सफल लोगों की आदते इस्लामिक । Safal Logo ki Aadaten Islamic

सफल लोगों की आदते इस्लामिक नजरिए से

हर इंसान जिंदगी मे कामयाब होना चाहता है लेकिन असली कामयाबी वही है जो दुनिया और आखिरत दोनों मे मिले । दीन ए इस्लाम एक मुकम्मल तरीका ए जिंदगी है जो न सिर्फ इबादत सिखाता है बल्कि इंसान की पूरी लाइफ स्टाइल को बहतर बनाने की हिदायत देता है ।

आज के इस पोस्ट मे हम जानेंगे के सफल लोगों की आदते इस्लामिक नजरिए से, जो एक मुसलमान को दुनिया मे भी कामयाबी देती है और आखिरत मे भी । इसके साथ ही आज के इस पोस्ट मे हम जानेंगे के जिंदगी मे किस एक मोमिन कामयाबी हासिल कर सकता है ।

उसको कौन-कौन सी आदते अपने शेड्यूल से बाहर निकालनी चाहिए और कौन-कौन सी आदते अपने निजाम मे एड करनी चाहिए तो चलिय शुरू करते है ।

(01) तौहीद पर यकीन और नियत की पक्की बुनियाद

हर एक सफल मुसलमान की सबसे पहली आदत होती है – अल्लाह पर तवककुल और इखलास । इस्लाम मे नियत को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई है । जैसा की हदीस मे आता है:

” अमल का दारोमदार नीयतों पर है । ” ( सहीह बुखारी ) इस्लाम के मुताबिक जो शख्स हर काम अल्लाह की रिजा केलिए करता है, अल्लाह ताला उस काम मे बरकत अता करता है । यही वजह है के सफल लोगों की आदते इस्लामिक तौर पर नियत की सफाई से शुरू होती है ।

(02) वक्त की पाबंदी

इस्लाम मे वक्त की अहमियत बहुत ज्यादा है कुरान ए मजीद अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है के, ” कसम है वक्त की, बेशक इंसान घाटे मे है । ” ( सूरह-अल – असर ) जिसने वक्त को तर्जी दी है वो यकीनन अपनी जिंदगी मे कामियाब हुआ है और इंशा अल्लाह कब्र ओ हश्र मे भी कामियाबी उसका मुकद्दर बनेगा ।

नमाज वक्त पर पढ़ना, रोजाना का शेड्यूल बनाना, फजर के वक्त उठना – ये सब सफल लोगों की आदते इस्लामिक तौर पर है जो इंसान वक्त को कद्र देता है, अल्लाह पाक उसे कामियाबी देता है ।

(03) इल्म की तलाश

हमारे प्यारे-प्यारे आका, मदीने वाले मुस्तफा, हुज़ूर नबी ए करीम इरशाद फरमाते है, ” इल्म की हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है । ” मेरे प्यार अजीजों सफल लोग हमेशा सीखने की कोशिश करते है चाहे वो दीन का इल्म हो या दुनिया का इस्लाम, इस्लाम हर तरह के फायदेमंद इल्म की तालीम देता है ।

सफल लोगों की आदते इस्लामिक नजरिए से यही है के वो हर वक्त खुद को बहतर बनाने की कोशिश करते है । मेरे प्यारो आपने जितने भी सफल लोग देखे होंगे उनको इल्म सीखने की बहुत चाहत होती होगी और वो जिस भी पैमाने पर हो लेकिन इल्म सीखना कभी नहीं छोड़ते, हर वक्त हर लम्हा सीखना और आगे बढ़ना ही पसंद करते है ।

(04) अखलाक और सच्चाई

हुज़ूर पुर नूर, तमाम नबियों के सरदार, हुज़ूर नबी ए रहमत का अखलाक इतना प्यारा था की अल्लाह पाक ने उन्हे ” अजीम अखलाक वाला ” कहा । सच्चाई, इंसाफ, रहमदिली – ये वो आदते है जो इंसान को दिलों का बादशाह बना देती है ।

” जो तुमसे बुरा करे, तुम उससे अच्छा सुलूक करो । ” आज के दौर मे भी जो लोग अखलाक और सच्चाई को अपनाते है, वो दूसरों के लिए मिसाल बन जाते है । अखलाक के तालुक से एक बात और जानिए के जब आपका अखलाक बड़िया होता है तो फिर बहुत सारे काम आपके लिए आसान हो जाते है और नरमी मिजाजी इंसान के लिए जिंदगी बहुत खुबसूरत बन जाती है ।

(05) तंदरुस्ती और पाक-साफ रहना

हमारे प्यारे आका, हुज़ूर नबी ए रहमत, मदीने वाले मुस्तफा इरशाद फरमाते है, ” पाकीजगी आधा ईमान है । ” दीन ए इस्लाम मे तंदरुस्ती, सफाई और हेल्दी लाइफ स्टाइल को बहुत अहम मानता है फिजिकल फिटनेस, अच्छी खुराक और साफ-सफाई भी सफल लोगों की आड़ते इस्लामिक नजरिए से बहुत जरूरी है।

गौर करने वाली ये भी है के तंदरुस्ती भी अल्लाह पाक की एक खास नेमत है और इसके तालुक से किताबों मे आया है के तंदरुस्ती को बीमारी से पहले जान लो और इसकी कद्र करो क्योंकि अनकरीब ये भी ढल जाएगी और बुढ़ापा और बीमारी आपके शरीर को जकड़ लेगी ।

और पाक-साफ रहना यानि की पाकी इसके तालुक से आया है के पाकी आदा ईमान है खुद साफ रखे पाक रखे इसके साथ अपने दिल को भी पाक रखे और आसानिया पैदा करे एक दूसरे के लिए जब आप मखलुक के लिए आसानिया पैदा करते हो तो फिर अल्लाह पाक आपके साथ भी भलाई का मामला फरमाता है ।

(06) सब्र और शुक्र

सफल लोगों की आदते इस्लामिक नजरिए से देखे तो उनसे सब्र और शुक्र सबसे जरूरी है जब मुश्किल आअये तो सब्र और जब नेमत मिले तो अल्लाह पाक का शुक्र । अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के, ” अगर तुम शुक्र अदा करोगे, मई और ज्यादा दूंगा । ” ( सूरह इब्राहीम:7)

यह आड़ते इंसान को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और अल्लाह पाक फरमा चुका है जब कोई मेरा जिक्र करता है तो मै भी उसका जिक्र लोगों के दरमियान भलाई की बातों मे फरमाता हूँ । याद रखे जब भी आपके साथ आजमाईश आये तो फिर आपको सब्र करना है न गुस्से मे आकर कुछ गलत कर बैठे ।

बेशक अल्लाह पाक दिलों की बात जानता है वो देता है और देगा बस थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन इस वक्त मे आपने सब्र का दामन थामे रखना है और जेसे ही अल्लाह पाक आपको नवाजने लगे तो ही उसका रोजाना आप शुक्र अदा करते चले तो अल्लाह पाक आपको और नवाजता चला जाएगा ।

(07) मसरुफियत मे भी इबादत का वक्त निकालना

कामयाब मुसलमान वो है जो बिजी शेड्यूल मे भी अल्लाह पाक को याद करता है । 5 वक्त की नमाज, रात की तहजजुद, सुबह की तिलावत – ये सब सफल लोगों की आदते इस्लामिक नजरिए से है ।

याद रखिए के अगर आप भी कामियाब होना चाहते है तो कितनी ही मसरुफियत हो आपने नमाजों के लिए वक्त निकालना ही है नमाजों को उनके वक्तों पर ही अदा करे फ़जर की नमाज से आपके चेहरे पर नूर आएगा जौहर की नमाज से आपके रिज्क मे बरकत होगी

असर की नमाज से आपकी सहत अच्छी बनी रहेगी और मगरिब की नमाज से आपकी औलाद आपकी फरमाबरदार बन जाएगी और इशा की नमाज के बाद आपको सुकून की नींद आएगी इस तरह ये इबादत आपकी कामियाबी की चाबिया है इनको मजबूती पकड़े रहो ।

(08) दूसरों के लिए रहमत बनना

हमारे प्यारे-प्यारे आका, मदीना वाले मुस्तफा, हुज़ूर पुर नूर का फरमान ए आलीशान है के, ” बेहतरीन इंसान वो है दूसरों को फायेदा पहुचाए । मेरे प्यारे अजीजों दीन ए इस्लाम मे सिर्फ खुद के लिए ही नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए जीने की हिदायत दी गई है चाहे वो सदका देना हो, किसी की मदद करना या किसी का दुख बाटना – ये सभी आदते कामयाबी की तरफ ले जाती है ।

अगर हो सके तो अपने माल से किसी की मदद करे अगर माल से नहीं तो अपने शरीर से किसी की मदद करे और अगर शरीर से भी नहीं कर सकते तो अपने मशवरेह से और अगर इससे भी नहीं तो किसी के लिए दुआ करके भी मदद की जा सकती है मेरे अजीजों ये मखलुक की खिदमत खालिक को बड़ी पसंद है ।

(09) सलाह और शूरा

अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के, ” उनके काम आपस की मशविरा से होते है । ” ( सूरह शूरा: 38 ) सफल लोग हमेशा मशविरा करते है वो घमंडी नहीं होते बल्कि टीमवर्क मे यकीन रखते है इस्लामी तालीमात के मुताबिक सफल लोगों की आदते इस्लामिक नजरिए से शूरा और सलाह से जुड़ी होती है ।

हमारे प्यारे आका इरशाद फरमाते है के, मशवरेह मे खैर है । इसका मतलब ये है के सलाह लेनी भी चाहिए और सलाह देनी भी चाहिए ताकि आपस मे मुहब्बत भी बड़े और एक दूसरे तजुर्बे से आगे भी बड़ा जा सके ।

(10) हमेशा बहतर करने की कोशिश

हमारे प्यारे आका इरशाद फरमाते है के, ” अल्लाह पाक उस इंसान से मुहब्बत करता है जो जब कोई काम करे तो उसे अच्छे तरीके से करे । ” मेरे अजीजों इसका मतलब ये है के हर एक मुसलमान को मुमताज मा शरफ काम की तरफ बढ़ना चाहिए और जितना हो सके उस काम को खूबसूरत अंदाज मे करे ।

कामियाब मुसलमान वही हो पाता है जो अपने काम मे महंनत करता है उसमे खूब मन लगाता है उस काम से मुहब्बत करता है और उसे फॉर्मलटी से नहीं करता है । लिहाजा अगर आप भी सफल लोगों की लिस्ट मे आना चाहते हो तो फिर आपको भी अपने काम से इश्क होना चाहिए ।

खुलासा ए कलाम

मेरे प्यारे दोस्तों अगर आप चाहते है के दुनिया मे भी कामयाब हो और आखिरत मे भी, तो फिर सफल लोगों की आदतो इस्लामिक तरीकों से आप अपनाना शुरू कर दे और यह आदते सिर्फ आपको रूहानी तसल्ली ही नहीं देती बल्कि आपकी जिंदगी को आपकी सलाहीयतों को उरुजीयत के दरवाजों पर लाकर खड़ी कर देती है।

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