अल्लाह पाक को कैसे मनाए

अल्लाह को कैसे मनाए । Allah ko kaise Manaye

अल्लाह को कैसे राजी और कैसे मनाए ?

मेरे अजीजों अल्लाह पाक के फजल से हम सब मुसलमान है और हुज़ूर के उम्मती है और हमसे से हर एक मोमिन की खवाईश होती है के अल्लाह पाक उससे राजी हो जाए और उसकी जिंदगी और आखिरत मे कामयाबी हासिल हो जाए ।

लेकिन सवाल ये आता है के हम आखिर अल्लाह को कैसे मनाए ? के वो हमसे राजी हो जाए और ये सवाल हर एक उस शख्स के दिल मे उठता है जिसने कभी गलती की हो, तौबा करनी हो या अल्लाह पाक के ज्यादा नजदीक होना चाहता हो या चाहती हो ।

मेरे प्यारे आका, हुज़ूर नबी ए रहमत के प्यारो आज के इस पोस्ट मे हम तफसील से कुरान ए मजीद और हदीस ए पाक की रहनुमाई मे जानेंगे के एक आम इंसान आखिर कैसे अल्लाह पाक को राजी कर सकता है ।

(01) तौबा और इस्तगफार करे: अल्लाह पाक को मनाने का पहला कदम

अल्लाह पाक को कैसे मनाए इसका सबसे पहला जवाब है के सच्चे दिल से तौबा करे और आइंदा गुनाह कभी न करने का अहद करे याद रखे गुनाह पर नदामत भी होनी चाहिए और फिर उस गुनाह से नफरत का होना भी इसके लिए शर्त है ।

अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के, ” बेशक अल्लाह बहुत तौबा कबूल करने वाला और रहम करने वाला है । ” ( सूरत अल जुमर, 39:53 ) मेरे अजीजों लेकिन आपने अगर कोई गुनाह किया है,

तो फिर पहले उसे तस्लीम करे फिर दिल से शर्मिंदा हो और फिर पक्का इरादा करे के अब दुबारा नहीं करेंगे और इसके साथ ही कसरत के साथ अस्तगफार पढ़ते रहे ।

(02) पांचों नमाजों की जमात के साथ पाबंदी करे

जो कोई मोमिन चाहता है के वो अल्लाह को राजी करले तो उसके लिए नमाज सबसे अहम जरिया नमाज है और चूंकि ये फर्ज भी है इसलिए इसकी अहमियत बहुत ज्यादा है नमाज से सीधा खुदा के साथ रिश्ता कायम होता है मर्द मस्जिद मे जमात के साथ पांचों नमाजे अदा करे वही खवातीन हजरात घर पर नमाजों का एहतिराम करे ।

हदीस ए पाक मे आता है के, ” नमाज दीन का सुतून है, जो भी इसे कायम रखेगा वो दीन को कायम रखेगा। ” इसके साथ ही नमाज हमारे प्यारे आका हुज़ूर नबी ए रहमत की आँखों की ठंडक भी है ।

(03) रात की नमाज ( तहजुद ) पढ़ना

मेरे अजीजों अगर आप वाकई अल्लाह को राजी करना चाहते हो तो फिर आपको मालूम होना चाहिए के तहजुद अल्लाह पाक के करीब जाने का एक खास जरिया है रात के सन्नाटे मे उठकर जब कोई बंदा अल्लाह से दुआ करता है, तो वह अल्लाह पाक को बहुत ज्यादा पसंद आता है ।

अल्लाह को कैसे मनाए एक जवाब ये भी है के आप लोगों से छुपकर, अकेले मे सिर्फ उसी से मांगे जरा तसव्वुर तो कीजिए मेरे अजीजों के जब रात के अंधेरे मे तमाम लोग नींद की कहराई मे सो रहे होंगे उस वक्त आपका सर सजदे मे होगा क्या आलम होता होगा खुदा की रहमत का !

(04) दूसरों के साथ हुसने सुलूक किया करे

अल्लाह पाक को राजी करने के लिए सिर्फ इबादत ही नहीं चाहिए मेरे अजीजों बल्कि इंसानों के साथ अच्छा सुलूक भी जरूरी है किसी भूखे को खाना खिलाना, गरीब की मदद करना, किसी का दिल न दुखाना बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के दिलों को खुश करना ये सब एसे काम है जिनसे अल्लाह पाक खुश होता है ।

लिहाजा किताबों मे आता है के, ” जो तुम मे से नेक अमल करेगा, अल्लाह उसके अमल को जाया नहीं करेगा । ” ये कितनी बड़ी बात है लेकिन मेरे अजीजों याद रखे आपके अमल फकत अल्लाह पाक की रिजा के लिए होने चाहिए न के रिया कारी यानि के दिखावे के लिए ।

(05) रोजाना कुरान पाक की तिलावत किया करे

कुरान ए मजीद की तिलावत करने से आपका दिल नरम होगा और अल्लाह को कैसे मनाए का एक अहम तरीका है के आप रोजाना ही कसरत के साथ कुरान ए मजीद की तिलावत किया करे और इसके माएने भी पढे बल्कि इसकी तफ़सील भी जानते चले ।

मेरे प्यारो कुरान ए मजीद न सिर्फ इल्म का खजाना है बल्कि ये अल्लाह के बहुत ज्यादा करीब कर देती है आपने देखे होंगे वो हाफ़िज़ ए कुरान जिनके सीने मे कुरान है उनके चेहरे को भी देखा होगा किस कद्र उनके चेहरों पर नूर और सुकून होता है ये सब अल्लाह पाक के कलाम की ताकत है ।

(06) सच्चा और साफ दिल रखना

मेरे अजीजों हम सब को बनाने वाला हमारा रब दिलों के छुपे हुए इरादों को जानता है अगर हम और आप अपना-अपना दिल साफ रखेंगे इसमे किसी के लिए नफरत नहीं रखेंगे बल्कि मुहब्बत रखेंगे बड़ों का अदब और छोटो पर शफकत का ख्याल भी रखेंगे तो यकीनन इसका अजर हमे वो खालिक जरूर अता फरमाएगा।

हदीस शरीफ मे आता है के, ” अल्लाह तुम्हारी सूरत और माल को नहीं, बल्कि तुम्हारे दिल और आमाल को देखता है । ” ( मुस्लिम ) यानि के आपकी सूरत कैसी भी हो कुछ फर्क नहीं पड़ता और इसी तरह आपके पास कितना ही माल ही क्यों न हो इससे भी कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा,

अगर फर्क पड़ेगा तो वो बस आपके आमाल से पड़ेगा आपकी नियत से पड़ेगा आपके आमाल कैसे है तो मेरे अजीजों हम सब अपने आप को सच्चा और साफ दिल बनाए ताकि हमारा रब हमसे राजी हो ।

(07) अपने रिज्क को हलाल रखे और हराम से सख्त दूर रहे

हलाल रिज्क ही असल मे मोमिन के जिस्म मे लगता है जबकि हराम तो कही न कही जाया ही हो जाता है मेरे अजीजों हम मे से हर एक मुसलमान को हलाल तरीके से ही अपनी रोजी कमानी चाहिए, चोरी, धोका, सूद और हराम काम से बचना चाहिए ।

अगर आप अल्लाह को मनाना चाहते है तो फिर आपकी कमाई भी पाक होनी ही चाहिए और हराम से खुद भी बचे और जहा तक हो सके अपने दूसरे मोमिन भाइयों को भी बचाइए ताकि आप उनके हुकूक से भी बरी हो सके ।

(08) गलत सोहबत से बचते रहे

जब इंसान जिस किसी भी माहौल मे बैठता है उठता है बोलता है तो फिर उसके ऊपर वही माहौल का असर तारी रहता है अब अगर अच्छी सोहबत हो तो इंसान को यही सोहबत अच्छा और नेक बना देती है और अगर बुरी सोहबत हो तो फिर यही सोहबत इंसान को गुमराह की वादियों की तरफ ले जाती है ।

अल्लाह को कैसे मनाए इसका ये तरीका है के आप अपने दोस्त एसे बनाए जिनको देखर कर आपको खुदा याद आ जाए और ये याद रखना के एक मोमिन अपने दोस्त के ईमान पर ही होता है यानि के जैसा ईमान आपके दोस्त का वैसा ही ईमान आपका हो जाएगा ।

सोहबत एसी रखे जहा से आपको दीन ए इस्लाम की सही राह भी मिलती रहे और दुनिया की मुहब्बत उतनी ही रहे जितना यहा रहना है ।

(09) वालिदैन की खिदमत

मेरे अजीजों यकीन मानना के मा एक एसी बैंक के मानिंद होती है के अगर आप उसके पास पत्थर भी ला कर जमा करोगे न तो फिर वो इस पत्थर को भी एक हीरे की तरह हिफाजत से रखेगी और बाप एक एसे एटीएम के मानिंद होता है के अगर उसमे पेसे न भी हो तब भी वो हर जगह आपके लिए गिस कर पेसे निकाल ही लाएगा ।

वालिदैन की दुआ अल्लाह पाक को बहुत ज्यादा प्यारी है अगर कोई शख्स चाहता है के अल्लाह पाक उससे खुश हो जाए, तो उसे चाहिए के वह अपने वालिदैन की पूरी इज्जत और अदब के साथ उनकी खिदमत करता रहे ।

अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है के, ” उनसे उफ़ तक न कहो और अदब से बात करो । ” ( सूरत अल-इसरा 17:23 ) इसका खुलासा ये है के अगर आपके मा और बाप दोनों या दोनों मे से कोई एक भी अपने बुड़ापे तक पहुच जाए,

तो उनसे उफ़ तक की भी ऊंची आवाज न कहो बल्कि उनकी हर हालत मे खिदमत करते रहो अल्लाह पाक आपको आपके गुमान से भी ज्यादा नवाजेगा ।

(10) दुआ – दिल से पुकारे और रिजा ए इलाही

मेरे अजीजों आपको बता दे के दुआ मोमिन का हथियार है आप दुआ मांगों वो खालिक है मालिक है रहमान है वो आपको जरूर अता करेगा और अल्लाह पाक से खुलकर मांगे चाहे कितनी भी गलतिया की हो, अल्लाह कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है,

” मुझसे दुआ करो, मै तुम्हारी दुआ कबूल करूंगा । ” ( सूरत गाफिर, 40:60 ) अल्लाह को कैसे मनाए – इस सवाल का एक जवाब ये भी है के सच्चे दिल से दुआ करना, चाहे नमाज के बाद हो, तनहाई मे ही या सजदे मे अल्लाह पाक आपकी हर हालत मे सुनता है ।

और वो यकीनन अपने बंदों को नवाजता है बस कोई मांगने वाला भी तो हो जो सच्चे दिल से उसकी बारगाह मे रो-रो कर दुआ करे उसे तलब करे वो जरूर बिन जरूर देता है ।

खुलासा ए कलाम

मेरे अजीजों अल्लाह को कैसे मनाए इसका जवाब बहुत सीधा है, तौबा करो, नमाज पढ़ो, दिल साफ रखो, अच्छे अमल करो और हर वक्त अल्लाह को याद रखो कोई भी काम करो ये याद रखो के तुम्हारा खुदा तुमको देख रहा है ।

वो हम सबका खालिक है मालिक है रहमान और रहीम है, उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं और वो हर एक चीज पर कादिर है और वो दिलों के छुपे हुए राजों से भी ब खबर है अपने रब के हुज़ूर अपने गुनाहों की माफी मांग कर नैक लोगों मे शामिल हो जाए यकीनन वो आपसे मान जाएगा ।

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