मै अभी जवान हूँ।

मै अभी जवान हूँ।

जवानी अल्लाह पाक की बड़ी नेमत है –

मेरे अजीजों जवानी अल्लाह पाक की बहुत बड़ी नेमत है और मै अभी जवान हूँ ये जुमला सिर्फ उम्र का ही पता नहीं देता है बल्कि ये एक पैगाम है, एक मौका है, एक जिम्मेदारी है । दीन ए इस्लाम मे जवानी को एक अजीम दौलत कहा गया है ।

अल्लाह पाक ने इंसान को बचपन से लेकर बुढ़ापे तक अलग-अलग मरहिले रखे है लेकिन जवानी का दौर सबसे ताकतवर, जोश से भरा और जोश के साथ ही हिम्मत वाला भी होता है । ये एक एसी नेमत के बंदा जो कुछ करना चाहे वो इस वक्त कर सकता है ।

इसके तालुक ने हमारे प्यारे नबी ए करीम ﷺ इरशाद फरमाते है, ” कयामत के दिन कोई इंसान अपना कदम नहीं हिला सकेगा जब तक कि उससे पाँच चीजों का हिसाब न ले लिया जाए । ” और उनमे से एक होगा कि, ” अपनी जवानी कहा गुजारी । ”

तो सोचिए मेरे अजीजों अब जो लोग अपनी जवानी को गली-मुहल्ले के कोनों पर रात-रात भर या बाइकस पर उलटी सीधी जगह रात भर घूमते रहते है वो लोग क्या हिसाब देंगे और हकीकत मे अल्लाह पाक ने ये एसा मौका दिया है जवानी का वक्त जिसमे हम और आप अपनी कब्रों की जिंदगी के लिए कुछ नैक आमाल कर सकते है ।

ये मेरी ताकत है – अभी मै जवान हूँ

मेरे अजीजों जवानी एक एसी नेमत अल्लाह पाक ने अता की है के अगर कोई इस्लाम की तालीम और हिदायत से जुड़ जाए तो यकीनन वो इंसान दुनिया और आखिरत दोनों मे कामियाब हो जाएगा ।

जब मै कहता हूँ कि मै अभी जवान हूँ तो ये फकत उम्र की ही बात नहीं होती बल्कि ये इरादों की बात होती है जवानी मे इरादे पुख्ता होते है दिल मे हिम्मत होती है और आँखों मे सपने होते है ।

जवानी के तालुक से हजरतए अली शेर ए खुदा इरशाद फरमाते है कि, ” जिसके पास जवानी है और वो इल्म हासिल कर रहा है, वो उम्मत का मुस्तकबिल है । ”

सपने देखना – दीन क्या कहता है ?

मेरे अजीजों इस्लाम मे बड़े-बड़े मसकद रखने को बुरा नहीं समझा जाता है बल्कि नैक नियत और मेहनत से किये गए खवाव पूरे ये तो अल्लाह पाक के नजदीक बहुत पसंदीदा होते है ।

एक बार जब हजरतए यूसुफ अलैहिस्सलाम ने अपने वालिद साहब से कहा के, ” ए अब्बा ! मैने देखा कि सूरज, चाँद और 11 सितारे मुझे सजदा कर रहे है । ” ( सुरह यूसुफ आयत 12:4) तो क्या ये एक सपना नहीं था ?

हा लेकिन ये ख्वाब बना एक हकीकत और उसी सपने के लिए हजरतए यूसुफ अलैहिस्सलाम ने सब्र, मेहनत और तौहीद का रास्ता इख्तियार कर लिया और आज मै और हम सब जवान है कहने वाले हर एक शख्स के दिल मे,

कोई न कोई सपना जरूर होता है हमसे से कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई आलिम ए दीन तो कोई बीजनेसमें तो कोई लेखक और कोई कुछ और । अगर हमारा मकसद नैक है और तरीका उम्मत की खैर खवाई और घर वालों की भलाई है तो फिर ये ख्वाब भी एक तरीके से सवाब का पहलू बन जाएगा ।

दीन की तालीम है – दिल का रोशन चिराग

दीन ए इस्लाम की तालीम किसी एक मजहबी इल्म तक सीमित नहीं है इल्म की तलाश हर एक मुसलमान पर फर्ज है मर्द और औरत दोनों पर । ” इल्म हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज है ” हदीस ( इब्ने माजाह )

मेरे अजीजों ” मै भी जवान हूँ ” तो क्यों न इस वक्त को इल्म के लिए खरच करू ? और न कुरान को समझने की कोशिश करू ? क्यों न दुनिया की सही तालीम को लेकर उम्मत की खिदमत करू ? इन बातों का अपने जहनों मे ख्याल रखना बहुत ज्यादा जरूरी है ।

जवानी और इस्लामी किरदार की अहमियत

हमारे प्यारे-प्यारे नबी ए करीम ﷺ ने कई नौजवानों को बड़ी जिम्मेदारिया सोपी थी जैसे के (01) हजरतए अली रजियल्लाहु तआला अन्ह जो के इस्लाम कबूल करने वाले सबसे पहले नौजवान थे ।, (02) हजरतए उसामा बिन जैद रजियल्लाहु तआला अन्ह जिन्हे सिर्फ 18 साल की उम्र मे ही फौज का सरदार बना दिया था ।

(03) हजरते अब्दुल्लाह बिन मसऊद, हजरते मुआज बिन जबल और हजरतए अनस बिन मालिक सबके सब जवान थे लेकिन दीन के लिए जान लड़ा दी थी लेकिन आज अगर कोई कहे के मै भी जवान हूँ तो उसे इन तमाम सहाबियों से सबक लेना चाहिए के जवानी का क्या हक है जिंदगी पर दीन के मामले मे ।

जवानी का सही इस्तेमाल कैसे करे ?

मेरे प्यारो जवानी मे वक्त बहुत कीमती होता है लेकिन आज का नौजवान अक्सर सोशल मीडिया, फालतू महफिलों और गुनाहों मे वक्त जाया कर देता है । और दीन ए इस्लाम मे वक्त की कद्र करना सिखाता है हदीसो मे आता :

” दो नेमते है जिनके बारे मे बहुत सारे लोग धोखा खा जाते है – सेहत और फुरसत ” ( बुखारी ) आप अपनी जवानी का इस्तेमाल इन कामों मे करे कुरान को समझे, नमाज की पाबंदी करे, दुआ का सिलसिला बनाए, मा-बाप की खिदमत करे, कम्युनिटी सर्विस मे हिस्सा ले, नई स्किल्स सीखे, कोई हलाल बिजनेस शुरू करे, इस्लामी दीन को दुनिया तक पहुचाने का जरिया बने ।

मुझे डर नहीं क्योंकि मै अभी जवान हूँ

मेरे प्यारो हकीकत मे जवानी डर से लड़ने का ही नाम है और फिर जब साथ मे हो ईमान और यकीन, तो फिर कौन सी मुश्किल है जो रुकावट बने ? अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है, ” बेशक अल्लाह ईमान वालों का मददगार हो । ” ( सुरह अल बकरा आयत 257 )

अगर आपका दिल कहता है के आप भी कुछ कर सकते है – एक अच्छा मुसलमान, एक कामयाब इंसान, एक उम्मत की ताकत तो फिर आप कहिए के , ” हा, मै भी जवान हूँ और मुझे कुछ बड़ा करना है । ”

एक पॉइंट ऑफ वियु से जवानी एक इम्तेहान भी है –

हा, ये सच है के जवानी एक बहुत बड़ा इम्तेहान है नफ़स की ख्वाहिशे, शैतान के वसवसे, गलत सोहबत इन सबसे बचना आज के टाइम पर बहुत बड़ा इम्तेहान हो बन चुका है क्योंकि जिस तरह जाहिलाना दुआर मे फेशन के नाम पर खुरापात और बे हायाई आम दर पेश है इसको दूर करने से हमे ये काम करने चाहिए ।

नमाज से दिल पाक होगा, रोजा नफ़स को कंट्रोल करेगा, जिक्र दिल को सुकून देगा, इल्म सही और गलत मे फरक सिखाता है और नैक दोस्तों की सोहबत ईमान को मजबूत करेगी ।

खुलासा ए कलाम

मेरे अजीजों हर दिन हमे याद दिलाता है के वक्त जा रहा है जो के आज मै जवान हूँ कह रहा है कल वो कहेगा काश ! जवानी मे कुछ कर लिया होता । ” तो मेरे अजीजों आइए अभी से इरादा करे:

a) अपने ख्वाबों को तहरीर दे

b ) अपनी जिंदगी को इस्लाम के रंग मे रंग दे

c ) अपने वजूद को उम्मत की ताकत बना दे

d ) अल्लाह पाक से दुआ करे के हमारी जवानी उसके लिए हो जाए

” ये अल्लाह ! हमारी जवानी को अपने रास्ते मे लगा दे, हमे नैक काम करने वाला बना दे, और हमारी जिंदगी को कामियाबी और बरकत से भर दे आमीन । ” जब आप रब्बे कायनात की बारगाह मे सिदके दिल से दुआ माँगोगे तो इंशा अल्लाह वो जरूर सुनेगा ।

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