इस्लाम मे निकाह कैसे होता है

इस्लाम मे निकाह कैसे होते है?, इस्लाम मे निकाह कब कब होता है?, निकाह कैसे करते है?, क्या बस 3 बार कुबूल कहने से निकाह हो जाता है? निकाह कब करना चाहिए?, क्या निकाह करना फर्ज होता है क्या निकाह करना सन्नत होता है क्या निकाह करना वाजिब होता है और किस तरह ये निकाह होता है? निकाह कितने प्रकार यानि की कितनी किस्मों का होता है? निकाह कब करना चाहिए ?

इन सारे सवालों के जवाब और जो कुछ इसमे रह गए है उन तमाम ही सवालों के जवाब हम इस पोस्ट मे बताने जा रहे है मेक sure की आप इस पोस्ट को पूरा पढे ताकि इस्लाम की सही तालीम निकाह के तालुक से आपके जहेन मे आ सके।

निकाह क्या है इस्लाम मे और इसका मकसद क्या है ?

इस्लाम ने निकाह इस अक्द को कहते है की मर्द को औरत से जिमा हलाल हो जाए अब अगर किसी मर्द को शहवत का बहुत ज्यादा गलबा न हो और महर और नफका पर कुदरत भी हो तो इस सूरत मे निकाह सुन्नत ए मोकेदा है के निकाह न करने पर अड़ा रहना गुनाह है

और अगर हराम से बचना इत्तेबा ए सुन्नत और तामील ए हुक्म या औलाद होना मकसूद है तो इसका सवाब भी पाएगा और अगर महज लज्जत या कज़ा ए हाजत मंजूर हो तो सवाब नहीं ।

इस्लाम मे निकाह की फ़ज़ीलत क्या-क्या है ?

चूंकि आदमी की नस्ल का बाकी रहना निकाह पर मौकूफ है और आदमी की तबई खवाईश भी है इसलिए अल्लाह पाक ने निकाह करने का हुक्म दिया और इसके अहकाम कुरान ए मजीद फुरकान ए हबीब मे बयान फरमाए।

हमारे प्यारे नबी, तमाम नबियों के सरदार, हुज़ूर नबी ए रहमत ने निकाह की तरगीब दी और इसके फायेदे और कायेदे इरशाद फरमाए। बुखारी और मुस्लिम वगैरा हदीस की किताबों मे लिखा है के हुज़ूर ने इरशाद फरमाया,

” ए जवानों ! तुम मे जो निकाह कर सकता है वो निकाह करे के निकाह बुरी नजर और बुरे काम से रोकने वाला है और जिस से न हो सके तो वो रोजा रखे के रोजा शहवत को तोड़ने वाला है। ” और हुज़ूर फरमाते है के,

” जो खुद से पाक और साफ होकर मिलना चाहता है वो आजाद औरतो से निकाह करे और फरमाया जो मेरे तरीके को दोस्त रखे वो मेरी सुन्नत पर चले और मेरी सुन्नत से निकाह है और फरमाया के दुनिया की सबसे बड़ी और अच्छी नेमत नैक बीवी का मिल जाना है और फरमाया के जो इतना माल रखता है के निकाह करले फिर भी निकाह न करे वो हम मे से नहीं। “

निकाह कब फर्ज हो जाता है, कब वाजिब और कब हराम भी हो जाता है ?

निकाह करना कब वाजिब हो जाता है ?

शहवत का गलबा है के निकाह न करे तो डर है के जिना हो जाएगा और महर और नफका की कुदरत भी है तो निकाह वाजिब हो जाता है और यू ही के बुराई औरत की तरफ देखने से रुक नहीं सकता या माज-अल्लाह हाथ से काम लेना पड़ेगा तो इस सूरत मे भी निकाह वाजिब हो जाता है ।

निकाह करना कब फर्ज हो जाता है ?

ठीक इसी तरीके से शहवत इतना ज्यादा गलबा हो गया है के बिल्कुल ही पक्का यकीन है के निकाह न किया तो जिना हो जाएगा तो अब इस हालत मे इस पर फर्ज है की ये निकाह करे क्योंकि इस हालत मे इस निकाह फर्ज हो चुका है ।

निकाह करना कब हराम और मकरूह हो जाता है ?

निकाह करना चाहता है लेकिन ये डर है के निकाह करेगा तो नयाँ और नफका न दे सकेगा जो जरूरी बाते है इनको पूरा न कर सकेगा तो एसी हालत मे निकाह करना मकरूह है और अगर इन बातों पर यकीन हो के निकाह करेगा तो नान और नफका दे ही नहीं सकेगा

तो इस सुरत मे इस पर निकाह हराम है लेकिन बहरहाल निकाह हो जाएगा । ये भी याद रखिए की निकाह और इसके हुकूक अदा करने मे और औलाद की तरबीयत मे मशगूल रहना, नवाफ़िल से बहतर है ।

निकाह मे कितने मुस्तहबात है और कौन-कौन से है ?

निकाह के 7 मुस्तहबात है और वो ये है ..

  1. निकाह का एलानिया होन।
  2. खुतबा निकाह से पहले होन(कोई सा खुतबा हो लेकिन बहतर वही है जो हदीस मे आया है)
  3. निकाह का मस्जिद मे होना।
  4. जिस दिन निकाह हो उस दिन जुमा का दिन होना।
  5. गवाह आदिल हो यानि की इंसाफ और ईमानदार हो इसका होना भी मुस्तहब है।
  6. मर्द का औरत से उम्र, हसब, माल और इज्जत मे ज्यादा होना ये भी मुस्तहब है।
  7. औरत का मर्द से चाल-चलन और अखलाकी यानि की अच्छी आदते और तकवा यानि की परहेजगारी और जमाल यानि की खूबसूरती मे ज्यादा होना।

ये याद रखे के ये सब मुस्तहब है अगर हो जाते है तो बहुत अच्छी बात है अगर नहीं होते है या आगे पीछे हो जाते है तब भी निकाह हो जाएगा।

निकाह मे ईजाब और कुबूल क्या है?

ईजाब और कुबूल कहते इसको है के जेसे की मर्द और औरत मे से औरत कहदे की मेने खुद को तेरी ज़ोजियत मे दिया और मर्द कह दे की मेने कुबूल किया । ये निकाह के रुकन है पहले जो कहे वो ईजाब है और इसके जवाब मे दूसरे के अलफाज को कुबूल कहते है जब ये दोनों आपस मे ये कह रहे हो तब 2 आकिल-बालिग मर्द हो या 1 मर्द और 2 औरते हो तो निकाह हो जाएगा इसमे महर भी नाफ़ और नफका के साथ तय होन जरूरी है।

निकाह के लिए कितनी शर्ते है और कौन-कौन सी है?

इस्लाम मे निकाह के लिए 5 अहम शर्ते है अगर ये पूरी हो तो निकाह सही माना जाएगा और वो ये है।

(01) जिनका निकाह हो रहा है वो दोनों आकील-बालिग मुसलमान हो ।

(02) निकाह के वक्त 2 आदिल मर्द आकील-बालिग गवा मुसलमान गवा हो या 1 मर्द और 2 औरत गवा हो ।

(03) लड़की की तरफ से वली यानि की लड़की के सरपरस्त ( यानि की वालिद या करीबी रिश्तेदार ) की इजाजत होना।

(04) शोहर की तरफ से बीवी के लिए महर मुकर्रर करना जो फौरन या बाद मे अदा किया जा सकता है।

(05) ईजाब और कुबूल का होना यानि की लड़की और लड़का का गवाहो के सामने एक दूसरे को शोहर-बीवी तस्लीम करने की गवाही दे देना।

निकाह के लिए गवाहो की तफ़सील ?

ईजाब और कुबूल 2 मर्द या 1 मर्द और 2 औरतो के सामने हो जो की गवा है अब ये गवा आकील-बालिग हो और सब निकाह के अलफाज साथ सुने। बच्चों और पागलों की गवाही से निकाह नहीं हो सकता और न ही गुलाम की गवाही से।

मुसलमान मर्द का निकाह मुसलमान औरत के साथ हो तो गवाहो का भी मुसलमान होन शर्त है लिहाजा अगर अहले किताबिया से निकाह मुसलमान मर्द का निकाह हो तो गवाह जिम्मी काफिर भी हो सकते है ।

फकत औरतों के गवा होंने पर निकाह नही हो सकता जब तक की उन्मे 2 औरत गवा हो और 1 मर्द हो निकाह के 2 मर्द गवा अगर फासिक भी तो भी निकाह हो जाएगा।

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