इस्लाम मे हराम चीजे क्या है। Islam me Haram cheez kya hai

इस्लाम मे हराम चीजों का एक तफ़सीली जाएजा

इस्लाम एक मुकम्मल तर्जे हयात है जो अपने पेरोकारों को एक मुतवाजन और अखलाकी जिंदगी गुजारने की हिदायत देता है इस्लाम मे कुछ चीजों को हलाल यानि जाएज और कुछ को हराम यानि न जाएज करार दिया गया है।

मजहब ए इस्लाम मे हराम चीज़े वो चीज़े है जिन से बचने का हुक्म दिया गया है क्योंकि वो फर्द और मुआशरे के लिए नुकसान दे हो सकते है इस मजमून मे हम इन बुनियादी चीजों पर गुफ्तगू करेंगे जिन्हे इस्लाम मे हराम समझा जाता है और इसको तफसील से जानेंगे के अगर किसी भी चीज को हराम करार दिया गया है तो उसका रीजन क्या है ?

(01) हराम खाने और मशरुबात

इस्लाम मे कुछ खाने और मशरुबात को मुकम्मल तौर पर हराम करार दिया गया है जिन मे ये तमाम शामिल है।

  • सूअर का गोश्त कुरान ए पाक मे वाजह तौर पर सूअर के गोश्त को हराम करार दिया गया है ।
  • मुरददर जानवर का गोश्त वो जानवर जो इस्लामी तरीके से जिबा किए बगेर मर गया हो तो अब इस जानवर का गोश्त खाना हराम है।
  • खून खून पीना भी इस्लाम मे हराम है ।
  • शराब और नशा और अश्या कुरान ए पाक मे शराब और दीगर नशे और चीजों को हराम करार दिया गया है क्योंकि वो इंसान की अक्ल और शऊर को कमजोर कर देती है ।

(02) सूद ( ब्याज ) का लेन-देन करना

इस्लाम मे सूद को सख्ती से हराम करार दिया गया है क्योंकि ये मुआशरे मे बिगाड़ और ना बराबरी को फरोग देता है। सूद लेना और देने वाले दोनों को इस्लाम मे गुनहागार करार दिया गया है।

(03) जुआ और सट्टा बाजी

कुरान मे जुआ और सट्टा बाजी को हराम करार दिया गया है ये आदत किसी भी मोमिन को माली तौर पर और जहनी तौर पर कमजोर करती है और मुआशरे मे करप्शन को फरोग देती है और भी इसके कई नुकसनात है जैसे के घर का घर फकत इसी वजह से तबा और बर्बाद हो जाता है के सारे पेसे ही जुआ मे लगा दिए जो की हार गया।

(04) चौरी और धोका देना

इस्लाम मे किसी का हक मारना, चोरी करना और धोका देना हराम है इस्लामी कानून के मुताबिक चौरी करने वाले को सख्त सजा दी जाती है ताकि मुआशरे मे नजमों जब्त बरकरार रहे और ये बिल्कुल ठीक है क्योंकि अगर चोरी करने वाले को छोड़ दिया जाएगा तो फिर औरों के दिलों मे भी इसका ख्याल आएगा लेकिन जब उसको फौरन सजा वो भी सबके सामने दी जाएगी तो ये औरों के लिए भी सीख बन जाएगी।

(05) छूट और छोटी गवाही

इस्लाम मे छूट बोलना और छूटी गवाही देना भी हराम है क्योंकि ये ना इनसाफ़ी और मुआशरे को खराब और बे चैनी का सबब बनती है कुरान मे साफ-साफ कहा गया है के छूट बोलने वाले को अल्लाह पसंद नहीं करता है और उसके चेहरे पर हमेशा परेशानी ही नजर आती है।

(06) जिना और गैर महरम से ताल्लुकात

इस्लाम मे निकाह के बगैर किसी भी किस्म के जिस्मानी ताल्लुकात को हराम करार दिया गया है ये न सिर्फ इनफ़िरादी बल्कि इजतीमाई अखलाकियात के लिए भी खतरा पैदा करता है और जिना करने के बाद जब ये नहाता है तो एक एक पानी के कतरे से 70-70 हजार फिरिश्ते बनते पैदा होते है जो के इसके लिए कयामत तक बद दुआ करते रहते है

लेकिन जब ये निकाह करके बीवी से जिमा यानि सही मुलाकात करता है तो फिर तब भी गुसूल के पानी के एक-एक कतरे से 70-70 हजार फिरिश्ते पैदा होते है जो के इसके लिए दुआ करते है ये फरक होता है हराम और हलाल मे।

(07) कत्ल और न इंसाफी

बगैर किसी जाएज वजह के किसी की जान लेना इस्लाम मे हराम है इस्लाम जिंदगी की हुरमत पर जोर देता है और बे गुनाह लोगों के कत्ल को सब से बड़े जुर्म मे शुमार करता है हर एक मोमिन को चाहिए के वो इंसाफ पसंदी के साथ ही अपनी जिंदगी को गुजारे ताकि उसको आखिरी सास तक सुकून मिलता रहे।

(08) रिशवत और करप्शन

इस्लाम मे रिशवत लेना और देना दोनों हराम है क्योंकि ये इंसाफ के निजाम को खराब करती है और मुआशरे मे बहुत ज्यादा बिगाड़ पैदा करती है इसके साथ ही ना इनसाफ़ी को भी फरोग देती है।

(09) ज़ुल्म और जियादती

किसी भी किस्म का जुल्म या जियादती इस्लाम मे हराम है किसी पर भी करना, गरीबों और मोहताजों का हक मारना, कमजोरो को सताना, ये सब इस्लाम की तालीमात के खिलाफ है और ये करने वाले भी अपनी जिंदगी मे सुकून हासिल कर ही नहीं सकते है ।

(10) वालिदैन की ना फ़रमानी

मजहब ए इस्लाम मे वालिदैन की इज्जत और खिदमत को बहुत ज्यादा अहमियत दी गई है वालिदैन की ना फरमानी करना और इनके साथ बद सुलूकी करना सख्ती से मना है बल्कि हदीस मे आता है के मा के पैरों के नीचे जन्नत है और बाप उस जन्नत की चाबी है।

(11) गीबत और चुगली

इस्लाम मे गीबत करना यानि के पीठ पीछे किसी की बुराई करना और चुगली यानि के लोगों के दरमियान फ़ितना डालने को सख्ती से हराम करार दिया गया है ये न सिर्फ फर्द बल्कि पूरे मुअशरे के लिए नुकसान दे होता है।

(12) नाप तौल मे कमी

हमारे प्यारे दीन ए इस्लाम मे दियान तराती पर जोर दिया गया है और नाप तौल मे कमी करना या धोका देना हराम है इससे न सिर्फ अफराद बल्कि पूरी मईशत पर मनफी असरात पढ़ते है और ये किसी का माल मारना भी हुआ ।

(13) तकबबूर और खुद पसंदी

इस्लाम मे तकबबूर और खुद पसंदी को हराम करार दिया गया किन्ही सूरतों मे क्योंकि ये शैतानी सिफ़त है अल्लाह पाक ने शैतान को भी तकबबूर की वजह से मुसतरीद कर दिया था। इसलिए ये तकबबूर और खुद पसंदी नहीं करनी चाहिए और फिर जब आप अपनी पसंद को सबके ऊपर थोपते हो तो इससे कही न कही किसी का दिल जरूर दुखता है और मोमिन का दिल दुखाना भी बहुत बड़ा गुनाह है।

(14) ना जाएज तरीके से माल कमाना

एसा माल जो धोका, फ्रॉड, चौरी या किसी भी ना जाएज तरीके से हासिल किया गया हो वो इस्लाम मे हराम है हलाल कमाई ही बरकत और सुकून का जरिया बनती है जबकि हराम कमाई आपको कभी भी सुकून नहीं दे सकती है।

(15) हैवानात पर जुल्म करना

हमारे प्यारे मजहब ए इस्लाम मे जानवरों के साथ नरमी बरतने का हुक्म दिया गया है। इसके साथ ही जानवरों को बिला वजह तकलीफ देना इन पर जुल्म करना हराम है हमारे प्यारे आका, तमाम नबियों के सरदार, हुज़ूर नबी ए रहमत ने जानवरों के हुकूक के बारे मे खुसुसी हिदायात दी है के इनसे प्यारे करो ।

नतीजा

इस्लाम मे हराम चीज से बचना हर मुसलमान के लिए जरूरी है ताकि वो अपनी जिंदगी अल्लाह की मर्जी के मुताबिक गुजार सके इस्लाम सिर्फ इबादात तक ही महदूद नहीं है बल्कि ये एक मुकम्मल तर्जे हयात है पैदा होने से मरने तक और कब्र से हश्र तक इसमे हर एक चीज का इल्म है और तरीका बताया गया है जो मुसलमानों को अखलाकी और पाकीजगी की तरफ ले आता है।

अगर हम हराम चीजों से बचे और हलाल चीजों को अपनाये तो हमारी जिंदगी ने सिर्फ दुनिया मे बल्कि आखिरत मे भी कामियाब हो जाएगी इंशा अल्लाह और जब हराम कामों हारम चीजों से बचेंगे तो हमारी जिंदगी मे भी सुकून रहेगा।

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