जिंदगी की लौटरी: एक सच्चा हमसफर

मेरे अजीजों कहते है के दौलत, शोहरत और मकाम मिलने के बाद भी अगर दिल तन्हा हो तो इंसान अधूरा होता है लेकिन अगर कोई सच्चा, वफादार और दीनदार हमसफ़र मिल जाए तो समझिए के अल्लाह पाक की बहुत बड़ी नेमत मिल गई यही है जिंदगी की लौटरी: एक सच्चा हमसफ़र ।

एक नैक हमसफर: अल्लाह की बहुत बड़ी इनायत है

कुरान ए मजीद मे अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है, ” और अल्लाह की निशानियों मे से है के उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी ही जींस से जोड़े बनाए ताकि तुम इनके पास सुकून पाओ और उसने तुम दोनों के बीच मुहब्बत और रहमत रख दी । ” ( सूरह रूम आयत 30:21 )

इस आयत से हमे पता चलता है के हमसफर का रिश्ता सिर्फ जिस्मानी नहीं बल्कि रूहानी सुकून का भी एक जरिया होता है जो के मुहब्बत और रहमत के साथ आपका साथ निभाए जिंदगी के हर एक मोड पर ।

हदीस की रोशनी मे बीवी का दरजा क्या है ?

तमाम नबियों के सरदार, हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ इरशाद फरमाते है के, ” दुनिया एक फायेदा है और दुनिया का सबसे बहतरीन फायदा नेक बीवी है । ” ( सही मुस्लिम 1467 )

जब कभी भी किसी मर्द को नेक बीवी मिल जाए तो फिर यकीनन ये उसकी जिंदगी की लौटरी: एक सच्चा हमसफर ही है यही वजह है के हुज़ूर नबी ए रहमत ﷺ  ने निकाह यानि की शादी को आधा ईमान बताया है ।

निकाह ( शादी ) आधा ईमान क्यों है ?

हजरतए अनस रजियल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है के हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया: ” जब बंदा शादी का लेता है तो उसने आधा ईमान मुकम्मल कर लिया बाकी आधे मे अल्लाह का डर अपनाए । “

इस हदीस से साबित होता है एक सच्चा हमसफ़र इंसान को फितनो से महफूज करता है और ईमान को मजबूत बनाता है । इसलिए हर एक मोमिन को चाहिए के जल्द से जल्द निकाह करे और जिंदगी मे आगे बड़े ।

शौहर-बीवी एक दूसरे के लिए लिबास है अल कुरान

अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है, ” तुम उनके लिए हो वो तुम्हारे लिए लिबास है । ” ( सूरह अल बकरा 2:187 ) मेरे अजीजों ये अल्लाह पाक का कितना ही हसीन तशबीही बयान है ।

लिबास जैसी चीज जिस्म को ढाँपती है और शर्म, हया की हिफाजत करती है इसके साथ ही सर्दी-गर्मी से बचाती है ठीक इसी तरह एक सच्चा हमसफ़र भी अपने जोड़े को जमाने की बुराइयों से बचाता है ।

हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ और हजरतए खदीजा रजियल्लाहु तआला अन्हा की मिसाल

हजरत ए खदीजा रजियल्लाहु तआला अन्हा ने हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ के सबसे कठिन वक्त मे उनका साथ दिया जब पहली वही आई तब हजरते खदीजा ने फरमाया के। ” अल्लाह पाक आपको जाया नहीं करेगा, आप रिश्तेदारो का खास ख्याल रखते है, जरूरतमंदों की मदद करते है, सच्चे है । “

हजरतए खदीजा रजियल्लाहु तआला अन्हा ने जो आपका साथ दिया वो दुनिया की सबसे बड़ी जिंदगी की लौटरी – एक सच्चा हमसफ़र की मिसाल है । और हजरतए खदीजा से तमाम उम्मत की औरतो को सीख लेनी चाहिए के अपने शौहर का हर वक्त हर हाल मे साथ दे उन्हे मुहब्बत दे और उन पर भरोसा रखे ।

सच्चे हमसफर की पहचान कुरान ए मजीद से

सूरह निसा और सूरह तहरीम जैसे मुकद्दस मुकामात मे अल्लाह पाक ने मर्द औरत दोनों को हुक्म दिया है के वो एक-दूसरे के लिए वफ़ादार, दीनदार और मोअत्तर हमसफर बने, ” नेक औरते वो है जो फरमाबरदार होती है, और अल्लाह की निगरानी मे शौहर के हुकूक की हिफाजत करती है । ” ( सूरह निसा 4:34 )

” ए ईमान वाले ! अपने आपको और अपने घर वालों को जहन्नम की आग से बचाओ । ” ( सूरह तहरीम 66:6 ) तो मेरे अजीजों सच्चा हमसफर वही होता है जो दुनिया के साथ-साथ आखिरत की फिक्र भी करे ।

आखिर कैसे ढूँढे जिंदगी की लौटरी: एक सच्चा हमसफर

(01) अच्छा अखलाक देखे, ईमान देखो

मेरे अजीजों अगर मर्द दीनदार और अच्छे अखलाक वाला है, तो एसी लड़की को इनकार नहीं करना चाहिए ।

(02) दीनदार देखे, खूबसूरती नहीं

हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया, ” औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है – उसके माल, उसका हुस्न, उसके खानदान और उसके दीन की वजह से । तुम दीनवाली को चुनो, तुम्हारे हाथ की मिट्टी मे बरकत होगी ( बुखारी 5090 )

सबक हासिल होता है के :

  1. सच्चा मफ़सफर मिलना अल्लाह की लौटरी है, जैसे समझदार लोग ही पहचानते है ।
  2. हमसफर वो नहीं जो सिर्फ साथ हो, बल्कि वो हो जो जन्नत की तरफ ले जाए ।
  3. अल्लाह पाक से सच्चे दिल से नेक जोड़ी की दुआ करते रहो, यकीनन वो अता करता है ।

ये दुआ पढे :

कुरान ए मजीद मे अल्लाह पाक ने नेक जोड़े और औलाद के लिए जो दुआ बताई, वह सच्चे हमसफर की अहमियत को बयान करती है : ” ए हमारे रब ! हमे हमारी बीवियों और औलाद से आँखों की ठंडक अता फरमा और हमे मुत्तकीयो का इमाम बना । ”

खुलासा ए कलाम

जिंदगी की लौटरी: एक सच्चा हमसफर हकीकत मे वो होता है जो आपको दीन मे आगे बढ़ाए, मुश्किल वक्त मे आपका हाथ थामे रखे और जन्नत की राह का राही बनाए । कुरान ए मजीद मे और हदीस शरीफ मे इस बात की गवाही मिलती है के हमसफ़र एक अमानत है – जिसे अल्लाह की रजा के साथ निभाना हमसफर ओर फर्ज है ।

लेकिन अगर भी एसे ही हमसफर की चाहते है तो फिर हमारे भी काम नेक होने चाहिए हमारे भी सजदे लंबे-लंबे होने चाहिए और इबादत मे हमारा भी मन लगना चाहिये हमारे भी दिलों मे एक-दूसरे के लिए नफरत नहीं बल्कि प्यार-मोहब्बत होनी चाहिए ।

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