मुसलमान की पहचान क्या है । Musalman ki pehchan kya hai

तारुफ: मुसलमान की पहचान क्या है और कैसे पहचाने ?

दोस्तों आज के इस दौर मे जब दुनिया तेज रफ़्तारी से तब्दील हो रही है और हर एक शख्स अपनी पहचान के लिए कोशिश कर रहा है लेकिन सवाल ये है के मुसलमान की पहचान क्या है इनको किस तरह से पहचान सकते है और क्या ये सिर्फ नाम,

लिबास या जुबान से ही होती है या फिर इसके अंदर कुछ गहरा माएना छुपा है इस्लाम एक मुकम्मल जिंदगी से जन्नत या जहन्नम के सफर तक का एक निजाम है जिसमे एक मुसलमान की हर एक पहलू को रोशन किया गया है ।

अकीदा, इबादत, मुआमलात, अखलाक और मुआशराती जिम्मेदारिया जिसमे हर एक का मुकम्मल तौर पर ख्याल रखा गया है। आज के पोस्ट मे हम मुसलमान की पहचान क्या है इसके हवाले से तफ़सीली गुफ्तगु करेंगे और जानेंगे के आज के दौर मे जो हमे नाम के मुसलमान दिखते है उन्मे और और एक हकीकी ईमान वाले मुसलमान मे कितना बड़ा फरक हो चुका है।

(01) अकीदा – ईमान मुसलमान की पहचान का पहला मरहला

मुसलमान होने का सबसे पहला मरहला और बुनियादी पहलू है ईमान । हर एक मुसलमान का अकीदा होता है के अल्लाह पाक एक है और हज़रत ए मुहम्मद, हुज़ूर नबी ए रहमत, तमाम नबियों के सरदार उसके आखिरी पैगंबर है । मुसलमान की पहचान क्या है अगर ये पूछा जाए तो सबसे पहले जवाब आएगा,

” उसका ईमान ” ये अकीदा सिर्फ जुबानी इकरार तक ही महदूद नहीं है बल्कि दिल से तसदीक और अमल के जरिए जाहिर होता है ।

(02) नमाज – रूहानी पहचान का इजहार

नमाज मुसलमान की रूहानी जिंदगी का अहम हिस्सा है इसके साथ ही हर एक आकील बालिग मुसलमान पर नमाज फर्ज है । रोजाना पाँच वक्त की नमाजों के जरिए एक शख्स अल्लाह पाक से राबता बनाए रखता है नमाज न सिर्फ इबादत है बल्कि हर एक मुसलमान के अखलाक, सब्र और डिसिप्लिन का इजहार भी है ।

अगर कोई पूछे के मुसलमान की पहचान क्या है तो कहा जा सकता है के वो शख्स जो नमाज का पाबंद है वो असली मुसलमान है।

(03) अखलाक – मुसलमान का असल हुस्न

हमारे प्यारे-प्यारे नबी, हुज़ूर नबी ए रहमत, तमाम नबियों ए सरदार, हज़रत मुहम्मद मुस्तफा ने फरमाया, ” मै अखलाक की तकमील के लिए भेजा गया हूँ । ” इस हदीस से अंदाजा होता है के अच्छे अखलाक मुसलमान की असल पहचान है ।

मुस्कुराहट, सच्चाई, सब्र अफवों-दरगुजर और इंसानियत से पेश आना ये सब कुछ मुसलमान की शख्सियत का हिस्सा होन चाहिए फिर से अगर देखा जाए के मुसलमान की पहचान क्या है तो जवाब होगा , ” उसका अखलाक ” ।

(04) मुआमलात – लोगों के साथ इंसाफ और खुलूस

इस्लाम ने मुआमलात यानि के लोगों के साथ बहवियर को भी दीन का एक अहम हिस्सा बनाया है । तिजारत मे ईमानदारी, रिश्तेदारी मे वफादारी और हर एक शख्स के साथ इंसाफ — ये सब मुसलमान की पहचान है ।

आज के दौर मे जहा लोग फाइदा उठाने के लिए झूट बोलते है एक मुसलमान का फर्ज है के वो सच और इंसाफ का रास्ता इख्तियार करे यही जवाब है जब पूछा जाए के मुसलमान की पहचान क्या है ?

(05) लिबास और जाहिरी पहचान

इस्लाम मे लिबास का भी एक मकाम है शर्म और हया और साफ सुत्रा लिबास मुसलमान की जाहिरी पहचान होती है मर्द और औरत दोनों के लिए हया और तमीज का लिबास मकबूल है ।

मगर याद रखे के सिर्फ लिबास मुसलमान होने की पूरी दलील नहीं है मुसलमान होने की पहचान क्या है का ये पहलू जरूरी है लेकिन असली पहचान अखलाक और आमाल मे छुपी होती है ।

(06) इल्म और शऊर – दीनी और दूनयावी तालीम

एक मुसलमान सिर्फ दीन मे ही नहीं बल्कि दूनयावी तालीम मे भी मुकाम हासिल करे । कूरआन ए मजीद की सबसे पहली आयत थी इकरा यानि पढ़ो इल्म हासिल करना हर एक मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है ।

जो शख्स इल्म हासिल करता है वो अपनी जिंदगी मे रोशनी लाता है और दूसरों का रहनुमा बनता है इसलिए अगर किसी से पूछा जाए के मुसलमान की पहचान क्या है तो जवाब हो सकता है के, ” वो शख्स जो इल्म मे आगे है । “

(07) इत्तीहाद – मुसलमानों का आपस मे भाई-चारा

एक मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है। बगैर किसी नस्ल, रंग जुबान के तफ़रीक के, इस्लाम मे सबका मुकाम एक है । आपस मे मुहब्बत, मदद और इखलास इस्लाम की रूह है ।

आज जब मुसलमान फिरका बंदियों मे बट गए है वो ठीक है हुज़ूर ने फरमाया है वो होकर ही रहेगा लेकिन हमे ये भी याद रखना चाहिए के असली मुसलमान की पहचान क्या है वो शख्स जो अपने मुसलमान भाइयों के साथ इत्तीहाद और मुहब्बत रखता है ।

(08) सब्र और शुक्र – जिंदगी के हर मोड पर रिजा ए इलाही

एक मुसलमान हर हालत मे अल्लाह पाक पर भरोसा रखता है मुश्किलात मे सब्र और नेमतों पर शुक्र अदा करता है । ये मुसलमान का लाइफ स्टाइल है जब दुनिया गम और रंज से भरी हो तब एक मुसलमान का सब्र उसकी पहचान बनता है मुसलमान की पहचान क्या है ? वो ही सब्र करने वाला और हर हाल मे अल्लाह पाक का शुक्र गुजर बंदा ।

(09) दावत और तबलीग – दीन का पैगाम आगे ले जाना

हर मुसलमान का फर्ज है के वो अच्छे इखलाक और प्यार भारी जुबान से दीन का पैगाम दूसरों तक पहुचाए, नफरत, मजबूरी या जबरदस्ती इस्लाम का हिस्सा नहीं है । तबलीग का मतलब है अपने अमल से लोगों को इस्लाम की तरफ बुलाना जब लोग आपके अमल से मुतासीर हो कर पूछे के,

मुसलमान की पहचान क्या है तो उनका जवाब आप खुद बन जाते है ।

(10) तकवा – अल्लाह का डर असली पहचान

तकवा का मतलब है के हर काम मे अल्लाह पाक का खौफ और उसकी रजा को मद्दे नजर रखना, जो शख्स हर काम से पहले ये सोचता है के अल्लाह पाक देख रहा है,

उसके अंदर असली मुसलमान होने की रूह पाई जाती है । मुसलमान की पहचान क्या है का सबसे गहरा जवाब यही है के, ” वो जो तकवा रखता है । ”

(11) हलाल रिज्क – कमाई मे पाकी और ईमानदारी

एक मुसलमान के पहचान उसकी कमाई से भी होती है हर वो शख्स जो अपने घर मे हलाल तरीके से रिज्क लाता है, झूट, चोरी, धोखे से बचा रहता है वो असल मुसलमान है ।

इस्लाम मे हराम रिज्क से बचाने और बचने की सख्त हिदायत है इसे मे अगर पूछा जाए के मुसलमान की पहचान क्या है तो जवाब ये भी है के, ” हलाल और पाक कमाई “

(12) वफ़ा और अमानतदारी – कौल का पक्का और भरोसेमंद

एक मुसलमान अपनी बात का पक्का होता है अमानत मे खयानत नहीं करता है । हुज़ूर नबी ए रहमत को अल-अमीन इस वजह से कहा गया क्योंकि आप हर अमानत को उसके हक दार तक पहुचा देते थे ।

आज के दौर मे जब लोग एक दूसरे को धोका देते है एक मुसलमान की ये पहचान है होनी चाहिए के वो वफ़ा दार हो । मुसलमान की पहचान क्या है ? हर जवाबी मिसाल है, ” अमानतदारी और वफ़ादारी ” ।

(13) जिक्र और दुआ – दिल का रिश्ता अल्लाह से

एक मुसलमान का दिल हमेशा अल्लाह पाक के जिक्र मे मगन रहता है सुबह और शाम की दुआए, हर काम से पहले अल्लाह का नाम लेना और हर मुश्किल मे दुआ का सहारा लेना ये सब उसकी रूहानी पहचान है जो शख्स हर हाल मे अल्लाह पाक से जुड़ा रहता है,

वही असल मुसलमान होता है इस रूहानी सिलसिले मे भी सवाल उठता है के मुसलमान की पहचान क्या है ? जवाब जिक्र और दुआ से जुड़ा दिल ।

(14) खिदमत ए खलक – लोगों की मदद करना

इस्लाम एक एसा दीन है जो सिर्फ इबादत तक ही महदूद नहीं है बल्कि इंसानियत की खिदमत भी करता है । गरीबों की मदद, बे-असरा लोगों का सहारा बनना और इंसानियत की भलाई के लिए काम करना ।

ये भी मुसलमान की असली पहचान है जब आप लोगों के काम आते है तब आप उनका दिल जीत लेते हो इस अमल से भी समझा जा सकता है के मुसलमान की पहचान क्या है ।

(15) हया भी ईमान का हिस्सा है

इस्लाम मे हया को ईमान का एक हिस्सा कहते है एक मुसलमान औरत या मर्द दोनों के लिए जरूरी है लिबास मे, जुबान मे और निगाहों मे भी। हया एक एसी रूहानी पहचान है जो मुसलमान को फ़ाहशी और बे हयाई से बचाती है ।

आज के फ़ितने के दौर मे हया ही एक बुजुर्ग पहचान बन चुकी है फिर से वही सवाल मुसलमान की पहचान क्या है ? तो जवाब मिलेगा के हया एक लबरैज शख्सियत ।

खुलासा ए कलाम: मुसलमान की असली पहचान क्या है ?

आखिर मे अगर हम इस पूरे पोस्ट का नतीजा निकाले तो यह कहना दुरुस्त होगा के मुसलमान की पहचान क्या है – ये सिर्फ जुबान या शनाख्त तक ही महदूद नहीं है बल्कि ये पहचान होती है उसके दिल के ईमान, उसके आमाल, उसके अखलाक और उसके मुआमलात से।

एक मुसलमान का हर पहलू इस्लाम का पैगाम होता है मुहब्बत का पैगाम होता है हर मुसलमान को चाहिए के वो अपने अंदर ये सोले उठाए के, क्या मेरी जिदंगी से इस्लाम की रूह नजर आती है ? ” अगर हा, तो आप फिर आप वाकई एक मुसलमान है और अगर नहीं तो फिर आपको गौर करना चाहिए और सही तालीम, अच्छी सोहबत इख्तियार करनी चाहिए ।

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