अल्लाह के वली कौन होते है और उनकी पहचान क्या होती है ?
अल्लाह के वली यानि के अल्लाह के दोस्त कौन होते है इसका मतलब ये है के और ये अल्लाह पाक के बहुत खास और पोशीदा बंदे होते है जिस तरह नबी यानि के पैगंबर आये तकरीबन 1 लाख 24 हजार या 2 लाख 24 हजार नबियों को अल्लाह पाक ने इस दुनिया मे इंसानों की रहबरी के लिए भेजा ।
और नबियों का आने का सिलसिला हमारे प्यारे नबी, हुज़ूर नबी ए रहमत पर आकर खत्म हो गया लेकिन वली का सिलसिला इस उम्मत मे त कयामत तक रहेगा यानि के वली आते रहेंगे इसमे ये है कुछ को अल्लाह पाक पैदाइशी वली बनाकर ही भेजता है,
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और कोई अपने तकबे, परहेजगारी और नेक कामों से अल्लाह पाक उनको वली बना देता है लिहाजा उनको अल्लाह पाक का खास कुर्ब हासिल होता है अब सवाल ये आता है के आखिर हम लोग अल्लाह के वली की पहचान कैसे करे ?
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इसके साथ ही ये भी के इनका वो कौनसा खास अमल होता है जिनके बदले मे अल्लाह पाक इनको विलायत अता कर देता है और इनकी जिंदगी किस तरह गुजरती है बहुत सारे सवाल आपके जहनों मे अल्लाह के वली के तालुक से होंगे इंशा अल्लाह अगर आपने ये पोस्ट मुकम्मल पढ़ी तो फिर आपको कोई दूसरी पोस्ट पढ़ने की जरूरत नहीं होगी ।
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अल्लाह के वली को कैसे पहचाने ?
जो हमारा सबसे खास सवाल है वो यही के अल्लाह के वली को कैसे पहचाने इस सवाल का जवाब आपको तफसील से कुरान और हदीस की रोशनी मे दिया जाएगा देखे मेरे अजीजों अल्लाह के वली को पहचानना बहुत मुश्किल भी होता है क्योंकि ये खास लोग अपने आप को पोशीदा रखते है ।
एक महबूबा से इश्क और अल्लाह से मुहब्बत ?
किसी के सामने खुद को जाहीर भी नहीं करते लेकिन कुछ एसे भी होते है जिनको पहचानना आसान हो जाता है क्योंकि वो खुद को चाह कर भी पोशीदा नहीं रख पाते है इस पूरे पोस्ट मे हम पॉइंट तो पॉइंट डिस्कस करने वाले है कुछ अहम अमलात होते है जो के अक्सर अल्लाह के वली करते है जिनके सहारे से हम इनकी पहचान कर सकते है ।
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चलिए इनको तफसील से कुरान और हदीस की रोशनी मे जानते है सबसे पहले देखते है अल्लाह पाक ने कुरान ए मजीद मे वली के तालुक से इरशाद फरमाया है ।
अल्लाह के वली को कैसे पहचाने – कुरान ए मजीद की रोशनी मे
मेरे अजीजों अल्लाह पाक कुरान ए मजीद वलियों के तालुक से सूरह यूनुस मे इरशाद फरमाता है के, ” सुन लो ! अल्लाह के वलियों पर न कोई खौफ होगा और न वो गमगीन होंगे। वो लोग जो ईमान लाए और तकवा इख्तियार किया । उनके लिए दुनिया की जिंदगी मे भी खुशखबरी है और आखिरत मे भी । ”
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तफसील मे मालूम होता है के इन खास बातों, आमाल के जरिए से वली की पहचान कर सकते है जैसे के:
(01) ईमान और तकवा: मेरे अजीजों वली है जो अल्लाह पाक पर सच्चे दिल से ईमान लाया और तकवा यानि के अल्लाह पाक डर अपने दिल मे और पाक जिंदगी बशर की।
(02) इखलास: अल्लाह पाक के वली एक पहचान ये भी है के इसका हर एक अमल फकत अल्लाह के लिए ही होगा किसी को दिखाने के लिए या समाज मे कुछ शोहरत पाने का इरादा इनके ख्यालों मे भी नहीं आता बल्कि जिस तरह एक बड़े को इज्जत से नवाजते है उसी तरह छोटो पर भी शफकत करते है ।
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(03) जिक्र और इबादात मे मशगूल: मेरे अजीजों अल्लाह के वली अक्सर अल्लाह के जिक्र मे मशगूल रहते है और उनकी ज्यादा तर गिजा अल्लाह का जिक्र ही होया करती है वो ज्यादा से ज्यादा जिक्र ए खुदा मे मशगूल रहते है जिससे उनको कुर्ब ए खुदा हासिल होता है ।
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(04) दुनिया से ज्यादा आखिरत की फिक्र: ये वो लोग होते है जिनको दुनिए को न के बराबर ही फिक्र होती है लेकिन आखिरत को लेकर इनका मिजाज एसा होता है के मानो आज ही हिसाब होना है बहुत मुहब्बत और बहुत अदब इनके किरदारों मे होता है ।
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अल्लाह पाक ने वलियों के वादे कर रखे है जैसे के:
- दुनिया मे इज्जत और सुकून का मिलना ।
- उन पर अल्लाह पाक का फजल, रहमत और नूर बरसता है ।
- आखिरत मे जन्नत का वादा
तो ये वादे कर रखे है अल्लाह पाक ने अपने वलियों से, क्या ही ऊंची शान वाले है औलिया अल्लाह !

हदीस शरीफ की रोशनी मे – अल्लाह के वली को कैसे पहचाने ?
मेरे अजीजों अल्लाह के वलियों के तालुक से हदीस शरीफ मे आता है के, ” जो शख्स मेरे वली से दुश्मनी रखे, मै उससे जंग का ऐलान करता हूँ । ” अब हदीस से वली की पहचान निकलती है के: ( सही भूखारी 6502 )
- अल्लाह के वली से दुश्मनी यानि के अल्लाह से दुश्मनी है ।
- अल्लाह पाक अपने वली की हिफाजत खुद करता है ।
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वली के आमाल – नवाफ़िल के जरिए कुर्ब हासिल करना :
अगले वाले हिस्से मे इसी हदीस शरीफ मे आता है वली के तालुक से के, ” मेरा बंदा किसी चीज के जरिए मेरी कुर्बत हासिल नहीं करता जितना की उन फर्ज चीजों के जरिए जो मेने उस पर फर्ज की है, और मेरा बंदा नवाफ़िल के जरिए मुझसे करीब होता रहता है यहा तक के मै उससे मुहब्बत करने लगता हूँ । ” ( सही बुखारी 6502 )
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इस हदीस के मुताबिक अल्लाह के वली पहचान हुई:
- वली फर्ज इबादात के साथ-साथ नवाफ़िल इबादात भी करता है ।
- नवाफ़िल नमाज, रोज़े, जिक्र, तहजुद उसका मामूल होता है ।
ये भी एक वली की पहचान होती है ।
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अल्लाह के वली की मकबूलियत – अल्लाह उसका हामी बन जाता है:
इस तरह एक जगह हदीस शरीफ मे आता है के, ” फिर जब उससे मुहब्बत करता हूँ तो मै उसका कान बन जाता हूँ जिससे वो सुनता है, उसकी आँख बन जाता है जिससे वो देखता है, उसका हाथ बन जाता हूँ जिससे वो पकड़ता है और फिर उसका पाओ बन जाता हूँ जिससे वो चलता है । ” ( सही बुखारी 6502 )
अब इस हदीस के तहत हम कह सकते है के अल्लाह पाक के वली की पहचान होगी के
- वली का हर एक अमल अल्लाह पाक की रिजा के मुताबिक ही होता है ।
- उसके इरादे और अमल मे अल्लाह की रहनुमाई होती है ।
मेरे अजीजों ये भी एक वली की पहचान होती है ।
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वली दुनिया से दूर और आखिरत की फिक्र मे रहता है- वली की पहचान:
हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है के, ” अल्लाह दुनिया से मुहब्बत नहीं बल्कि उस बंदे से मुहब्बत करता है जो दुनिया से दूर हो । ” ( मुसनद अहमद ) इस हदीस के तहत हम कह सकते है अल्लाह के वली कि पहचान है-
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- वली दुनिया के लालच मे नहीं रहता ।
- वो आखिरत की तैयारी मे लगा रहता है ।
- दुनिया की मुहब्बत उसके दिल मे नहीं रहती ।
अल्लाह के वली छुप कर अमल करते है जाहीर नहीं करते:
एक हदीस शरीफ मे आता है के, ” बहुत से लोग है जो स्याह कपडो मे, गरदालूद चेहरे के साथ होते है, लोग उन्हे कुछ नहीं समझते, लेकिन अगर अल्लाह पर कसम उठाए तो अल्लाह उसे पूरा कर दे । ” इस हदीस के अल्लाह के वली पहचान हुई ।
- अल्लाह के वली अपनी शोहरत नहीं चाहते ।
- वो लोगों के नजरो मे आम होता है लेकिन अल्लाह के नजदीक खास होते है ।
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खुलासा ए कलाम
अल्लाह के वली की पहचान कैसे करे, इस पूरे पोस्ट के खुलासा ए कलम मे यही है के अल्लाह का वली उस शख्स को कहते है जो अल्लाह पाक के सच्चे बंदे होते है जो हर वक्त ईमान, तकवा, जिक्र और इबादात मे लगा रहता है इनके तालुक से कुरान ए मजीद आया है के,
” औलिया अल्लाह पर न खौफ होगा न गम ” ( सूरह यूनुस 62 ) ये वही लोग होते है जो ईमान लाए और अल्लाह से डर कर जिंदगी गुजारते है और हदीस शरीफ मे आता है के, ” अल्लाह पाक अपने बंदे से इतनी मुहब्बत करता है के उसका कान, आँख और पाओ बन जाता है । ”
इस्लाम मे निकाह कैसे होता है ?
यानि उसकी हर-हर हरकत अल्लाह के रजा के मुताबिक होती है वली दुनिया से जुदा लेकिन आखिरत से जुडे होते है, वली ए खुदा के दिल हमेशा ही अल्लाह की मुहब्बत से रोशन होते है और उनके आमाल सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की रिजा के लिए ही होते है, यही है अल्लाह के वली की पहचान ।