जुलफ़े रखने का सुन्नत तरीका ( Zulfe rakhne ka sunnat tarika )

हमारे दीन ए इस्लाम मे जुलफ़े रखने का सुन्नत तरीका क्या है ? कहा तक जुलफ़े रखना सुन्नत है और इसकी क्या फ़ज़ीलत है हम किस तरह इस पर अमल कर सकते है और किस कंडिशन्स मे कुछ लोग जुलफ़े इतनी लंबी कर लेते है की वो हराम हो जाता है इन तमाम सवालों के जवाब आज के इस पोस्ट मे हम आपको तफ़सील से हदीस के साथ देने जा रहे है जिनको पढ़ कर आप भी अपनी जुलफ़े सजा सकते है और इसका सुन्नत तरीका भी जान सकते हो ।

हुज़ूर नबी ए रहमत ने कहा तक जुलफ़े रखी ?

हमारे प्यारे-प्यारे आका, तमाम नबियों के सरदार, हुज़ूर नबी ए रहमत की सुन्नत ए करीमा के आप ने हमेशा ही सर ए मुबारक के बाल शरीफ पूरे रखे । कभी कान मुबारक तक तो काभी कान मुबारक की लो तक और बाज औकात आप के बाल मुबारक बढ़ जाते तो आपके मुबारक शानो को चूमने लगते।

इस हदीस से मालूम हुआ के अगर आपको जुलफ़े रखनी है तो 3 तरीकों से रख सकते है जिनको नीचे और अच्छे तरीके से इक्स्प्लैन कर रहे है ।

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(01) चाहे तो आधे कानों तक जुलफ़े रखे

इसके तालुक से हजरते अनस बिन मालिक फरमाते है के, ” मदीने वाले मुस्तफा, हुज़ूर नबी ए रहमत की जुलफ़े मुबारक आधे कानों तक थी। चूंकि बाल बढ़ने वाली चीज है इस लिए जिस सहाबी ने आपको जैसा देखा वैसा ही रिवायत कर दिया ।

इसलिए ही चूंकि हजरते अनस बिन मालिक ने हुज़ूर की जुलफ़े कानों तक देखि तो रिवायत किया और जिस ने ज्यादा देखे उन्होंने उसी मिकदार को रिवायत किया।

(02) चाहे तो पूरे कानों तक जुलफ़े रखे

हजरते बरा बिन आजिब फरमाते है के, ” सुलताने मदीना, राहते कलबों सीना, हुज़ूर नबी ए रहमत का कद मुबारक दरमियाना था, दोनों मुबारक शानो के दरमियान फासला था और आप की जुलफ़े कानों को चूमती थी। इस हदीस से ये मालूम हुआ के कानों तक भी जुलफ़े रखना सुन्नत ए रसूल है ।

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(03) चाहे तो शानो यानि की कंदों तक जुलफ़े रखे

हजरते आयेशा सिद्दिका फरमाती है के, ” मेरे आका हुज़ूर नबी ए रहमत के सर ए अकदस पर जो बाल मुबारक होते वो कान मुबारक की लो से जरा नीचे होते और मुबारक शानो को चूमते । ” इससे ये मालूम हुआ की आप अगर ककंदों तक भी जुलफ़े रखते हो तो ये भी आपकी जुलफ़े सुन्नत के मुताबिक शुमार की जाएंगी ।

क्या शान यानि कंदों से भी नीचे रख सकते है ?

हरगिज नहीं ये और नबियों की शरीयत मे जाईज था लेकिन हमारे प्यारे-प्यारे मुस्तफा करीम की शरीयत ये हरगिज जाइज़ नहीं है बल्कि ये औरतों का तरीका है और इसको हमारी शरीयत मे हराम करार दिया गया है ।

याद रखे कोई भी पीर बगेर शरीयत के पीर नहीं हो सकता तो अगर आपने भी इसे लोग देखे है जिनके बाल कंदों से नीचे तक है और कहते है की ये जुलफ़े है और सुन्नत है तो वो गलत है बल्कि उसका ये काम सुन्नत नहीं बल्कि हराम है ।

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ज़ुल्फ़ों को सुन्नत तरीके से कैसे काड़ा जाए ?

बहारे शरीयत मे आया है के बाज लोग दाए या बाये जानिब मांग निकालते है जबकि ये सुन्नत के खिलाफ है और ज़ुल्फ़ों की बीच की मांग निकालना ही सुन्नत है हमारे प्यारे नबी बीच की ही मांग काडते थे । “

ज़ुल्फ़ों मे तेल डालने और कंगा करने की सुन्नतए और आदाब क्या है ?

हमारे प्यारे-प्यारे आका, मदीने वाले मुस्तफा, हुज़ूर नबी ए रहमत अपने सर ए अकदस और ढाढ़ी मुबारक मे तेल डालते कंगा करते, बीच सर मे मांग निकालते।

हजरते अबू हुरैरा से मरवी है के हुज़ूर ए पाक ने इरशाद फरमाया, ” जिस के बाल हो तो इनका किराम करे यानि की अच्छे से धोए, तेल लगाए । ”

इससे ये भी मालूम हुआ के हमने जुलफ़े तो रखली लेकिन उनका एहतिराम नहीं किया तो ये गलत है क्योंकी हुज़ूर के मुताबिक अगर आपने जुलफ़े रखी है तो इनको साफ रखे, तेल लगाए अच्छे से, कंगा करे ताकि देखने वालों को भी अच्छी लगे और इससे आपकी नैक नामी भी हो ।

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जुलफ़े रखने के बहुत अहम आदाब ये है ..

  1. जुलफ़े आधे कानों तक भी रख सकते है ।
  2. जुलफ़े मुबारक पूरे कानों तक भी रख सकते है
  3. जुलफ़े मुबारक शानो यानि की कंदों तक भी रख सकते है
  4. हमे चाहिए के मौके पे मौके 3 सुन्नतों पर अमल करते रहे यानि के काभी आधे कानों तक काभी पूरे कानों तक तो काभी कंदों तक
  5. कंदों तक जुलफ़े रखने वाली सुन्नत ज्यादा भारी होती है मगर जिंदगी मे एक बार तो हर एक को ये सुन्नत अदा करनी चाहिए और ये भी ख्याल रखे के जुलफ़े कंदों से नीचे न जाए

6. इमाम ए अहले सुन्नत आला हज़रत फरमाते है के औरतों की तरह कंदों से नीचे बाल रखना मर्द के लिए हराम है

7. मुफ्ती मुहम्मद अमजद अली आजमी फरमाते है के, ” मर्द को जाईज नहीं के औरतों की तरह बाल रखे बाज सूफी बनने वाले लंबी-लंबी लटे बढ़ा लेते है जो उनके लिए सीने पर सांप की तरह लहराती है ।

8. औरत का सर मुड़वाना हराम है ।

9. औरत को सर के बाल कटवाने जैसा इस जवाने मे नसरानी औरतों ने कटवाने शुरू कर दिए ये न जाईज है गुनाह है और उस पर लानत आई अगर शोहर के कहने पर कटवा दिए जब भी यही हुक्म है के औरत एसा करने मे गुनहागार होगी क्योंकी शरीयत की न फरमानी करने मे किसी का कहना नहीं माना जाएगा ।

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10. बाज लोग सीधी या उलटी मांग निकालते है जो की खिलाफ ए सुन्नत है ।

11. सुन्नत ये है के अगर सर पर बाल हो तो बीच मे मांग निकाले ।

12. हुज़ूर नबी ए रहमत से मर्द के लिए बगैर हज काभी सर मुड़ वाना जाईज नहीं है लेकिन बीमारी के सबब मुड़वा सकता है ।

13. आज कल जो मशीन या कैची से जो साइड से बाल छोटे कर दिए जाते ओर बीच मे बड़े तो एसा करने पर ये सुन्नत अदा नहीं होगी ।

14. हुज़ूर फरमाते है के जिसके बाल हो तो वो उनका इकराम भी करे यानि साफ सुथरा रखे ।

15. मर्द को दाढ़ी या सर के सफेद बालो को सुर्ख या जर्द रंग कर देना मुस्तहब है इसके लिए महदी लगाई जाती है ।

ज़ुल्फ़ों मे तेल डालने और कंगी के बहुत अहम आदाब ये है ..

(01) हजरते अनस फरमाते है के, ” अल्लाह पाक के महबूब, हुज़ूर नबी ए रहमत सर ए अकदस मे अक्सर तेल लगाते और ढाढ़ी मुबारक मे कंगी करते थे और अक्सर सर ए मुबारक पर कपड़ा रखते थे यहा तक के वो कपड़ा तेल से तर रहता था। “

(02) फरमाने मुस्तफा, ” जिस के बाल हो वो इनका एहतिराम करे यानि उन्हे धोए, तेल लगाए, कंगी करे।

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(03) हजरते नाफ़ई से रिवायत है के हजरते इबने उमर दिन मे 2 मर्तबा तेल लगाते थे बालों मे तेल का ब कसरत इस्तेमाल खुसुसन अहले इल्म हजरात के लिए मुफीद है के इससे सर मे खुश्की नहीं होती है और दिमाग तर और हाफिज़ा कवी होता है।

(04) फरमाने मुस्तफा, ” जब तुम मे से कोई तेल लगाए तो भूवे से शुरू करे यानि आँख के ऊपर माथे के नीचे जो बाल होते है वहा से शूरु करे ।

(05) कंजूल उमाल मे है के प्यारे आका जब तेल इस्तेमाल करते तो पहले अपनी उलटी हथेली पर तेल ढाल लेते थे फिर पहले दोनों अबरुओ पर फिर दोनों आँखों पर फिर सर ए मुबारक पर लगते थे

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(06) तबरानी की रिवायत है के, सरकार ए मदीना, हुज़ूर नबी ए रहमत जब ढाढ़ी मुबारक को तेल लगाते तो निचले होंट और थोड़ी के दरमियान बालों से इब्तिदा फरमाते थे ।

(07) ढाढ़ी मे कंगी करना सुन्नत है ।

(08) बगैर बिस्मिल्लाह पढे तेल लगाना और बालों को खुश्क और बिखरे हुए रखना खिलाफ ए सुन्नत है ।

(09) हदीस पाक मे आया है के जो बिना बिस्मिल्लाह पढे तेल लगाए तो 70 शयातींन उसके साथ शरीक हो जाते है

(10) मेयत की ढाढ़ी या सर के बालों मे कंगी करना, न जाईज और गुनाह है ।

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