तबलीग कैसे करे । Tabligh Kaise Kare

दीन की तबलीग कैसे करे और इसकी क्यों हाजत है ?

दौर ए हाजिर मे किस कदर फैशन के नाम पर बे हयाई आम है और अय्याशीयों के अड्डे गरम है अब न किसी को किसी परवा है और न ही चाहत है के किसी की जिंदगी सवर जाए बहुत ही नाजुक वक्त आन पड़ा है ।

इस पुर फ़ितन दौर मे ये सवाल के तबलीग कैसे करे उन्ही लोगों के दिलों मे आता है जिनको अपनी आखिरत की परवा है वरना लोगों के ईमान तो बहुत ज्यादा हल्के हो चले है मेरे अजीजों, इस दौर मे जितनी सलाहीयते है जितनी चीजे आसान हो चली है कही न कही आप देखेंगे के हम अपने दीन से उतना ही दूर होते जा रहे है ।

वजह क्या है ? वजह है के हमने अपने बच्चों को दीन ए मुस्तफा की चाशनी नहीं पिलाई अगर हुज़ूर से इश्क सिखाते तो मंजर कुछ और लेकिन हमने दुनिया की मुहब्बत इनके दिलों मे डाली तो आज मंजर हमारी आँखों के सामने है ।

मेरे अजीजों याद रखे दीन की तबलीग वो अहम फरिजा है जिसको नबियों ने किया है और अब हुज़ूर की उम्मत को अल्लाह पाक ने इस अहम और खूबसूरत फरिजे से सफराज किया है और जो लोग दीन की तबलीग करते है या किए थे या करेंगे अल्लाह पाक उनके मुकाम और मरतबे को उरुजियत अता करता है ।

दीन की तबलीग क्यों जरूरी है ?

जब आप ये जहन मे लाते हो के दीन की तबलीग कैसे करे उसी वक्त ये सवाल सबसे पहले आता है के आखिर दीन की तबलीग क्यों जरूरी है और हमे ये क्यों करनी चाहिए तो मेरे अजीजों इसका आसान जवाब ये है जिंदगी और आखिरत को आसान बनाने के लिए दीन सीखना शर्त है,

ठीक इसी तरह बाकियो को दीन सिखाना उनके दिलों मे अल्लाह का खौफ और हुज़ूर नबी ए रहमत की मुहब्बत डालना भी लाजिम है क्योंकि अगर आप ये सोचोगे के हम तो दीनदार है और हमारे घर वाले भी अब हमे बाकियो से क्या मतलब ?

तो फिर तैयार हो जाए क्यों बाहर का मुआशरा अनकरीब आपके घर मे आने वाला है अब अगर आपको इससे बचना है तो तरीका यही है के जितना हो सके अपनी कूवत के हिसाब से मुआशरे को दीन के रास्ते पर लाने की कोशिश करे ।

ये वो काम है जिसके इनाम बहुत बहुत बड़े है लेकिन लोगों को खबर नहीं कुरान ए मजीद इसके तालुक से क्या लोगों नहीं पता और हुज़ूर नबी ए रहमत ने इसके मुतालिक क्या इरशाद फरमाया लोगों कुछ भी नहीं पता है ।

लोगों को पता है तो बस झूठ, फरेब एक दूसरे की चुगली करना, किसी का हक मारना, किसी का दिल दुखाना किसी को धोका देना और बेशुमार गाली गलोच करना ये हो चुका है मुआशरा अगर हमे इससे बचना है और घर वालों को भी बचाना है तो जहा तक हो सके अपने जरिए से अपने बच्चों के जरिए से अपने घर वालों के जरिए से दीन की तबलीग करे ।

तबलीग कैसे करे – हुज़ूर नबी ए रहमत ने इसके तालुक क्या इरशाद फरमाया ?

एक बार कबीला ए खशअम का एक आदमी बारगाह ए नुबूवत, हुज़ूर नबी ए रहमत की बारगाह मे हाजिर हुआ, जब आप हुज़ूर नबी ए करीम मक्के शरीफ मे थे, तो वो शख्स कहने लगा के, ” आप हुज़ूर नबी ए करीम है जो अल्लाह के रसूल होने का दावा रखते है । ”

इसके जवाब मे हुज़ूर नबी ए करीम फरमाया, ” हा ” तब उस शख्स ने पूछा, ” अल्लाह पाक के यहा सबससे ज्यादा महबूब अमल क्या है ? ” तो हुज़ूर ने इरशाद फरमाया, ” अल्लाह पाक पर ईमान लाना । ”

फिर पूछा फिर कौनसा ? इरशाद फरमाया, ” सिलाह रहमी करना ” यानि के रिश्ते दारों के साथ हूसने सुलूक करना । फिर पूछा के हुज़ूर इसके बाद कौनसा ? इरशाद फरमाया, ” भलाई का हुक्म देना और बुराई से मना करना । ” यानि के तबलीग करना

एक जगह और हुज़ूर नबी ए रहमत का फरमान ए आलीशान है के, ” तुम मे जो शख्स बुरी बात देखे उसे अपने हाथ से बदल से और अगर इसकी इस्तेतात न हो तो जुबान से बदले और इसकी भी इस्तेतात न हो तो दिल से यानि दिल इसे दिल से बुरा जाने और ये कमजोर ईमान वाला है ।

तबलीग की अहमियत क्या है ?

मेरे अजीजों तबलीग करना सिर्फ उलमा या दीनदार लोगों की ही जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर एक मुसलमान की भी जिम्मेदारी है अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे इरशाद फरमाता है, ” तुम मे एक एसा गिरोह होना चाहिए जो भलाई की तरफ बुआए, नेकी का हुक्म दे और बुराई से रोके । ” ( सूरह अल-इमरान 104 )

इस आयत ए कुरानी से साबित होता है के तबलीग कैसे करे, इसका पहला तरीका यह है के इंसान खुद नेकी की तरफ बड़े और दूसरों की भी उस तरफ बुलाए और याद रखे के आपकी जुबान मे तब ही तासीर होगी जिस वक्त के आप खुद ब अमल होंगे ।

तबलीग कैसे करे ? तबलीग करने के कुछ खास तरीके

(01) आप खुद अमल करने से शुरूआत करे

मेरे अजीजों सबसे पहले आप खुद अमल करे तबलीग का सबसे पहला तरीका यही है के आप खुद अमल करने वाले बने । जब आपकी जिंदगी मे इस्लामी उसूल झलकेंगे तो फिर लोगों पर उसका असर खुद ब खुद पड़ेगा अमल क्या करे जैसे के !

  1. नमाजों की पाबंदी करे
  2. सच्चाई और अमानतदारी को अपनाए
  3. अच्छा अखलाक अपनाए

याद रखे मेरे प्यारो बिना अमल के आपकी तबलीग बे असर ही होगी ।

(02) बातों मे नरमी और हिकमत से बात करे

मेरे अजीजों कुरान ए मजीद मे हज़रत ए मूसा और हज़रत ए हारून को फिरऔन के पास भेजते हुए अल्लाह पाक ने फरमाया था के, ” उससे नरमी से बात करना, शायद वह नसीहत ले या डरे । ” ( सूरह ताहा 44 )

कुरान ए पाक को कैसे पढ़ा जाता है ?

इससे मालूम होता है के तबलीग कैसे करे इसका एक अहम उसूल यह है के बात करने का तरीका नरम और समझदारी भरा होना चाहिए । जैसे के

  • किसी भी इंसान को शर्मिंदा न करे
  • गुस्से या झगड़े से बचे
  • सामने वाले की सोच को समझे

(03) छोटी-छोटी बाते हिकमत के साथ शेयर करे

मेरे अजीजों हर बार बड़ा बयान करना या लंबी तकरीर करना कोई जरूरी नहीं है तबलीग का असर तब ज्यादा होता है जब के आप राजमर्रा की जिंदगी मे छोटे-छोटे नसीहत वाले जुमले इस्तेमाल करे जैसे के:

  1. भाई या बहिन नमाज बहुत जरूरी है और ये फर्ज है ।
  2. अल्लाह पर भरोसा रखो, वो सबसे बड़ा मददगार है
  3. सच्चाई अपनाओ, अल्लाह खुश होगा
  4. धीमी आवाज मे बाते किया करो

(04) सोशल मीडिया का इस्तेमाल करे

मेरे अजीजों जैसा के हम सबको पता है के इस दौर मे तबलीग कैसे करे इसका जवाब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म भी है आप इस्लामी पोस्ट, विडिओ या औडियो क्लिप्स शेयर करके भी दीन की दावत दे सकते है और ये बहुत आसान भी होता है एसे करे:

  1. फेसबुक, इंस्टाग्राम पर इस्लामी पोस्ट शेयर करे
  2. व्हाट्सएप पर सही जानकारी फॉरवर्ड करे
  3. यूट्यूब या ब्लॉग के जरिए भी तबलीग करे

ये तरीका आज के दौर मे बहुत ज्यादा असर दार है और साथ ही साथ मे बहुत आसान भी है ।

(05) दीन की दावत देना शुरू करे

मेरे प्यारो आप सबसे पहले अपने रिश्तेदायरों, दोस्तों और पड़ोसियों को किसी इस्लामी मजलिस या मस्जिद मे चल रही तबलीग जैसे काफिलों या इजतेमे मे बुला सकते है इसके अलावा और ये खास काम अंजाम दे जैसे के:

  • हफ्ते वार इजतेमे मे उनको लेकर जाए
  • किताबे पढे जैसे ” नैक बनने और बनाने के तरीके “
  • खाना खिलाकर दावत दे और दीन की बात करे
  • 7 दिन मे एक दिन मिलकर दीन पर बात

तबलीग करते वक्त किन बातों का ध्यान रखे ?

(01) नियत सिर्फ अल्लाह की रिजा रखे – दिखावे से बचे और काम अपने नाम के लिए बल्कि अल्लाह पाक की राजी करने के लिए करे

(02) सब्र और सलीका रखे – सामने वाला तुरंत नहीं माने तो भी ना उम्मीद न हो बल्कि हिकमत के तहत बाद मे आकर उसको दीन की दावत पेश करे

(03) इल्म हासिल करे – किताबे जितनी हो सके दीन की किताबे पढे उन्मे अल्लाह के वलियों के किस्से वाकियात पढे और वहा से मवाद लेकर लोगों को पेश करे

(04) तौहीद और रिसालत पर जोर दे – दीन की बुनियादी बातों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे नमाज, रोज़े, जकात, हज और सदका खैरात और बच्चों की तालीम की बाते

(05) औलिया अल्लाह की मुहब्बत दे – लोगों को अल्लाह के वलियों की बाते बताए और उनकी इबादत और उनके दिलों मे अल्लाह के खौफ का मंजर पेश करे अल्लाह के वलियों की मुहब्बत लोगों के दिल मे डाले

खवातीन हजरात ( औरते ) तबलीग कैसे करे ?

मेरे अजीजों इस्लाम मे औरतों को भी तबलीग की इजाजत है लेकिन उनकी हदों मे रहकर जैसे के:

  1. घर मे बच्चों और घरवालों को दीन सिखाए
  2. दूसरी औरतो के साथ इस्लामी बाते शेयर करे
  3. मोबाईल या सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करे
  4. हुज़ूर नबी ए रहमत के वाकियात समझा कर
  5. खवातीन का इजेतमा करवा कर

इन तरीकों से भी खवातीन दीन की तबलीग कर सकती है जिससे के इनके दिलों मे अल्लाह पाक का खौफ पैदा होगा और साथ ही साथ हुज़ूर से मुहब्बत भी दिल मे .

तबलीग का असर कब होता है और कैसे दिखता है ?

मेरे अजीजों तबलीग का असर तब ही दिखता है जब ये कुछ खास बाते पाई जाए जैसे के:

  • दावत देने वाला खुद नेक हो
  • नियत साफ हो
  • बात मे असर हो ( हिकमत हो, कुरान और हदीस से बात करे )
  • अल्लाह पाक से दुआ की जाए और बुजुर्गों का फ़ैज़ साथ मे ले
  • जितनी हो सके उतनी आजिज़ी इख्तियार करे

दुआ मोमिन का हथियार है तबलीग के साथ ही अल्लाह पाक से दुआ भी बहुत जरूरी है के वो ही सामने वाले के दिल मे हिदायत की रोशनी करती है ।

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