इस्लाम मे सदका देने की फ़ज़ीलत क्या-क्या है ?
दीन ए इस्लाम एक मुकम्मल दीन है इसमे बच्चे के पैदा होने से लेकर उसकी मौत तक और कब्र से लेकर हश्र तक सब कुछ बता दिया गया है जो के इंसानियत, रहमदिली और आपसी मददगारी के बुनियादी उसूलो पर कायम है ।
दीन ए इस्लाम के अहकामात मे जहा नमाज, रोजा, हज और जकात जैसी इबादत को बड़ी अहमियत दी गई है वही सदका भी एक एसा अमल है जो बंदे को अल्लाह की कुर्बत और लोगों की मोहब्बत दोनों अता करता है ।
मेरे प्यारे अजीजों सदका हकीकत मे एक एसा नेक अमल है जिसमे बंदा अपनी माल ओ दौलत, वक्त या मेहनत का कोई हिस्सा अल्लाह की रजा के लिए किसी जरुरतमन्द को देता है और बगैर किसी बदले या दुनिया की शोहरत की तमन्ना के ।
सदका देना एक एसी नेकी है जो की अल्लाह पाक खुश नसीबों को ही नसीब करता है इसमे माल अल्लाह की राह मे खर्च किया ही जाता है जो के गरीबों और यतीमों को दिया जाता है ।
सदके की हकीकत क्या है ?
मेरे अजीजों सदका लफ़्ज़ जो है वो निकलता है लफ़्ज़ ए सदक से जिसका मतलब होता है सच्चाई यानि जब कोई शख्स अल्लाह पाक की राह मे कुछ देता है तो वो इस बात की दलील होती है के उसका ईमान सच्चा है और ईमान वाला फर्द है इसके साथ ही आपको बता दे के सदका फकत माल ही नहीं होता है बल्कि
- किसी को पानी पिलाना भी एक सदका है
- मुस्कराना भी एक सदका है
- रास्ते से तकलीफ हटाना और पथतार हटाना भी एक सदका है
- किसी को अच्छा मशवराह देना भी एक सदका है
- किसी परेशान इंसान का हौसला बढ़ाना भी एक सदका है
सिर्फ माल ही सदका नहीं होता है बल्कि ये भी सदका ही होता है और अपने घर वालों पर भी माल खर्च करना भी एक सदका ही है ।
कुरान ए मजीद मे सदके की फ़ज़ीलत
अल्लाह पाक कुरान ए मजीद मे कई मकामात पर सदके की अहमियत बयान की गई है एक जगह अल्लाह पाक इरशाद फरमाता है के, ” जो लोग अपने माल को अल्लाह की राह मे खर्च करते है उनके मिसाल उस दाने की सी है जिसमे सात बाले उगे और हर बाली मे सौ दाने हो और अल्लाह जिसे चाहता है और ज्यादा बढ़ा देता है । ” ( सूरह अल-बकरा, आयत 261 )
मेरे अजीजों कुरान ए पाक की इस आयत से साबित होता है के सदका देने से नुकसान तो कोई नहीं बल्कि ये तो माली और रूहानी तौर पर बरकत मे मजीद इजाफा करता है और बरकतों का एक बहतरीन जरिया है ।
हदीस ए मुबारिका मे सदका देने की फ़ज़ीलत
हमारे और आपके प्यारे-प्यारे आका, हुज़ूर नबी ए रहमत इरशाद फरमाते है के:
- सदका बला को टालता है – बेशक सदका बला को दूर करता है और मौत को टाल देता है । ( तिरमिजी )
- गुनाहों का कफ्फारा – सदका गुनाहों को इस तरह मिटा देता है जैसे पानी आग को बुझा देता है । ( तिर्ममिजी )
- बीमारी का इलाज – अपने बीमारों का इलाज सदके के जरिए करो ( अबू दाऊद )
- कियामत के दिन साया – ” कियामत के दिन हर शख्स को साया नसीब नहीं होगा मगर वो शख्स जिसे अल्लाह अपने अर्श के साये मे जगह देगा .. उनमे से एक वो भी होगा जिसने इस तरह सदका किया के उसका बाया हाथ भी ना जाने के दाया हाथ क्या दे रहा है । ” ( बुखारी और मुस्लिम )
सदके की किसमे ?
आपको बता दे के दीन ए इस्लाम की शरीयत मे सदके की कई सारी सुरते है जैसे के:
- सदका ए नाफिला – ये वो सदका है जो इंसान अपनी मर्जी से देता है इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की रजा हासिल करना होता है ।
- सदका ए वाजिबा – जैसे फितरा, कुर्बानी का गोश्त या किसी नजर की तकमील ।
- सदका ए जारिया – ये हकीकत मे वो सदका है के जिसका सवाब बंदे को मरने के बाद भी मिलता रहता है जैसे-
- कुआ खुदवाना भी सदका ए जारिया है
- मस्जिद बनवाना भी एक सदका ए जारिया है
- इल्मी किटाबे बाटना भी एक सदका ए जारिया है
- किसी यतीम की परवरिश करना
ये तमाम ही सदका ए जारिया है इसका मतलब ये है आपने एक बार ये सदका कर दिया और अनकरीब आप भी कब्र मे चले जाओगे तो कब्र के अंदर तक आपके लिए सवाब मिलता रहेगा ।
सदका देने के फवाइद ( फायेदे ) क्या-क्या है ?
हदीस शरीफ मे सदका देने के एक नहीं बल्कि कई सारे फायेदे है जिनको बयान करने अगर जाऊंगा तो तो बहुत बड़ा पोस्ट हो जाएगा लेकिन उन्ही मे से कुछ आपके सामने रख दे रहा हूँ मजीद आप सदके की किताब से हासिल कर सकते है पढ़ सकते है ।
- सदका दिल मे नरमी और रहम पैदा करता है – जब कोई मोमिन सदका अपने माल मे से दूसरों को देता है तो उसकी नफ़स पर कानू होता है और दिल मे रहम पैदा होता है और इसके साथ ही सिलाह रहमी दिल मे उजागर होती है ।
- सदके से माल मे बरकत होती है – हमारे प्यारे-प्यारे आका हुज़ूर नबी ए करीम इरशाद फरमाते है के, ” सदका देने से माल कम नहीं होता बल्कि बढ़ता है। ” ( सहीह मुस्लिम )
- जिंदगी मे सुकून और चैन – जो मोमिन जिनको अल्लाह पाक तौफीक देता है के वो लोग बराबर सदका करते उनके दिल को एक सुकून एक तस्कीन मिलती है, जो दौलत से नहीं खरीदी जा सकती है ।
- आखिरत मे नजात – कब्र का अंधेरा, कियामत की घबराहट और हिसाब-किताब की सख्ती – इन सब से बचने का सबसे बहतरीन जरिया सदका है और जो जितना ज्यादा सदका देता है अल्लाह पाक उसके दिल को उतना ही नरम करता है और उसके माल मे बरकत अता करता है ।
कब और कैसे और किसको सदका दे सकते है ?
सदका देने के हवाले से कुछ अहम वजाहत नीचे लिख रहा हूँ जो की आपकी काफी अच्छी तरह रहनुमाई करेगी:
- रोजाना कुछ न कुछ सदका देने की आदत बनाए फिर चाहे वो एक चाय के लिए पैसे ही क्यों न हो ।
- सदका देते वक्त नियत पाक और खालिस अल्लाह के लिए ही होनी चाहिए न के किसी और को दिखने के लिए हो ।
- जहा तक हो सके के छुपा कर ही दे क्योंकि सदका छुपाकर देना अफजल है मगर दूसरों को तरगीब देने के लिए कभी-कभी जाहीर भी किया जा सकता है लेकिन ये भी आपकी नियत पर ही डिपेंड होता है ।
- सबसे अफजल सक्दा वो है जो के अपने रिश्तेदारों को दिया जाए ये बहुत अहम है ।
सदका सिर्फ माल ही नहीं है बल्कि एक जज्बा भी है
मेरे प्यारे अजीजों कई सारे लोग सोचते है के सदका सिर्फ पैसे वालों का ही काम है जबकि ये गलत सोच है क्योंकि हमारे प्यारे-प्यारे आका, मदीने वाले मुस्तफा करीम इरशाद फरमाते है, ” हर नेकी सदका है । ” नेकी जैसे के,
किसी को हौसला देना, परेशान हाल को तसल्ली देना, बड़ों की खिदमत करना, बच्चों को प्यार देना, किसी को रास्ता दिखाना, ये सब भी सदका है ।
सदके का समाज यानि के मुआशरे पर असर
मेरे प्यारो अब समझते है के अगर हर एक मुसलमान रोजाना एक छोटा सा ही सदका भी देने लगे तो समाज पर कितना बड़ा असर पड़ेगा थोड़ा समझते है:
- समाज से फाका और भुखमरी कम हो जाएगी ।
- यतीमों और मिसकीनों की मदद मुमकिन होगी ।
- तालीम और इलाज के बहतर जराये बनेंगे ।
- इंसानियत और भाईचारा कायम रहेगा ।
- मुआशरा भलाई की तरफ आएगा ।
- लोगों की जिंदगियों मे खुशिया आएंगी ।
कितना कुछ हो जाएगा अगर हर एक मोमिन सदका देने लग जाए यकीनन अल्लाह पाक ही बहतरीन नवाजने वाला है लेकिन जब कोई मोमिन भलाई की नियत से सदका देता है तो अल्लाह पाक उसको उसकी मन की मुरादों से भी नवाज देता है ।
खुलासा ए कलाम
मेरे अजीजों सदका एक एसा अमल है जो के इंसान को दुनिया और आखिरत दोनों ही जहानो मे फायेदा पहुचाता है ये एक इबादत भी है एक जज्बा भी है और एक मोमिन की दूसरे मोमिन पर जिम्मेदारी भी है ।
अल्लाह पाक हमे भी तौफीक दे के हम अपने माल, वक्त और काबिलियत से लोगों की मदद करे और अपनी आखिरत को सवारे ताकि हमे सुकून और दिली राहत मिल सके आमीन सुममा आमीन ।