लैलतुल कद्र क्या है ? ये कब आती है

लैलतुल कद्र क्या होती है ? ये कब आती है और किस महीने मे आती है ?, क्या रमजान के आखिर के अशरे मे आती है ?, इसको कैसे देखा जाता है ? कुछ भी पूछते है की इसको कैसे पहचाने और ये किस वक्त आती है और भी तमाम सवाल लोगों के जहनों मे आते है इसके हवाले है तो चलिए आज के इस पोस्ट मे हम तमाम सवालों के जवाबात देने के साथ-साथ ही आपको इसकी असल तालीम और तारीफ से वाकिफ करते है।

इसको लैलतुल कद्र ही क्यों कहा जाता है क्या इसके पीछे का राज क्या है ?

मेरे अजीजों आपको बात दे की लैलतुल कद्र बहुत ही ज्यादा बरकत वाली रात है और इसको लैलतुल कद्र इसलिए कहते है इसमे साल भर के अहकाम नाफिज किए जाते है और फिरिश्तों को साल भर के कामों और खिदमात पर मामूर किया जाता है।

और ये भी आता है की इस रात की दीगर रातो पर शराफत और कद्र के बाईस इसको इसलिए ही लैलतुल कद्र कहा जाता है इसके साथ ये भी मनकूल है की क्योंकि इस शब मे नैक आमाल मकबूल होते है और बारगाहे इलाही मे उनकी कद्र की जाती है इसलिए इसको लैलतुल कद्र कहते है ।

लैलतुल कद्र कब और कौनसी तारीख को आती है ?

यू तो पूरा रमजान ही रहमत भरा है इसलिए ही लोग पूरे रमजान मे रोज़े और नमाजों की कसरत करते है लेकिन इसके साथ ही औलमाओ न हदीस की किताबों से साबित किया है की ज्यादा चांस है की रमजान के आखिर के अशरे मे कोई मोमिन लैलतुल कद्र पा जाए और उनमे से भी 5 राते खुसुशी तौर पर इरशाद फरमाई की ये रमजान की 5 राते है इनमे कसरत के साथ लैलतुल को तलाशे और वो ये है 21वी शब, 23 वी शब, 25 वी शब, 27 वी शब और 29 वी शब ।

क्या अक्सर जगह खत्म कुरान 27 वी यानि की लैलतुल कद्र को ही होता है ?

आपको मालूम होनया चाहिए की आलम ए इस्लाम मे सबसे ज्यादा रमजान शरीफ की तरवीह 27 वी शब को ही होती है इसका एक ये भी मकसद होता है की चूंकि अक्सर औलमा का 27 वी शब को ज्यादा लैलतुल कद्र तस्लीम किया जाता है इसलिए इमाम साहब अक्सर जगह 27 वी शब को खत्म करते है पूरा कुरान ताकि इसी बहाने ज्यादा से ज्यादा लोग इखट्टे हो और उनको लैलतुल कद्र का दरस दिया जा सके।

लैलतुल कद्र के बारे मे कुरान शरीफ मे क्या आया ?

आपको मालूम होन चाहिए की अल्लाह पाक ने इसकी फ़ज़ीलत इतनी बड़ी की है की इसके नाम से ही एक मुकब्बल सूरह अपने प्यारे हबीब पर नाज़िल फरमाई है जिसको हम और आप सूरह ए कद्र के नाम से जानते है जो की 30 वे पारे मे है अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है जिसका मायेना ये है की,

“बेशक हमने इसे शबे कद्र मे उतारा और तुमने क्या जाना, क्या शबे कद्र ? शबे कद्र हजार महीनों से बेहतर है, इस मे फिरिश्ते और जिबराईल उतरते है अपने रब के हुक्म से, हर काम के लिए, वोह सलामती है सुबह चमकने तक” ये जो आपने पढ़ा ये मुकम्मल सूरह कद्र के माएने है तो किस कद्र रब्बे कायनात ने इसकी फ़ज़ीलत बुलंद की है ।

इस रात अल्लाह पाक ने कुरान को लौहे महफूज से आसमाने दुनिया पर नाज़िल फरमाया

आपको बता दे की मुफ़ससिरीन किराम सूरहतुल कद्र की तफ़सील के तहत फरमाते है की,

” इस रात मे अल्लाह पाक ने कुरान करीम लौह महफूज से आसमाने दुनिया पर नाज़िल फरमाया और फिर तकरीबन 23 बरस की मुद्दत मे अपने प्यारे हबीब पर इसे ब तदरीज़ नाजिल किया। “

हमारे प्यारे नबी, हुज़ूर नबी ए रहमत ने इरशाद फरमाया, ” बेशक अल्लाह पाक ने मेरी उम्मत को शबे कद्र अता की और ये रात तुम से पहले किसी उम्मत को अता नहीं फरमाई । “

लैलतुल कद्र किस तरह हजार महीनों से अफजल है ?

हजरते इमाम मुजाहिद एक जगह इरशाद फरमाते है की, ” बनी इसराईल का एक शख्स सारी रात इबादत करता और इस तरह उसने हजार महीने गुजार दिए थे, तो फिर अल्लाह पाक ने यह आयत नाजिल फरमाई जिसका माएना है की, ” शबे कद्र हजार महीनों से बेहतर ” यानि की शबे कद्र का कियाम उस आबिद यानि की उस इबादत गुजार की एक हजार महीनों की इबादत से बहतर है। “

लैलतुल कद्र मे क्या-क्या पढ़ना चाहिए ?

लैलतुल कद्र की रातो मे कसरत के नमजे पढ़नी चाहिए कसरत से तिलावते कुरान करे और कसरत के साथ ही दुरूद शरीफ पढे इसके साथ ही अपने मरहुमीन के लिए दुआ ए मगफिरत मागे अपने गुनाहों सगीरा और कबीरा गुनाहों की माफी मांगे नैकी भरी तवील जिंदगी की दुआ मांगे ।

पड़ोसियों के लिए, रिश्तेदारों के लिए, बीमारों के लिए, कर्जदारों के लिए, अपने मा बाप के लिए दुआ मागे क्योंकि जितनी ज्यादा आप अपने मोमिन भाइयों के लिए दुआ माँगोगे तो उतना ही ज्यादा चांस है की ये सारी दुआ सबसे पहले आप के ही हक मे कुबूल हो और अल्लाह की रहमत पर भरोसा रखे काभी मायूस न हो ।

लैलतुल कद्र अल्लाह पाक ने नाज़िल फरमाई इसकी वजह क्या थी

ललतुल कद्र किस वजह से अल्लाह पाक ने अपने हबीब की उम्मत को दी इसके बारे मे तफ़सीरए अजीजी मे है की, तमाम ही हजराते सहाब ए किराम ने जब हजरते शमऊन की इबादत और जिहाद का तजकिरा सुना तो उन्हे हजरते शमऊन पर बड़ा रश्क आया और हुज़ूर नबी ए रहमत की बारगाह मे अर्ज करने लगे की या रसूल ए खुदा ! हमे तो बहुत थोड़ी उमरे ही मिली है और

इसमे भी कुछ हिस्सा नींद मे गुजरता है तो कुछ तलबे मुआश मे, खाने पकाने मे और दीगर उमूरे दूनयावी मे भी कुछ वक्त सर्फ हो जाता है। लिहाजा हम तो हजरते शमऊन की तरह इबादत कर ही नहीं सकते, यू बनी इसराईल सं से इबादत मे बढ़ जाएंगे । “

हुज़ूर ये सुन कर गमगीन हो गए और उसी वक्त हजरते जिबराईले अमीन सूरतुल कद्र जिसको लैलतुल भी कहा जाता है लेकर हाजिरे खिदमत हुए और तसल्ली दे दी गई की प्यारे हबीब रंजीदा न हो, आप की उम्मत को हम ने हर साल मे एक एसी रात इनायत फरमा दी की अगर वो उस रात मे इबादत करेंगे तो हजरते शमऊन की हजार माह की इबादत से भी बढ़ जाएंग। “

तो इसलिए अल्लाह पाक ने अपने प्यारे हबीब की उम्मत के लिए लैलतुल कद्र अता की और कुल जहा को बता दिया की ये नबी भी अफजल है और इनकी उम्मत भी तमाम उम्मतों से अफ़जल है।

कौन थे ये हजरते शम-ऊन की इनके तजकिरे के सदके अल्लाह पाक ने लैलतुल कद्र मुसलमानों के हक मे कर दी ?

किस तरह लैलतुल अल्लाह पाक ने अपने प्यारे हबीब की उम्मत के लिए अता कर दी ये तो हमने ऊपर बात दिया है अब जानते है की ये हजरते शमऊन कौन थे तो आपको बात दे की ये बनी इसराईल के बहुत ही पहुचे हुए बुजुर्ग थे और इन्होंने हजार माह इस तरह इबादत की, की रात को कियाम और दिन को रोजा रखने के साथ-साथ अल्लाह पाक की राह मे लड़ते ।

वो इस कदर ताकत वर थे की लोहे की वजमी और मजबूत जंजीरे हाथों से तोड़ डालते थे। मुशरीक ना हनजार ने जब देखा की हजरते शम-ऊन पर कोई भी हरबा कारगर नहीं होता तो बाहम मशवरा करने के बाद मालों दौलत का लालच दे कर आप की ज़ौजा को इस बात पर आमादा कर लिया की वो किसी रात नींद की हालत मे पाए तो उन्हे मजबूत रस्सियों से बांध कर इन के हवाले कर दे।

बे वफ़ा बीवी ने एस ही किया जब आप बेदार हुए और अपने आप को रस्सियों से बंधा हुआ पाया तो फौरन अपने आजा को हरकत दी और देखते ही देखते रस्सियों को तोड़ दिया और फिर आप आजाद हो गए ।

फिर अपनी बीवी से इसतीफ़सार किया की मुझे किसने बांध दिया था ? तब फिर वो बे वफ़ा बीवी ने झूठमूट कह दिया, ” मै ने तो आपकी ताकत का अंदाजा करने के लिए एसा किया था बात रफअ हो गई लेकिन बे वफ़ा बीवी मौके की ताक मे ही रही और एक बार फिर जब नींद का गलबा हुआ तो उस जालिमा ने आप को लोहे की जंजीरों मे अच्छी तरह जकड़ दिया।

जू ही आँख खुली, तो फिर आप ने एक ही झटके मे जंजीर की एक-एक कड़ी अलग अलग कर दी और आजाद हो गए अब बे वफ़ा बीवी ये देख कर सटपटा गई मगर फिर मक्कारी से काम लेते हुए वही बात दुबारा कह दी की मै तो आपकी ताकत आजमा रही थी ।

लेकिन इस बार दौराने गुफ्तगू हजरते शमऊन ने अपनी बीवी के आगे अपना राज जाहिर कर दिया और कहते हुए फरमाया की मुझ पर अल्लाह पाक का बड़ा करम है उसने मुझे अपनी विलायत का शरफ इनायत फरमाया है, मुझ पर दुनिया की कोई भी चीज असर नहीं कर सकती मगर मेरे सर के बाल अब वो बे वफ़ा और चालाक औरत सारी बात समझ गई ।

और वो दुनिया की मुहब्बत मे इस कदर अंधी हो गई की अब आखिर एक बार मौका पा कर उसने आप को आप ही के उन आठ जुल्फों से बांध दिया जिस की दराजी जमीन तक थी और फिर जब आप ने आँख खुलने पर जोर लगाया मगर इस बार आजाद न हो सके दुनिया की दौलत के नशे मे बद मस्त बे वफ़ा औरत ने अपने नेक पारसा शौहर को दुश्मनों के हवाले कर दिया ।

अब मुशरीकीन बद अतवार ने हजरते शमऊन को एक सुतून से बांध दिया और इंतिहाई बे दर्दी के साथ उनके होंट और कान काट डाले तब उस नेक बंदे ने अल्लाह पाक की बारगाह मे दुआ की, की उसे इन बंधनों को तोड़ने की कुव्वत बख्शे और इन काफिरों पर ये सुतून ए छत गिरा दे और उसे इनसे नजात दे दे चुनानचे अल्लाह पाक ने उनको कुव्वत बख्शी वोह हिले तो उनके तमाम बंधन टूट गए।

और तब उन्होंने सुतून को हिलाया जिस की वजह से छत काफिरों पर आअ गिरी और वो सब हलाक हो गए और उस नेक बंदे को अल्लाह पाक ने नजात बख्शी।

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