख्ती होती है ।

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(04) आलम ए बरजख का आलम

रूह निकलने के बाद एक न्यू जिंदगी और दुनिया शुरू होती है जिसे ” आलम ए बरजख कहा जाता है यह दुनिया कयामत तक जारी रहेगी हर एक लिए और ये वो जगह है जिसमे रूह को रखा जाता है अगर आपके आमाल अच्छे रहे तो आपको बहुत बहुत मुबारक हो और अगर अगर खराब रहे तो बहुत ज्यादा सख्ती होनी वाली है लिहाजा अगर नेक है तो दिखावे से बचते हुए ओर ज्यादा नेक आमाल करने लगे,

और अगर नेक आमाल नहीं है तो गौर करने वाली है अभी वक्त है कल जब रूह निकल जाएगी तब एक लम्हे की भी मोहलत नहीं मिलेगी ।

  • मोमिन की रूह: उसके लिए एक रौशन कब्र होती है जिसमे जन्नत की हवा आती है और वह सुकून मे रहती है ।
  • गुनहागार की रूह: उसके लिए अंधेरी और तंग कब्र होती है और जिसमे अजाब होता है।

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(05) रूह निकलते वक्त किस हालत मे होता है इंसान ?

जब इंसान की रूह निकलने लगती है तो कुछ निशानिया जाहीर होने लगती है:

  1. साँसों की रफ्तार धीमी हो जाती है
  2. आंखे ऊपर या एक जगह टिक जाती है
  3. हाथ-पैर ठंडे होने लगते है
  4. चेहरा पीला या नीला पड़ने लगता है

ये कुछ आम निशानिया है के जिस वक्त जिस्म रूह से जुदा होने लगते है तो आम तौर पर यही हालत बन जाती है लेकिन जिस बंदे ने नेक आमाल किये मा बाप को राजी रखा बीवी के हुकूम अदा किये और अपने बच्चों की नेक तर्बियत की तो वो बड़े ही सुकून मे रहता है और रहती है और ये कोई चीज उसके साथ नहीं होती बल्कि उसके चेहरे पर एक रूहानी नूर आ जाता है।

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(06) रूह निकलने के वक्त की दुआ क्या है ?

हमारे प्यारे-प्यारे नबी, हुज़ूर नबी ए रहमत, इरशाद फरमाते है के मरने वाले के पास ये दुआ करनी चाहिए जिसके माएने है के, ” ए अल्लाह पाक, इसे माफ फरमा और इस पर रहम कर ) या ये पढे के ” ला इलाहा इलाहा ” मरते वक्त ये कलमा पढ़ना भी बहुत फाजिलट वाला है ।

इसके अलावा जब देखो किसी की आखिरी साँसे चल रही है तो फिर उसके सिर हाने बैठ कर सूरह यासीन की तिलावत करो क्योंकि ये नजा का वक्त बहुत नाजुक होता है शैतान बहुत जोर लगाता के कैसे भी करके इसको बहका दिया जाए लेकिन जब आप सूरह यासीन पढ़ोगे तो शैतान उसे सुनते ही भाग जाएगा।

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(07) मौत का दर्द कैसा होता है ?

मौत यानि नजा के वक्त का आलम बहुत ही खतरनाक होता है और हमारे प्यारे-प्यारे आका, हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है के, ” मौत का दर्द उस वक्त एसा होता है जैसे कोई लोहे की काँटेदार चीज इंसान के जिस्म से निकाली जा रही हो ये दर्द सिर्फ रूह ही महसूस करती है लेकिन कभी-कभी चेहरे से भी जाहीर हो जाता है अगर गुन्हागर हुआ तो

और अगर नेक हुआ तब भी आप उसके चेहरे के सुकून को देख इसकी जीत का अंदाजा लगा सकते हो और खुद को तसल्ली दे सकते हो ।

(08) कुरान और हदीस मे रूह का तजकिरा

कई जगहों पर कुरान शरीफ मे और हदीस ए पाक मे रूह और मौत का जिक्र आता है ये कुछ आयात और हदीसे है जिनसे आप इल्म हासिल करे जैसे के,

कुरान शरीफ मे अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है सूरह वाकिया मे के, ” जब जान गले तक पहुँच जाती है ” इसी तरह हदीस शरीफ मे आता है के, ” तुम वेसे ही मरोगे जैसे जियोगे और वेसे ही उठाए जाओगे जैसे मारे हो । ”

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तो ये कितनी बड़ी बात है के जैसे आप जियोगे वेसे ही मरोगे अल्लाह न करे किसी को शराब की आदत हो तो उसी के नशे मे और किसी को जिना के गुनाह की बीमारी हो तो उसी हालत मे यानि के ना पाक ही मरेगा मेरे प्यारो ये गौर करने वाली है और बहुत ज्यादा तवज्जो देने वाली है अगर हम चाहते है के हमारी आखिरत सवर जाए तो हमे चाहिए के किसी भाई या बहिन का दिल न दुखाए और अच्छे आमाल करे।

(09) रूह और इंसान का तालुक

इंसान की असल पहचान उसकी रूह से है जब रूह निकल जाती है तो जिस्म माटी यानि मिट्टी बन जाता है और यही वजह है के इस्लाम मे रूह की पाकी और उसकी हिफाजत पर जोर दिया जाता है ।

इसलिए कहा जाता है के जिस तरह इंसान के शरीर को खाना खाने से ताकत आती है ठीक इसी तरह इंसान की रूह को जिक्र ए खुदा करने से ताकत आती है और जो बंदा या बंदी जितना ज्यादा जिक्र ए खुदा करता है या करती तो उसका रब से कनेक्शन उतना ही ज्यादा अच्छा और मजबूत जुड़ता है ।

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(10) क्या रूह लौट सकती है ?

हमारा कुरान और रब का फरमान ये बताता है के जब किसी इंसान की रूह जिस्म से जुदा हो जाती है तो उसके बाद दुनिया मे वापिस नहीं आती है यानि के एसा नहीं होता के किसी दूसरे बच्चे की पेडाइश मे जुड़ कर आ जाए एसी बातों का इस्लाम से दूर-दूर तक कोई तालुक नहीं है हा कुछ लोगों को उनके अच्छे या बुरे आमाल की सूरत मे सपनों मे उनकी रूह का दीदारहो सकता है ।

और ख्वाब का मसला ये याद रखे के पहले के मुसलमानों का ईमान बहुत मजबूत था लेकिन आज अक्सर मुसलमानों का ईमान बहुत कमजोर है इसलिए आज के दौर मे जो भी ख्वाब ज्यादा तर लोगों को आते है उन्मे से ज्यादातर उनकी गौर और फिक्र और उनके रहने सहने के तरीकों की बुनियाद पर आते है हा हकीकत के भी आते है लेकिन बहुत कम लोगों को।

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खुलासा ए कलाम

रूह कैसे निकलती है – इस सवाल का जवाब इस्लामिक हदीसो और कुरान की रोशनी मे बड़ा गहरा और असरदार मोमिन की रूह तकलीफ मे होती है और मौत से पहले अपनी रूह की तजकीया और पाकी करना हर मुसलमान का फर्ज है ताकि आखिरी सफर आसान हो ।

लिहाजा हम से जो भी जाए के उसकी रूह जब भी निकाली जाए तो उसके साथ आसानी से आसानी हो तो उसके चाहिए के नमाजों की पाबंदी करे, रोज़े रखे, अगर अल्लाह ने दिया है तो गरीबों की मदद करे, घर वालों के हुकूक अदा करे और इसके साथ ही दीन के काम मे भी हिस्सा ले चाहे काम से चाहे माल से अपनों बच्चों की दीनी तर्बियत करे उन्हे नेक इंसान सच्चा पाक आशिक ए रसूल बनाए,

इसके साथ ही इनके दिलों मे औलिया अल्लाह की मुहब्बत डाले ताकि इनका ईमान मजबूत रहे बेशक बुजुर्गों के तरीके मे ही कामियाबी है और सबसे अहम बात के दिखावे से बचे और सब्र रखे अल्लाह पाक आसानी फरमाएगा।

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