हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ?

हजरत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ । Hazrat Fatima ka Intekal kaise hua

हुज़ूर की सबसे प्यारी शहजादी हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ?

मेरे अजीजों जैसा के आप पता है के हज़रते फातिमा जिनका मुकम्मल नाम फातिमा बिनते हजरते मुस्तफा, तमाम नबियों के सरदार, हुज़ूर नबी ए रहमत है । ये एक दीन ए इस्लाम की एक अजीम हस्ती है ।

आप नबी ए करीम की सबसे छोटी बेटी थी और हज़रत ए अली से आपका निकाह हुआ था और आपका लकब जहरा था जिसका मतलब है रोशन चेहरे वाली। मेरे अजीजों बहुत सारे लोगों का पूछना था के हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ?

तो आज हम आपके सामने इस इस सवाल के जवाब को तफसील से देने लगे इसके साथ ही इसकी वजह और अहम तरीन हड़ईसों और तारीखी पहलुओ को भी आपको समझाने की कोशिश की जाएगी ।

मेरे अजीजों आज के इस आर्टिकल मे हमारा मकसद है के आपको एक मुकम्मल जवाब मिले के हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ, वो किस तरह इस दुनिया से पर्दा कर गई और उनका मुकाम और मर्तबा क्या है और उनकी वसीयते क्या-क्या थी ?

हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ जानिए ?

मेरे अजीजों जिस दिन हज़रत फातिमा का इंतेकाल होने वाला था उस से एक रात पहले हुज़ूर नबी ए रहमत आप हज़रत फातिमा के ख्वाब मे तशरीफ़ लाते है और ख्वाब मे आप किसी को तलाश कर रहे है फिर आपकी नजर हज़रत फातिमा पर पड़ती है तो कहते है बेटी फातिमा मै तुमको ही तलाश कर रहा हूँ ।

कहा सुन मेरी बेटी आज के रोज़े की शहरी तू अली के घर कर ले और रोजा खोलना मेरे साथ ये सुनकर आप ख्वाब से बेदार हो जाती है और बहुत सारा काम करने लगती है हज़रत अली के कपड़े धोने लगती है बच्चों इमाम ए हसन और इमाम ए हुसैन के कपड़े धोने लगती है ।

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साथ ही साथ मे बहुत सारा आता गूदने लगती है शाम होती है तो हज़रत ए अली का घर मे आना होता है वो देखते है फातिमा ने इतना सारा आटा गूदा हुआ और इतने कपड़े धो दिए है और इतना साफ सुथरा कर रखा है वजह क्या है ?

और जब हज़रत ए फातिमा से पूछते है एसा क्यों और हज़रत फातिमा के चेहरे पर आसू देखते है और देखते है के हज़रत फातिमा को बहुत तेज बुखार भी है पूछते है इतने तेज बुखार मे इतना काम क्यों कर रही हो ?

जवाब आता है आज तहजुद से पहले मेरे आका अब्बा हुज़ूर मेरे ख्वाब मे आये और मुझे बता गए के बेटी आज तू शहरी अली के घर करले और इफ्तार मेरे यहा करना इतना सुनते ही हज़रत ए अली फुट-फुट कर रोने लगे ।

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इधर हज़रत फातिमा भी रोने लगी रोते-रोते कहती है के सुनिए मेरे शोहर मै आपकी बीवी हूँ मुझसे इतने वक्त मे अगर आपका दिल दुखा हुआ तो मुझे मुआफ़ कीजिए हज़रत अली कहने लगे ओ फातिमा कैसी बाते करती हो अरे तुम मुझे मुआफ़ करना क्योंकि तुम हुज़ूर की शहजादी हो और मुझे याद नहीं पड़ता के मेने कभी भी तुमको पेट भर खाना भी खिलाया हो,

मुझे मुआफ़ कर देना कही अपने अब्बा हुज़ूर के नजदीक मेरी शिकायत नहीं कर देना के अली ने मेरा ख्याल नहीं रखा इतने कहने के बाद फिर दोनों रो पड़े, अब इमाम हसन भी आ जाते है और इमाम हुसैन भी आ जाते है देखते है अब्बा और अम्मा दोनों ही रो रहे है वो दोनों बच्चे रोने लगते है ।

अल्लाह – अल्लाह मेरे प्यारो बताओ तो सही कही देखा एसा नजारा जो इतने नैक, परहेजगार और जन्नती होने के बाद भी इतना खौफ खुदा ओ मेरे अजीजों हम अपने पर भी तो थोड़ा गौर करने न कहा है हम ?

अब इतनी देर मे हज़रत फातिमा हज़रत अली से कहती है के मेरी तीन वसीयते है अगर हो सके तो इन्हे पूरा कर देना हज़रत अली कहने लगे ओ मेरे रसूल की बेटी हुक्म फरमाओ तो कहने लगी,

  1. पहली वसीयत ये है के मेरा जनाजा रात को उठाना और कम से कम लोग हो मेरे जनाजे मे बस चार ही ।
  2. मेरे दोनों बच्चे छोटे से है इनसे बहुत मुहब्बत करना, इनका ख्याल रखना ।
  3. मेरे विसाल के बाद दूसरा निकाह कर लेना ।

ये कुछ वसीयत थी जो हज़रत ए फातिमा ने हज़रत ए अली को बता दी और फिर इस दुनिया ए फ़ानी से रुखसत हो गई ।

हज़रत फातिमा शहजादी ए रसूल का मुक़द्दस मकाम

हज़रते फातिमा को नबी ए करीम ने सइया दतुना निसा इल आलमीन यानि के दुनिया की तमाम औरतो की सरदार करार दिया । आप के बारे मे कई हदीस मिलती है जो आपके मकाम को वाजेह करती है जैसे हदीस ए पाक मे आता है के,

” फातिमा जन्नत की औरतो की सरदार है । ” ( बुखारी, मुस्लिम ) मेरे अजीजों हज़रते फातिमा की जिंदगी का हर एक पहलू चाहे वो एक बीवी का किरदार हो या मा का किरदार हो या फिर एक बेटी का किरदार हो हर एक किरदार मे हज़रते फातिमा की कोई भी मिसल नहीं हो सकती कयामत तक ये हर एक तहजीब की सबसे बहतरीन मिसाल है ।

हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ?

हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ? इस सवाल का जवाब सिर्फ एक वाकिया या दिन मे नहीं मिलता बल्कि इसके लिए हमे उस वक्त के हालात, सियासी मंजर और आपकी जिंदगी के आखिरी दिनों का जाएजा भी लेना पड़ेगा । जिनमे से कुछ अहम बाते नीचे बताई जा रही है –

(01) नबी ए करीम की वफ़ात सबसे ज्यादा बड़ी वजह रही

मेरे अजीजों हज़रत फातिमा के इंतेकाल की सबसे बड़ी वजह हुज़ूर नबी ए करीम की वफ़ात रही । हज़रत फातिमा ने अपने अब्बा हुज़ूर नबी ए करीम की वफ़ात का गम बहुत शदीद गहरी उदासी से महसूस किया

और जब हुज़ूर नबी ए रहमत को अपने आखिरी वक्त आखिरी वक्त का इल्हाम हुआ तो उन्होंने हज़रत फातिमा को अपने करीब बुलाया और एक बात कहकर उन्हे खुश कर दिया ।

हदीस ए मुबारक मे आता है के हुज़ूर ने अपनी शहजादी हज़रत फातिमा से कहा, ” फातिमा ! तुम मेरे घर वालों मे सबसे पहले मुझसे मिलोगी । ” मेरे अजीजों ये बात सुनकर हज़रत फातिमा रो पड़ी लेकिन फिर मुस्कुराई भी क्योंकि उनको पता चल गया के वो जल्द अपने वालिद से मिलेंगी । हुज़ूर का इस तरह पर्दा कर लेने से हज़रत फातिमा पर बहुत असर हुआ

(02) सियासी तनजात और गम

नबी ए करीम के वफ़ात के बाद कुछ सियासी और खिलाफत के मामलात सामने आये यहा पर हज़रत फातिमा ने अपनी एक जमीन जो नबी ए करीम के वक्त मे थी उसको तलब की लेकिन उनका ये हक उस वक्त के हालात मे मंजूर नहीं हुआ ।

इस मामले ने उनको और ज्यादा उदासी मे डाल दिया मेरे अजीजों हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ इसका एक पहलू ये भी था के उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों मे दुनिया से मायूसी और तनहाई महसूस की, आप दुनिया से मुकम्मल तौर पर किनारा कश हो गई थी।

हज़रत फातिमा का इंतेकाल किस हाल मे हुआ था ?

हज़रत फातिमा का इंतेकाल नबी ए करीम के वफ़ात के 6 महीने बाद ही हो गया था तरीखी रिवायात के मुताबिक आप सिर्फ 6 महीने ही रही अपने वालिद के विसाल के बाद और आप इंतेकाल 3 रमजान 11 हिजरी को हुआ था ।

(01) बीमारी अल्लाह की तरफ से आजमाइश

मेरे अजीजों रिवायात के मुताबिक, हज़रत फातिमा कुछ ही दिनों तक बीमार रही आपने अपने इंतेकाल का वक्त महसूस किया और अपनी तय्यारी शुरू कर दी आप ने गुसल, कफन और तदफीन का हुक्म दिया और कहा के उन्हे रात के वक्त ही दफन किया जाए ताके उनका जनाजा भी लोग नहीं देख सके । क्या ही पाकीजा शान थी आपकी !

(02) वफ़ात

आपके शोहर हज़रत ए अली और आपके दोनों बच्चे हज़रत ए हसन और हज़रत ए हुसैन के सामने आपने अपनी रूह अल्लाह के हवाले की और आपका इंतेकाल बहुत पुर सुकून तरीके से हुआ मेरे अजीजों इस्लामी तारीखों मे ये भी लिखा गया है के आपने अपने हाथों से अपनी चादर बिछाई, मुँह ढक लिया और सो गई और फिर कभी नहीं उठी ।

कितनी पाक और साफ दामन थी हज़रत ए फातिमा से आजकी हमारी मा और बहिनों को सीख लेनी चाहिए के कितनी ही परेशानी और आजमाइश आ जाए कितने ही दुख आ जाए लेकिन अपनी हया हमेशा हर वक्त बनाई रखनी चाहिए । यही एक कनीज ए फातिमा की पहचान हो सकती है ।

हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ – हदीस और रिवायात की रोशनी मे जानिए ?

मेरे प्यारो हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ इसके तालुक से मुखतलिफ़ रिवायात है चलिए उनको जानते है इसमे हम कुछ अहले सुन्नत वल जमात यानि के सुन्नी हजरात की पेश करता रिवायात आपको बताए और एक तरफ शिया हजरात की भी पेश करता रिवायात ।

सुन्नी रिवायात

  1. ” हज़रत फातिमा ने हुज़ूर नबी ए करीम की वफ़ात के गम को और दुनिया के रंज से उदासी मे कुछ वक्त गुजारा ”
  2. ” उनका इंतेकाल खुद नचुरल इलनेस से हुआ ”
  3. उनकी तदफीन रात के वक्त हुआ और उनकी कब्र आज तक पोशीदा ही है ”

शिया रिवायात

  1. “हज़रत फातिमा का इंतेकाल एक जिस्मानी चोट के नतीजे मे हुआ जो के एक सियासी तनाजा के दौरान हुई ”
  2. ये पहलू शिया तारीखों मे ज्यादा वाजेह है और वो इसे ज़ुल्म का नतीजा मानते है “

FAQs: हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ?

01) हज़रत फातिमा का इंतेकाल किस साल हुआ ?

जवाब हज़रत फातिमा का इंतेकाल 3 रमजान 11 हिजरी को हुआ था ।

02) हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसा हुआ ?

जवाब नबी ए करीम, हुज़ूर नबी ए रहमत के जाहिरी तौर पर पर्दा करने के गम, कमजोरी और उदासी के नतीजे से आपका इंतेकाल हुआ ।

03) हज़रत फातिमा को कहा दफनाया गया ?

जवाब हज़रत फातिमा को मदीना शरीफ मे दफनाया गया लेकिन आपकी कब्र कहा है इसका बिल्कुल सही जवाब किसी को नहीं मालूम है ।

04) हज़रत फातिमा की उम्र क्या थी ?

जवाब हज़रत फातिमा की उम्र शरीफ 29 साल की थी जब आपने इस दुनिया ए फ़ानी से पर्दा किया ।

खुलासा ए कलाम

अगर इस पूरे पोस्ट को हम खुलासा ए कलाम मे लिखे तो कुछ यू लिखेंगे के हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ? ये पूरा वाकिया बहुत रुलाने वाला और रूहानी वाकिया है, आप ने अपने वालिद के बाद छोटी सी जिंदगी गुजारी, गम और तनहाई मे ।

आप हज़रत फातिमा का इंतेकाल पुर सुकून तरीके से हुआ लेकिन आपके मकाम को हर ज़माना याद रखता है याद रखेगा । मेरे अजीजों हज़रत फातिमा की जिंदगी और वफ़ात दोनों ही मुसलमानों के लिए एक मिसाल है ।

आज भी हर मुसलमान के दिल मे ये सवाल है: हज़रत फातिमा का इंतेकाल कैसे हुआ ? और इस सवाल का जवाब उनके सब्र, तवाकुल और अल्लाह से रिश्ते मे छुपा हुआ है । हर एक औरत के लिए हज़रत फातिमा जहरा रदी अल्लाहु ताला अन्हा एक मिसाल है जिनका कोई सानी नहीं है ।

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