आज के इस पोस्ट मे हम जानेंगे के कब्र के अंदर क्या होता है ? जब किसी मुसलमान का इंतेकाल हो जाता है तो फिर जब उसे कब्र मे उतारा जाता है तब कब्र के अंदर क्या होता है ? कब्र की पहली रात मे क्या होता है ? मरने के बाद कब्र मे क्या होता है और कब्र मे पूछे जाने वाले वो 3 सवाल कौनसे है जिनका अगर जवाब दे दिया तो जन्नत और अगर नहीं दे सका तो फिर जहंनम रसीद करा दी जाती है ।
इन सवालों के अलावा और जीतने भी सवाल आप के जहन मे, दिमाग मे आ रहे हो उन तमाम सवालों को जवाब आपको यहा मिलने जा रहा है अगर आप इस पोस्ट मे पूरा पढ़ते हो तो फिर आपके हर सवाल का जवाब तफसील से मिल जाएगा और न कही और जाने की जरूरत पड़ेगी ।
इस्लाम मे मौत के बाद कब्र के अंदर क्या होता है ?
आपको बात दे के इस्लाम मे मौत और उसके बाद की जिंदगी एक बहुत ही अहम मोजू है और जब कोई शख्स मारता है तो उसका जिस्म कब्र मे दफन कर दिया जाता है लेकिन रूह का सफर जारी रहता है इस्लाम के मुताबिक, मौत के बाद ही असल जिंदगी शुरू होती है क्योंकि दुनियावी जिंदगी तो फ़ानी होती है यानि के फनाह होने वाली होती है लेकिन मौत के बाद की जिंदगी फनाह नहीं होती है ।
मौत के रूह कई सारे मरहलों से गुजरती है जिसमे से सबसे अहम कब्र की जिंदगी जिस बरजख कहा जाता है ये ही सबसे अहम होती है क्योंकि आने वाले मरहले सब इसी पर डिपेंड करते है आज हम इस्लाम के मुताबिक कब्र मे होने वाले सवालों और वाकियात पर तफ़सीली गुफ्तगू करेंगे ।
(01) मौत के बाद रूह की हालत क्या होती है ?
इस्लाम मे बुनियादी चीज है के जब आप ये जानने के लिए आए हो के कब्र के अंदर क्या होता है तो जब किसी शख्स की मौत होती है तो उसकी रूह को फ़रिश्ते ले जाते है अगर जिसकी मौत हुई है वो नैक बंदा या बंदी थी तो उसकी रूह के लिए फ़रिश्ते रहमत और इज्जत के साथ आते है और अगर जिसकी मौत हुई है वो बंदा या बंदी बदकार था तो उसकी रूह के लिए फ़रिश्ते एक काले रंग मे आते है ।
हदीस मे आता है के नैक रूह को खुसबुदार कपड़े मे लपेटकर ऊपर ले जाया जाता है और इसको सातों आसमानों की शेर कराई जाती है जिस भी आसमान मे फिरिश्ते लेकर जाते है तो दूसरे फिरिश्ते कहते है के ये किस खुश नसीब की रूह है और जबकि किसी बदकार की रूह लेकर जाते है हर जगह यही आवाज आती है के ये किस बदकार और बद बखत की रूह है जिसमे से बदबू भी आती है ।
(02) मौत के बाद कब्र मे कितने और कौनसे सवाल पूछे जाएंगे ?
जब शख्स को दफन किया जाता है, तो उसके पास मुंकर और नकीर नाम के 2 फिरिश्ते आते है और वो ये 3 अहम सवाल पूछते है ।
- मा रब्ब-उका ? ( यानि तेरा रब कौन है ? )
- मा दीनुका ? ( यानि तेरा मजहब क्या है ? )
- मा हाजा अर-रजुल ? ( यानि ये शख्स कौन है ? यानि मुस्तफा जाने रहमत, हमारे दिलों के सुकून के बारे मे )
जो लोग ईमान और अच्छे आमाल वाले होते है वो तो सही जवाब देंगे और उन्हे कब्र मे सुकून मिल जाएगा लेकिन अल्लाह रहम करे जो लोग गुनाहों मे डूबे होते है वो जवाब नहीं दे पाते और उन्हे सजा दी जाएगी ।
आप मे से किसी-किसी के जहन मे ये सवाल आ रहा होगा के ये तो बहुत आसान सवाल है और इनका जवाब तो मुझे भी पता है लेकिन मेरे अजीजों यहा दुनिया मे हम अपनी जवान से जो चाहे बोल सकते है लेकिन कब्र मे हमारी जवान वही बोलेगी जो हमारा अमल रहा होगा जैसे-
हमने जिंदगी मे अल्लाह पाक को वाहिद ही खुदा माना होगा तब ही इसका जवाब दे सकेंगे एस न के बुतो को भी अल्लाह के शरीक या अल्लाह पाक के अलावा किसी को भी उसका शरीक जहन मे या दिल मे समझा तो ईमान गया जवाब नहीं दे सकोगे।
ठीक इसी तरह फकत नाक के मुसलमान होकर अपना दीन-मजहब इस्लाम नहीं बात पाओगे जब के मुकम्मल फर्ज अदा करने के साथ नैक काम भी किये हो और जो जाना उस पर अमल भी रहा हो
एसा नहीं के दुनिया वालों को हदीसे सीखा रहे लेकिन खुद का अमल कुछ नहीं इसे लोग दूसरे सवाल का जवाब नहीं दे सकेंगे ।
ठीक इसी तरह हुज़ूर नबी ए रहमत, मुस्तफा करीम की मुहब्बत अगर सीने मे न होगी तो नमाज़, रोज़े, जकात , हज सब के सब यूही रह जाएगा क्योंकि हुज़ूर की मुहब्बत ईमान का हिस्सा है हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है के,
” जब तक तुम मुसलमान हो ही नहीं सकते जब तक के दुनिया मे सबसे ज्यादा मुझसे मुहब्बत न करे। ”
अब इस हदीस से ये भी मालूम चला के हुज़ूर का मुकाम और मर्तबा कितना बड़ा है बेशक वो तमाम जहानों के लिए रहमत है तो दोस्तों कब्र अंदर क्या होता है ? कब्र के अंदर यही होता है जो आप पढ़ रहे हो।
(03) कब्र मे नेक रूहों का आराम और बुरी रूहों की सजा
नेक लोगों की रूहों के लिए
- कब्र उनके लिए जन्नत के बगीचे जैसी बन जाती है।
- वो सुकून मे होते है और जन्नत की खुशबू महसूस करते है।
- उनके लिए आराम और राहत का वक्त होता है।
बदकार लोगों की रूहों के लिए
- उनकी कब्र जहंनम के गड्डो मे से एक गड्डा बन जाती है।
- वो दर्द और टकालीफ़ महसूस करते है।
- उन पर कब्र का अज़ाब शुरू हो जाता है, जिसे अजाब-ए-कब्र भी कहा जाता है।
(04) कब्र का अजाब और उससे बचने के तरीके
हदीस मे बताया गया है के कुछ लोग अपनी बुरी आदतों और गुनाहों की वजह से कब्र के अजाब मे मुब्तला होते है और कुछ बड़े गुनाह जो अजाब ए कब्र का सबब बनते है जैसे के
- झूठ बोलना
- गीबत यानि के चुगली करना
- पेशाब के छीटो से न बचना
- गुनाह करते जाना
अजाब ए कब्र से बचाने के तरीके
- पांचों वक्त की नमाज पढ़ना
- कुरान शरीफ की तिलावत करना, खास तौर पर सूरह मुल्क पढ़ना
- अच्छे आमाल करना और लोगों के साथ भलाई करना
- ईमानदारी से जिंदगी गुजारना
इनके अलावा भी बहुत सरए काम है जिनसे आप अल्लाह पाक की रिजा हासिल कर सकते हो गरीबों की मदद करना माल से जकात से और अपने घर वालों से मुहब्बत करना हर एक हुकूक अदा करना बीवी बच्चों पर शफकत करना, भाई-भाई से मुहब्बत करना हर एक हक पूरा देना ।
(05) कब्र से हश्र के मैदान तक का सफर कैसे होगा ?
आपको बात दे के इस्लाम के मुताबिक, कब्र मे हर एक शख्स तब तक रहेगा जब तक के कियामत का दिन नहीं आएगा और जब कियामत आएगी तो तमाम कब्रों मे दफन लोग दोबारा जिंदा किये जाएंगे और उन्हे हश्र के मैदान मे ले जाया जाएगा वहा उनके आमाल का हिसाब किया जाएगा और फिर जन्नत या जहंनम मे भेजा जाएगा।
यानि के मौत के बाद कब्र मे रहना है जिसका एक नाम आलम ए बरजख है अब ये कहा है इसका जवाब तो अल्लाह पाक ही जानता है और उसकी अता से उसका रसूल और फिर जब कियामत आएगी फिर कब्रों से उठाए जाएंगे उसके बाद हिसाब होगा मैदान ए महशर मे उसके बाद अल्लाह पाक के फजल से जन्नत वाले जन्नत मे और एक वक्त एसा भी आएगा के जह्ननम वाले कुछ लोग जो हुज़ूर की उम्मत मे से होंगे लेकिन उनके आमाल बड़े खराब होंगे
जिनकी वजह से उनको जहन्नम मिली लेकिन अल्लाह पाक अपने फजल से अपने हबीब के उनके मुसलमानों को भी जन्नत अता कर देगा । तो हमको चाहिए के कसरत के साथ नमाजों की पाबंदी करे, रमजान शरीफ के रोज़े रखे, अगर जकात फर्ज है तो जकात भी अदा करे, और अल्लाह पाक ने नवाजा है तो हज करे प्यार-प्यारा काबा देखे फिर उस काबे का काबा भी यानि हुज़ूर का रोजा देखे ।
नतीजा
इस्लाम मे कब्र की जिंदगी को बहुत संजीदगी से लिया जाता है ये एक एसा अहम मकम है के जहा शख्स के जिंदगी के अच्छे या बुरे आमाल का पहला हिसाब होता है इसलिए हर मुसलमान को चाहिए के वो ज्यादा से ज्यादा नेक आमाल करे, ईमानदारी से जिए और अपनी दुनिया और आखिरत को सवारने के लिए महनत करे।
अल्लाह पाक हमे कब्र के अजाब से बचाए और हमे जन्नत मे आला से आला मुकाम अता करे आमीन सुममा आमीन